मध्यप्रदेश जनसंदेश : 50 कर्मचारियों को बिना बताएं निकाला गया
कर्मचारी को देने को पैसा नहीं, अधिकारियों को मिल रहे घूमने को फंड
मध्यप्रदेश जनसंदेश में मनामनी का आलम यह है कि बिना बताएं कर्मचारियों को निकाल दिया जा रहा है। अब पेपर बंदी की ओर अग्रसर हो चुका है। सेलरी लेने के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ रहे है। जीएम की मनमानी है जिसे चाहे सेलरी दे या नहीं। कई पूर्व कर्मचारियों को सेलरी नहीं दिए गए। जीएम अजय सिंह विषेन जी से जब सेलरी की बात करें तो उनका जवाब होता है आप ने तो नोटिस नहीं दिया लेकिन जिन 50 लोगों को नौकरी से निकाला गया है क्या उन्हें नोटिस दिया गया है। नहीं। ये मनमानी ही है। वहीं प्रोडक्शन मैनेजर दिग्विजय पाण्डेय कार्यालय महीनों से नहीं आ रहे है। उन्हें न तो निकाला गया है और नहीं सैलरी दी जा रही है।
अधिकारियों के लिए कई फंड है
वहां कर्मचारियों को सेलरी देने के लिए कंपनी के पास पैस नहीं है लेकिन मजेदार बात है कि अधिकारियों को घूमने के लिए कई तरह के फंड मालिकों ने दे रखे है। एचआर हेड रहे रवि तिवारी भी किनारे लगाए जा चुके है। इनके जाने से ही कंपनी दिनों-दिनों नीचे की ओर जा रही है। स्थानीय वाद और यूपी वाद कार्यालय में कई बार चला लेकिन पेपर को डूबाने में लोकल ही भूमिका निभाते रहे। ताजा हालात यह है कि लोगों को कम सैलरी पर काम करने को मजबूर किया गया है। जिन्होंने कम सैलरी पर काम करने से मना कर दिया उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ लोग है जिन्हें कही नौकरी नहीं मिल रही वो तो बेचारे वहीं पड़े है। बाकी 15लोग तो नमस्ते कर चुके है। बाहर का पूरा स्टॉफ लगभग जा चुका है। स्थानीय लोंगों को निकालने के लिए कंपनी की हिम्मत नहीं हो रही। पूरा खेल खेला जा रहा है ले किन मालिकों को कुछ पता नहीं है। वहां उनके कार्यालय में क्या हो रहा है। जबकि पूरे कार्यालय में सीसीटीवी लगा है। लोग दबी जुवान कहते है कि सीसीटीवी केवल दिखावा है वो चलता नहीं है। कहने को तो जीएम बहुत अनुभवी है। लेकिन वो कार्यालय के चपरासी से भी उलझ जाते है। उनका सारा दिमाग संपादकीय में लगा रहता है। बाकी कंपनी जाए भाड़ में। अपनी नौकरी बचाने में सबकों किनारे लगाया जा रहा है। कास्ट कटिंग की बात चल रही है।