अब हर साल होगा पत्रकारों का पुलिस वेरिफिकेशन
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय चाहता है कि प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) से मान्यता प्राप्त पत्रकारों का हर साल पुलिस वेरिफिकेशन किया जाए। इस कदम से खबर लेने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों और सरकारी विभागों तक जाने में पत्रकारों को कठिनाई हो सकती है।
गृह मंत्रालय ने पीआईबी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सरकार से मान्यता प्राप्त सभी पत्रकारों का उनके सरकारी कार्ड के सालाना नवीकरण के समय पुलिस सत्यापन जरूर हो। यह कार्ड पत्रकार को बिना किसी रोक-टोक के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तक पहुंचने की सुविधा देता है। सरकार से मान्यता प्राप्त ऐसे पत्रकारों की सख्या करीब ढाई हजार से ज्यादा है। कहा जाता है कि सरकार का यह कदम पेट्रोलियम मंत्रालय की जासूसी मामले का नतीजा है, जिसमें मंत्रालय के कर्मचारियों द्वारा अनेक गोपनीय दस्तावेज कॉरपोरेट घरानों को कथित रूप से लीक किए गए थे। इस मामले में कुछ मीडिया कर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। अभी तक मान्यता प्राप्त प्रेस पहचान पत्र के आधार पर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में जाने के लिए इन पहचान पत्र पर गृह मंत्रालय के सत्यापन की पुष्टि की प्रक्रिया अपनाई जाती थी।
तय प्रक्रिया के तहत पीआईबी गृह मंत्रालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की पुष्टि के लिए पहले मंजूरी प्राप्त करेगा। गृह मंत्रालय ने पीआईबी को भेजे एक पत्र में कहा है कि यह पुष्टि वार्षिक आधार पर संबंधित मीडियाकर्मी के पुलिस सत्यापन के बाद भी होगी। अब तक नई मान्यता के लिए पुलिस जांच जरूरी थी, लेकिन नवीनीकरण के लिए यह जरूरी नहीं थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसा देखा गया कि 2015 में जारी किए गए पहचान पत्र पर गृह मंत्रालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की पुष्टि से पहले पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी पत्रकार का पुलिस सत्यापन जीवनभर के लिए नहीं हो सकता और इसी वजह से इस विषय पर लंबे समय से मंत्रणा चल रही थी कि क्या प्रत्येक पत्रकार के निवास का सत्यापन अनिवार्य रूप से हर साल या तीन साल पर या प्रत्येक पांच साल पर कराना अनिवार्य किया जाए। विकल्प के रूप में पत्रकार हर साल पुलिसकर्मी के जांच के लिए अपने घर आने का इंतजार करने के बजाय संबंधित स्थानीय थाने से हस्ताक्षरित सत्यापन प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।