सुनील शाह जी का जाना………
सुबह -सुबह निशीथ जोशी जी के फेसबुक पोस्ट से जानकारी मिली कि सुनील शाह जी नहीं रहे। इस तरह के अविश्वसनीय से सच से सामना कर पाना आसान नहीं होता है। कुछ माह हमने देहरादून में साथ-साथ बिताए थे, तब उन्होंने देहरादून राष्ट्रीय सहारा में बतौर न्यूज एडिटर ज्वाइन किया था। जब तक वे हमारे यहां रहे लगभग रोज दफ्तर से लौटते समय अपनी गाड़ी मेंे बिठाकर साथ लाते रहे। रास्ते में दफ्तर से इतर की बातें भी होती रहती थी। उस समय वे भले ही सहारा में नौकरी कर रहे थे, लेकिन उनके अंदर अमर उजाला के प्रति बेहद लगाव व आत्मीयता भी थी। ऐसे में जिस समय उन्हें अमर उजाला में दुबारा आने का आमंत्रण मिला ,उस रात अपनी खुशी वे छिपा नहीं पा रहे थे। सुबह – सुबह दफ्तर से जानकारी मिली कि सुनील शाह जी ने अपना इस्तीफा दे दिया है। इतने में सुनील शाह जी का फोन आया कि आप रणविजय सिंह जी (समूह संपादक, राष्ट्रीय सहारा) को बता दें कि मैने इस्तीफा भले ही दे दिया है किन्तु जब तक कोई वैक्लपिक व्यवस्था नहीं हो जाती है तब तक मैं दफ्तर आ जाऊंगा। यहां यह बता दूं कि उस समय संपादकीय प्रभार भी उन्हीं के पास था एवं डिप्टी न्यूज एडिटर का पद उन दिनों रिक्त था। हालांकि रणविजय जी ने कहा कि अगर उनका फोन आए तो तुम विनम्रतापूर्वक मना कर देना क्योंकि यह उचित नहीं लगता है कि जो व्यक्ति इस्तीफा दे चुका हो उनसे काम कराया जाए। अक्सर होता है कि लोग किसी संस्थान में रहते हुए भले ही उसका कितना भी गुण गाते रहें हों, लेकिन इस्तीफा देते ही उन्हें उस संस्थान में बुराईयां ही बुराईयां दिखने लगती है। ऐसे में सुनील शाह जी का यह व्यवहार एक अलग मायने रखता है।उनके साथ काम करते हुए मैंने यह जाना कि पद से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है अपने सहकर्मियों आैर खासकर अधीनस्थों के बीच अपने को सहज स्वीकार्य बनाना। अपने जन्मस्थान नैनीताल से उन्हें बेहद लगाव था,साथ ही नैनीताल से जुड़ी अपनी जानकारियों एवं संस्मरणों को सुनाने में उन्हें बेहद आनंद आता था। सहारा छोड़ने के बाद वे कुछ दिनों तक मेरठ अमर उजाला में रहे, तब तक कभी कभार बातचीत तो हो जाया करती थी , लेकिन उसके बाद लंबे अर्से से उनसे कोई बात नहीं हो पाई थी। सोचता था जब कभी नैनीताल जाने का अवसर मिलेगा तब जरूर मुलाकात होगी आैर फिर समय मिला तो ढेर सारी बातें, लेकिन अब तो बचा है सिर्फ अफसोस आैर दुबारा नहीं मिल पाने का दु:ख। परमपिता उनकी आत्मा को शांति दे व उनके परिवार को इस दु:ख से उबरने की शक्ति……..
सुमन सिंह, राष्ट्रीय सहारा