सीएनएन-आईबीएन ने इसलिए अपने दर्शकों के साथ किया धोखा…
सीएनएन-आइबीएन का एक्सिस-एपीएम सर्वे एजेंसी से करार था..वो अपने दर्शकों से धमाकेदार प्रोमो के साथ वादा कर रहा था कि सबसे पहले और चौंकानेवाले एक्जिट पोल के नतीजे पेश करेगा लेकिन.. प्रोमो के बाद उसने एक्जिट पोल पर इस कार्यक्रम के प्रसारण का इरादा बदल दिया..ऐसा मेरी याद में शायद पहली बार हुआ होगा कि किसी चैनल ने जिस प्रोमो पर लाखों रूपये खर्च किए हों वो कार्यक्रम ही न दिखाए अब जबकि बिहार के चुनावी नतीजे की तस्वीर साफ हो गई है, इसकी वजह बेहद साफ दिखाई देती है.
एक्सिस ने महागठबंधन को 169-183 के करीब और भाजपा को 58-70 और सहयोगियों को 3-7 सीट की बात की थी..मतलब एनडीए की बुरी तरह हार.. चुनावी नतीजे के पहले स्वाभाविक था कि रिलांयस इन्डस्ट्रीज का ये चैनल अपनी सरकार की पार्टी को इस कदर शर्मसार नहीं कर सकती थी..नतीजा इस व्यावसायिक करार के बावजूद इसने प्रसारण नहीं किया और एजेंसी ने साइट पर अपनी खबर प्रकाशित कर दी और बाकी के चैनलों के लिए भी इस्तेमाल करने पर कोई दिक्कत नहीं की बात कहीं. हम सब जानते हैं कि जी न्यूज के मुखिया सुभाष चंद्रा खुलेआम रैलियों में बीजेपी के लिए वोट देने की जनता से अपील करते हैं, हमें पता है कि टीवी 18 रिलांयस इन्डस्ट्री समूह का चैनल है( वार्षिक रिपोर्ट भी देखें) लेकिन इस तरह दर्शक के साथ खुलेआम धोखा चैनल की रही सही साख को भी खत्म कर देगा.
ये जनादेश मेनस्ट्रीम मीडिया के उन तमाम पार्टी कार्यकर्ता टाइप के मीडियाकर्मी के खिलाफ है… ये जनादेश न्यूज 24 और टुडेज चाणक्य की ब्रांड इमेज को डेंट मार गया. कांग्रेसी चैनल होने के बावजूद टुडेज चाणक्य के सहयोग से ये चैनल अच्छे दिन की सरकार के लिए भरोसेमंद बनने की कोशिश कर रहा था, वो भरभराकर गिर गया. न्यूज 24 पहले से भी कबाड़ चैनल रहा है, अब और कबाड़ा हो गया..पार्टी बदलने से राजनीति चमक सकती है लेकिन मीडिया इस फार्मूले पर काम नहीं करता..उसके लिए एक ही पार्टी है- विश्वसनीयता.
ये जनादेश जितना चुनाव को इन्डस्ट्री में तब्दील कर दिए जाने के खिलाफ है, उतना ही मेनस्ट्रीम मीडिया के कार्यकर्ता की शक्ल में पेश आनेवाले के खिलाफ हैं. ये उन एंकरों के खिलाफ है जो न्यूजरूम में होकर भी पार्टी कार्यालय की मानसिकता से बात करते हैं.. बाकी, सोशल मीडिया जिंदाबाद..इसने न्यूज चैनलों से ज्यादा संवादधर्मिता बनाए रखी..जो एक खास पार्टी के समर्थन में लिखते रहे वो भी हमारी बात सुनते रहे..और हमें भी उनसे बात करते रहना जरूरी लगता रहा..हम जैसे लोग बस यही कामना करते हैं कि ये समाज पढ़ने-लिखनेवाले, सोचनेवाले की दुनिया से आबाद रहे..सरकार चाहे जिसकी भी हो वो ये समझे कि हम असल सवालों से मुंह चुराकर किन सवालों की प्राइम टाइम में झोंकते जा रहे हैं.
सिर्फ एनडीटीवी की ही नहीं, आजतक सहित कई महिला मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी… एनडीटीवी की मीडियाकर्मी भैरवी सिंह के साथ बदसलूकी की बात की जाने के बाद अब आजतक की मौसमी सिंह सहित दूसरे कई मीडिया संस्थानों की मीडियाकर्मी के साथ संस्कृति रक्षकों और तथाकथित देश में सहिष्णुता का विस्तार करनेवाले प्रदर्शनकारियों की ओर से बदतमीजी करने का मामला सामने आया है. भैरवी सिंह के बारे में संस्कृति रक्षकों ने यहां तक कहा कि उसके मुंह से शराब की बू आ रही थी, खुद लोगों को उकसाने का काम किया, लोगों को गुंडा कहा लेकिन आजतक की मौसमी सिंह सहित कई दूसरे चैनलों की ओर से एक-एक कर शिकायत सामने आने लगी है. हम उम्मीद करते हैं कि रातभर तक इन सभी को नशे में धुत्त, उकसानेवाली और इनके साथ जो कुछ भी हुआ, वो इसी लायक हैं, वीडियो सहित बयान तैयार होंगे.
युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.
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