शाहजहांपुर पहुंचे पत्रकार कुमार सौवीर, पढ़िए उनकी लाइव रिपोर्ट : अपराधी सत्ता, नपुंसक पुलिस, बेशर्म पत्रकार…
Kumar Sauvir : बेशर्मी की सारी सीमाएं तोड़ दी हैं शाहजहांपुर के पत्रकारों ने। जो पत्रकार था, उसे पत्रकार मानने से तैयार नहीं थी यह पत्रकार-बिरादरी और जो पत्रकार नहीं हैं, उन्हें जबरिया पत्रकार का तमगा देने पर आमादा थे यही लोग। पत्रकारिता के नाम पर कलंक बने इन्हीं हत्यारेनुमा पत्रकारों ने पुलिस, अफसर, नेता और मन्त्री की चौकड़ी तैयार कर ऐसा जाल बुन डाला, जिस शिकंजे में जागेन्द्र सिंह को जकड़ लिया गया और दिन-दहाड़े उसे पेट्रोल डाल कर जिन्दा फूंक दिया गया। इतना ही नहीं, जागेन्द्र सिंह की मौत के बाद अब इन्हीं पत्रकारों ने उसके नाम पर मर्सिया भी पढ़ना शुरू कर दिया है। हैरत की बात है कि जागेन्द्र सिंह की हत्या के बाद जिले के एक भी अधिकारी ने जागेन्द्र के घर जाने की जहमत नहीं फरमायी, लेकिन मूल कारणों को खोजना-विश्लेषण करने के बजाय अब इन्हीं पत्रकारों की टोलियां अब जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक और यहां के नेताओं की ओर से प्रतिनिधिमण्डल बना कर जागेन्द्र सिंह के घर पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं, यही पत्रकार अब इन अफसरों-नेताओं की ओर से आश्वासन तक दे रहे हैं कि जागेन्द्र की पत्नी को अनुग्रह दिलाया जाएगा, पीडि़त परिवार को मकान दिया जाएगा, उसे जमीन मुहैया करायी जाएगी और आश्रित लोगों को सरकारी नौकरी दिलायी जाएगी।
बहरहाल, हम बात करते हैं जागेन्द्र सिंह के साथ हुए ताजा काण्ड पर। हालांकि यह पूरा मामला दरअसल, दलाली, गुण्डागर्दी, अनाचार, व्यभिचार और सम्प्रभुत्व को लेकर है। इसका पूरा किस्सा बाद में लिखूंगा। लेकिन ताजा घटनाक्रम के तहत डेढ महीना पहले 27 अप्रैल को यहां के लाल इमली चौराहा के पास रात दस बजे के करीब जागेन्द्र सिंह पर पांच लोगों ने हमला किया और उसे जमकर पीटा था। इस हमले में जागेन्द्र के पैर का पंजा टूट गया था। इसकी एफआईआर गुफरान समेत पांच लोगों के खिलाफ अगले दिन दर्ज हुई। इसके बाद 22 मई को जागेन्द्र पर मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ। यह मुकदमा जान लेने की कोशिश आदि धाराओं में था। एक पुलिस अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह एक मामूली झगड़ा ही था, जिसमें केवल दो थप्पड़ मारे थे जागेन्द्र ने। हालांकि ऐसे मामले में पुलिस दोनों ही पक्षों को हल्की लताड़ या चेतावनी देकर छोड़ देती है, लेकिन चूंकि इसमें मंत्री राममूर्ति वर्मा का सीधा हस्तक्षेप था, इसलिए संगीन धाराओं में यह मुकदमा दर्ज किया गया, और पुलिस ने जागेन्द्र की तलाश में ताबड़तोड़ छापे मारना शुरू कर दिया। मुकदमा दर्ज कराया था अमित भदौरिया ने, जो कभी जागेन्द्र का जूनियर रह चुका था। अमित तथा गुफरान प्रदेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा के बेहद करीबी माने जाते हैं।
जागेन्द्र अब छिप कर लिखने का काम करने लगा। इसी बीच एक महिला की ओर से जागेन्द्र ने अदालत में अर्जी लगायी जिसमें उसने आरोप लगाया कि इस महिला के साथ राममूर्ति वर्मा, गुफरान आदि अनेक लोगों ने अगवा कर बलात्कार किया। अदालत ने 28 मई को इस मामले पर पुलिस और प्रशासन को नोटिस जारी कर दी। 28 मई की शाम मंत्री राममूर्ति सर्मा ने अपने आवास पर पत्रकार सम्मेलन किया और उसमें जागेन्द्र सिंह को दलाल, ब्लैकमेलर और अपराधी करार दिया। इस खबर को अगले दिन सभी अखबारों ने प्रकाशित किया, लेकिन खबर में मंत्री की ओर से जागेन्द्र को गालियां दीं, लेकिन जिले के इन्हीं पत्रकारों ने जागेन्द्र सिंह को पत्रकार मानने से इनकार कर दिया।
इतना ही होता तो भी गनीमत थी। अफसर-पुलिस और नेता-मंत्री की जी-हुजूरी में अपना पूरा टाइम व्यतीत करने वाले जिले के पत्रकारों ने 30 मई को पत्रकारिता दिवस समारोह में मंत्री राममूर्ति वर्मा को इस कार्यक्रम का मुख्य अतिथि तक बना लिया। इस कार्यक्रम में स्थानीय सांसद और विधायकों के साथ ही साथ वह गुफरान भी मंच पर मौजूद था, जिस पर जागेन्द्र ने हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। स्थानीय पुलिस कोतवाल प्रकाश राय भी मौके पर मौजूद था। इस समाराेह के आयोजकों का दावा था कि इस समारोह में जिले के सारे पत्रकार मौजूद हैं। हैरत की बात है कि इस समारोह में कई बड़े अखबारों और चैनलों के प्रमुख पत्रकार ना-मौजूद थे। जानकारों का कहना है कि इस समारोह में भाड़े पर लोगों को बुलाया गया था, ताकि समारोह को सफल करार दिया जा सके। बहरहाल, इस कार्यक्रम में राममूर्ति ने जागेन्द्र सिंह पर खूब खरी-खोटी सुनायी और कोतवाल को ललकारा कि ऐसे अपराधी को जिले में रहने नहीं दिया जाना चाहिए। और, पहली जून के दिन जागेन्द्र सिंह के घर पहुंच कर पुलिस ने छापा मारा और जागेन्द्र सिंह पर पेट्रोल डाल कर जिन्दा फूंक डाला। मंत्री राममूर्ति वर्मा का करीबी गुफरान इस जघन्य कांड के वक्त मौके पर मौजूद था।
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Kumar Sauvir : मंत्री के भतीजे ने फोन किया था। बोला:- ”भइया, चाचा बुलाय रहे हैं। जउन गलतफहमी हौ, दूरि करि ल्यौ। झगरा करै का क्या फाइदा। आवौ, चच्चा बुलावत हैं”। मंत्री मतलब राममूर्ति वर्मा। शाहजहांपुर के दबंग विधायक, जिन पर बलात्कार और हत्या तक का आरोप पुलिस और अदालतों में चल रहे हैं। पिछली 31 मई-2015 की शाम सात बजे के करीब जागेन्द्र सिंह के पास यह फोन आया था। उस वक्त जागेन्द्र सिंह शाहजहांपुर से करीब 65 किलोमीटर दूर खुटार कस्बे में अपने मकान पर था। चूंकि यहां बिजली आपूर्ति की परम्परा ही नहीं होती है, इसलिए वह अपने घर की छत पर बैठा हुआ था। पत्नी सुमन भी उस वक्त वहीं थी। तभी अचानक उसके मोबाइल पर घण्टी बजी थी। बातचीत करने के दौरान जागेंन्द्र असहज था। बात के बाद वह उठा और बोला कि उसे अब शहर जाना होगा।
सुमन ने सवाल किया कि :- इस वक्त काहे जा रहे हो, सुबह जाना ना। जागेन्द्र ने जवाब दिया कि मंत्री राममूर्ति वर्मा के भतीजे का फोन है। वह कह रहा है कि मंत्री जी बुलाय रहे हैं। बातचीत करना है। इस पर सुमन ने फिर ऐतराज किया। और ठान लिया, कि शाम में नहीं। अगर जाना ही है तो सुबह जाना। और सुबह जागेन्द्र सिंह ने सुबह सात बजे की बस पकड़ी और शाम चार बजे सुमन के घर खुटार थाने के पुलिसवाले आये और उन्होंने बताया कि जागेन्द्र जल गया है।
पुलिस की जनरल डायरी में यह बात अभी तक दर्ज नहीं है। और मुझे पूरा विश्वास है कि जब तक राममूर्ति वर्मा की गिरफ्तारी न हो जाएगी, या फिर जब तक लखनऊ से शाहजहांपुर पुलिस को निर्देश नहीं मिल जाएगा, यह बात दर्ज हो पाना मुमकिन नहीं होगी। लेकिन हम आपको बता देते हैं कि 31 मई की शाम सात बजे जो फोन आया था, उसका नम्बर क्या है। मैंने खुटार पहुंच कर सुमन से बातचीत की, जागेन्द्र के बेटे राहुल और उसकी बेटी दीक्षा से बातचीत की। उन्हीं लोगों से यह फोन नम्बर मिला। लेकिन इन लोगों का कहना है कि इस नम्बर से बातचीत करने वाले का नाम उनके मोबाइल में सेव नहीं था। वो नंबर 8081218444 है। मैंने इस नम्बर को डायल किया तो उस नम्बर पर स्क्रीन पर राशिद शाहजहांपुर का नाम दिखा। लेकिन यह उचित नहीं था कि मैं उस नम्बर पर बात करके पूछताछ करता। यह तो पुलिस का काम है ना, इसलिए। अब प्रतीक्षा रहेगी कि पुलिस कब इस बारे में पूछताछ करेगी।
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Kumar Sauvir : एक कुख्यात अपराधी हुआ करता था। अपराधी नहीं, संगठित अपराधियों के गिरोह का नेता। नाम था चन्द्र सेन। पूरे रूहेलखण्ड से लेकर बरेली-लखनऊ-कानपुर की सरहद से जुडे जिलों और नेपाल के सीमान्त इलाकों में उसका झण्डा फहरता रहता था। जानकार बताते हैं कि उसके पास सैकड़ों की तादात में आपराधिक-कार्यकर्ता हुआ करते थे। इसका मूल धन्धा था अपहरण, लूट, डकैती और हत्या। लेकिन इस शातिर चंद्रसेन का कोई भी सीधा-सीधा आपराधिक रिकार्ड नहीं था, नतीजा पुलिस उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर पायी थी। मगर उसके आतंक की सीमा लगातार फैलती रही। पूरे इलाके में उसकी तूती बजती थी। उसके समर्थन में सैकड़ों थे और उसके विरोध में हजारों। इन दोनों गुटों ने एक-दूसरे को निपटाने के लिए पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी। बताते हैं कि इन अपराधियों से निपटने के लिए लोगों ने अपनी जमीनें बेच कर बंदूकें खरीदी थीं।
आखिरकार इस चन्द्रसेन पर दबाव बहुत बढने लगा तो वह किसी मामले में जेल पहुंच गया और अपना धन्धा सीधे जेल से ही सुरक्षित संचालित करने लगा। उसका यह धन्धा अगले कई बरसों तक चला, लेकिन आखिरकार हरदोई-पीलीभीत के सीमावर्ती इलाके में पुलिस ने उसे एनकाउन्टर में मार डाला। शाहजहांपुर वाले जांबाज पत्रकार जागेन्द्र सिंह को जिन्दा फूंकने डालने वाले हौलनाक और नृशंस हत्याकाण्ड का असली अभियुक्त राममूर्ति वर्मा है, जो चन्द्रसेन का लेफ्टिनेण्ट हुआ करता था और चन्द्रसेन के बाकी साथी तो अपराध की दुनिया में ही जमे रहे, जबकि लोध समुदाय का राममूर्ति वर्मा ने राजनीति की डगर पकड़ ली। लेकिन इस नयी डगर में उसकी बैसाखियां वही लोग बने, जो उसके गुरू चन्द्रसेन के गैंग-साथी थे। यानी उसके बाद इस पूरे इलाके में राममूर्ति वर्मा ने राजनीति और अपराध की एक नयी कहानी लिखनी शुरू कर दी।
फिलहाल, राममूर्ति वर्मा उप्र सरकार में राज्य मंत्री है और शाहजहांपुर से विधायक है। जागेन्द्र सिंह को जिन्दा फूंक डालने के मामले में पुलिस ने फिलहाल राममूर्ति वर्मा को हत्यारा के तौर पर नामजद कराया है। पुलिस? अरे पुलिस तो सिर्फ लखनऊ से इशारा हासिल करने की प्रतीक्षा कर रही है और फिलहाल अपने कागज-पत्तर ठीक कर रही है, ताकि लोगों को पता चलता रहे कि पुलिस खाली हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी है।
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Kumar Sauvir : आज रामप्रसाद बिस्मिल का जन्मदिन है। और यह शाहजहांपुर है जहां बिस्मिल ने अपना आत्मोत्सर्ग किया। कहने की जरूरत नहीं कि मेरे हमउम्र लोगों के साथ ही साथ बिस्मिल मेरे अजीज आदर्श भी रहे हैं और रहेंगे। हमेशा। उनकी याद में एक कविता बिकुल अभी-अभी मैंने लिखी है, जो उनके जन्मदिन पर आपके सामने पेश कर रहा हूं। हो सकता है कि आप लोगों को पसंद आये:-
कोई मरना चाहता है, तो मर जाए।
कोई जिन्दा होना चाहता है तो जिन्दा होता रहे।
लेकिन कम से कम आज किसी के मरने-मराने की बात नहीं होनी चाहिए।
आज तो सिर्फ जिन्दा होने की बात होनी चाहिए।
जिन्दा कौमों के जन्मदिन की बात होनी चाहिए।
किसी अमर शख्सियत के नये सिरे से जिन्दा हो जाने की खुशखबरी की बात होनी चाहिए।
नये सूरज के जन्म की बात होनी चाहिए।
किसी विचार के जन्म के जन्म की बात होनी चाहिए।
किसी संकल्प के जन्म की बात होनी चाहिए।
लेकिन इसके साथ हमें इस बात का भी संकल्प लेना चाहिए कि:- हम जी कर जी होएंगे। मर कर हर्गिज नहीं मरेंगे।
जी हां, यही तो है शाहजहापुर में एक युवा और जाबांज पत्रकार की हत्या की असल कहानी की शुरूआत का असली किस्सा-प्रिफेस। अब चूंकि बिलकुल अभी-अभी शाहजहांपुर से लौटा हूं, तबियत पहले से ही खराब है, बीपी बेहिसाब उचक रहा है, घबराहट और अनमना-चिड़चिड़ापन असह्य हो रहा है। इसलिए यह बात की सिलसिलेबार बातचीत फिलहाल खत्म। यकीन मानिये, मैं मैदान छोड़ने वालों में नहीं हूं। सुबह आपकी सेवा में सदैव की तरह हाजिर रहूंगा। तब तक शुभरात्रि। नहीं दोस्तों, आज बिस्मिल जन्मेगा आज, के सूरज की पहली किरण के साथ और हम सक्रिय हो जाएंगे नये-नये जुझारू बिस्मिलों को पालने-पोसने की कवायद में। यकीन मानो दोस्तों, इस वक्त मैं बेहिसाब थका और निचुड़ा हुआ हूं।
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Kumar Sauvir : यूपी के अखबारों-चैनलों की महिमा अपरम्पार होती है। शाहजहाँपुर के जांबाज़ पत्रकार जोगेन्द्र सिंह को गुंडा-पुलिस और मंत्री ने सरेआम पेट्रोल डाल कर फूंक दिया, मगर इन पत्रकारों के कानों पर जून तक नहीं रेंगी। लेकिन जब इस काण्ड पर प्रदेशव्यापी हंगामा हुआ और फिर नतीजतन मंत्री पर हत्या का मुकदमा दर्ज़ हो गया तो कुछ समाचार-संस्थानों ने उसे ब्रेकिंग-न्यूज़ बना डाला। हालांकि अभी कई अखबार इस खबर को फिलर यानी भरतू खबर ही मान रहे हैं। ख़ैर, मैं शाहजहाँपुर पहुँच चुका हूँ। देखता हूँ कि जोगेन्द्र सिंह के मसले पर क्या-क्या पक रहा है।
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Kumar Sauvir : यह है उस पत्रकार का फेसबुक लिंक, जिसने अपनी मौत तो कुबूल कर ली, लेकिन अपराधी, नेता, मंत्री, पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही साथ पत्रकारों की चौकड़ी के खिलाफ लगातार युद्ध छेड़ ही रखा। इस शहीद पत्रकार की वाल पर आपको साफ दिखेगी जांबाजी की वह कहानियां, जिन्हें पढ़-देख कर लोगों को अपने दांतों तले उंगलियां काटना ही पड़ेगा। क्लिक करिए:https://www.facebook.com/jagendr