जितेंद्र दीक्षित की शब्द श्रद्धांजलिः अलविदा शाह साहब
जितेंद्र दीक्षित। अमर उजाला नैनीताल संस्करण के संपादकीय प्रभारी वरिष्ठ पत्रकार सुनील शाह अनंत में विलीन हो गये। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। एक दुर्घटना के बाद देहरादून में उनके हाथ की शल्य चिकित्सा हुई थी, बाद में उन्हें दिल्ली भर्ती कराया गया, जहां सांसों की डोर टूट गयी। सुनील शाह अमर उजाला के पाठशाला से निकले पत्रकार थे और अंतिम सांस तक अमर उजाला से ही जुड़े रहे। अभी कुछ महीने पहले ही ५८ वर्ष की आयु पूरी कर वह सेवानिवृत्त हुए थे पर प्रबंधन ने सेवाविस्तार कर दिया था। शायद नियति को यह मंजूर नहीं था और उन्हें जीवन विस्तार नहीं मिल सका। वह बीच के कुछ समय जनसत्ता और हिंदुस्तान में भी रहे पर लंबा समय अमर उजाला के बरेली संस्करण में बिताया। मेरठ संस्करण में भी वह डेढ़ वर्ष तक समाचार संपादक के रूप में कार्यरत रहे। उनका निधन मेरे लिए निजी तौर पर एक दोस्त से हमेशा-हमेशा के लिए बिछुडऩे जैसा है। अखबारी कामकाज हो या आपसी बातचीत शाह साहब मस्तमौला रहते थे। नैनीताल में उनके पुस्तैनी बड़े भवन में अरसे से विवाद चल रहा था, जो अब निपट गया था। इससे उन्हें बड़ी राहत थी। कुछ दिन पहले ही बात हुई तो कह रहे थे कि अब सारे झंझट निपट गए। जिंदगी बहुत सुकून से कट रही है। उस समय यह सोचा भी नहीं था कि अब वह मायाबी संसार से भी मुक्त होकर अनंत की यात्रा पर निकलने वाले हैं। विधि के क्रूर विधान के आगे हम सब विवश हैं। सादर नमन शाह साहब। विनम्र श्रद्धांजलि। अब आपकी यादें की शेष हैं।