जनसंदेश की डूबती नाव पर सवार हुए गोविन्द श्रीवास्तव
हाल ही में दैनिक जागरण इलाहाबाद के जनरल मैनेजर पद से रिटायर्ड हुए गोविन्द श्रीवास्तव ने जनसंदेश टाइम्स वाराणसी के साथ जुड़कर अपने कैरियर की नयी पारी शुरू की है। उन्हे यहां बतौर सलाहकार नियुक्त किया गया है। उन्होने यह जिम्मेदारी ऐसे समय संभाली है जब रोज अटकलें लगाई जाती हैं कि कब जनसंदेश की आखिरी सांस टूटेगी। बनारस के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों के दिग्गजों को लेकर धमाकेदार शुरूआत करने वाले प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुश्ावाहा के कृपापात्रों का यह अखबार मालिकानों की गलत नीतियों के चलते बाजार से गायब हो चुका है। जुगाड़ की खबरों से कुछ प्रतियां छापकर अखबार के जिन्दा होने का रोज सबूत पेश किया जाता है। दफ्तर भी वीरान हो चला है। बचे सिर्फ वही हैं जिन्हे कोई दूसरा ठिकाना नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों को कब की सेलरी मिली है यह बताने में दिमाग पर जोर देना पड़ता है। कर्मचारियों के वेतन, पीएफ और प्रिन्टलाइन की धोखाधड़ी सहित कई फर्जीवाड़ों में फंसे मालिकों पर हमेशा कानूनी फंदा लटक रहा है। पीएफ विभाग की तरफ से तो 7ए की कार्रवाई के साथ ही सरकारी धन के गबन की प्राथमिकी चेतगंज थाने में दर्ज करायी गयी है। गोरखपुर के कर्मचारियों के बकाये वेतन के मामले में तो लेबर कोर्ट से बकायदे आरसी जारी हो चुकी, जिसके तहत कभी भी कुर्की-नीलामी की कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसे समय में गोविन्द श्रीवास्तव का ज्वाइन करना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कोई कह रहा है कि अपनी नौकरी बचाने के लिए मालिकानों को फंसा के रखने में माहिर जीएम सीपी राय और एकाउंटेंट अतुल विश्वकर्मा की जोड़ी की चालबाजी को प्रबंधन समझ गया है और इन लोगों से पिंड छुड़ाने के लिए गोविन्द श्रीवास्तव को अपने साथ जोड़ा है। अखबार पर कसते कानूनी फंदे के लिए मालिकान कुछ हद तक सीपी राय और अतुल विश्वकर्मा को दोषी मानता है। क्यों कि अखबार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले अधिकांश लोग इस युगल जोड़ी के खास माने जाते रहे हैं, वहीं विवाद की शुरूआत में इन दोनों ने अपनी ऐसी भूमिका अदा कि जिससे मामले अब गंभीर रूप लेते जा रहे हैं। जिससे मालिकानों का बचना मुश्किल है। मामला जो भी हो लेकिन इतना तो तय लगता है कि अब सीपी राय और अतुल विश्वकर्मा की जोड़ी का मनमाना खेल नहीं चलने वाला है। वहीं एक चर्चा यह भी है कि मालिकान अखबार का शटर गिराते समय कानूनी लफड़ों को मैनेज करने का गोविन्द श्रीवास्तव से सौदा किया है। गोविन्द श्रीवास्तव के जनसंदेश से जुड़ने से पूर्व ही मालिकानों ने अखबार के प्रमुख विकेट विज्ञापन मैनेजर रवि श्रीवास्तव को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सच्चाई जो भी हो वर्तमान हालात देखकर यही लगता है कि जनसंदेश को पुन: बाजार में स्थापित करना किसी आदमी के बस की बात नहीं, यदि ऐसा होता है तो वह किसी जादू से कम नहीं होगा।