जनसंदेश का भविष्य खतरे में, सच निकली प्रिंट लाइन में धोखाधड़ी की शिकायत
बनारस में लगता है अब जनसंदेश टाइम्स की नाव डूबने वाली है। प्रदेश के चर्चित एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र इस अखबार का प्रबंधन धोखाधड़ी के बुने अपने ही जाल में बुरी तरह घिर गया है। भविष्य निधि संगठन की दंडात्मक कार्रवाई 7ए, पीएफ कटौती कर उसे दबाये रखने में मामले में आईपीसी की धारा 406 और 409 के तहत दर्ज प्राथमिकी के साथ ही कर्मचारियों के उत्पीड़न और मनमाना वेतन निर्धारण के मामलों का सामना कर रहे जनसंदेश प्रबंधन के सामने अब ऐसी मुसीबत आ पड़ी है जिससे अखबार का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक के निर्देश पर अखबार की प्रिंट लाइन में की गयी धोखाधड़ी की जांच मामले में अखबार प्रबंधन ने ऐसी सफाई दी जो उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। प्रबंधन की ओर से जो जवाब दिया गया है, वही शिकायत भी थी। प्रबंधन ने कबूल किया है कि अखबार तीन नवंबर 2014 से 22 दिसंबर 2014 तक मीडिया एवं प्रिंट- मड़ौली से प्रिंट हुआ लेकिन प्रिंट लाइन में बून एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड- रोहनिया का पता दिया गया। प्रबंधन के इस कबूलनामे से यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में आरएनआई की गाज गिरनी तय है, जिसके तहत टाइटिल भी रद्द हो सकती है। अखबार के दफ्तर में दबी जुबान से यह चर्चा जोराें पर है कि मालिकों के दुर्व्यवहार से खिन्न होकर प्रबंधकों ने ऐसा आत्मघाती जवाब देकर बदला चुकाया है, जिससे मालिकों का उबरना मुश्किल है।
गौरतलब है कि बनारस में जनसंदेश टाइम्स बून एक्जिम प्रा. लि. रोहनिया, जीटी रोड से मुद्रित होता था। तीन नवंबर 2014 से अचानक वहां प्रिंटिंग बंद कर उसे मीडिया एवं प्रिंट, मड़ौली से प्रिंट कराया जाने लगा, लेकिन प्रिंट लाइन में 22 दिसंबर 2014 तक बून एक्जिम प्रा. लि. रोहनियां का ही पता दिया जाता रहा। इस मामले की शिकायत मिलने पर भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक ने वाराणसी के डीएम को (पत्रांक संख्या- 24/com-50/2014R-1) पत्र भेज जनसंदेश टाइम्स प्रबंधन के खिलाफ प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 के नियमों के तहत कार्रवाई का निर्देश देते हुए कृत कार्रवाई की सूचना मांगी। डीएम के निर्देश पर सूचना विभाग ने जनसंदेश प्रबंधन, बून एक्जिम प्रा. लि. रोहनिया और मीडिया एवं प्रिंट, मड़ौली को नोटिस भेज जवाब मांगा। जनसंदेश प्रबंधन ने नोटिस के जवाब में स्पष्ट किया है कि अखबार तीन नवंबर 2014 से 22 दिसंबर 2015 तक मीडिया एवं प्रिंट- मड़ौली से प्रिंट हुआ लेकिन प्रिंट लाइन में बून एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड- रोहनिया का पता दिया गया। इस कबूलनामे से प्रबंधन ने ही स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने धोखाधड़ी की है।