द ग्रे‍टेस्‍ट दंगल। मुकाबला चींटी दारोगा और हाथी आईजी के बीच

navanit-sikera-ais-hathi-meribitiyaकुमार सौवीर (मेरी बिटिया डॉट कॉम से सभार)

लखनऊ : दुनिया के महानतम कुश्‍तीबाज किंग-कांग और दारा सिंह तक की आत्‍माएं बेचैन हैं। पूरा कुश्‍ती जगत उन्‍मादित और हर्षित है इस अपने अनोखी किस्‍म के दंगल और कुश्‍ती को लेकर। कब किस का दांव किस पर कैसा कैसा पड़ेगा और किस के किस दांव पर कौन कैसा बचाव कर दूसरे को धोबी-पाठा मारेगा, यह देखने के लिए पूरे प्रदेश में भारी सरगर्मी फैली हुई हैं। हाथी के लिए जोशीले नारे तो खूब लगाये जा रहे हैं, क्‍योंकि हाथी तो हाथी ही है। न जाने किस को कैसे रौंद डाले। लेकिन चींटी के पीछे मूक समर्थनों और दुआओं का बाकायदा एक सैलाब उमड़ता दिख रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि चिडि़याघर के बगले वाले पुलिस मुख्‍यालय में अब यही सब दांव-पेंच को लेकर रस्‍साकशी का तौल-बांट चल रहा है।

जी हां, यह दंगल है अपने अनोखे किस्‍म का। इसमें एक पिद्दी भर के एक दारोगा को एक आईजी जैसी एक अजीमुश्‍शान हैसियत-शख्सियत ने जमीन सुंघाने का संकल्‍प ले लिया है। हाथी ने तय कर लिया है कि वह इस चींटी का नामोनिशान तक पुलिस दुनिया में दागदार कर देगा। चींटी की हालत वह ऐसी कर देगा, ठीक जैसा गदर फिल्‍म में सनी देओल पाकिस्‍तान की पुंगी बजाने के लिए लाहौर तक घुस कर किया था। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह आईजी नामक यह हाथी के हाथ उस चींटी नुमा दारोगा की लंगोट तक पहुंच भी पाये हैं या नहीं। लेकिन इस मामले में क्षण-प्रति-क्षण रोमांचक घुमाओं की सम्‍भावनाओं और आशंकाओं से राजनीति से लेकर आम आदमी और आला अफसरों से लेकर अदना सा पुलिसवाला तक बावला दिख रहा है। कोई किसी के समर्थन में है तो कोई किसी के विरोध में। सब के अपने-अपने दांव हैं, अपने-अपने विरोध हैं और अपनी-अपनी रूचियां हैं। लेकिन हर शख्‍स इन दोनों को बाकायदा ललुहाने में कसर नहीं छोड़ रहा है।

इस दंगल में चीता-हाथी है पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी नवनीत सिकेरा, जो पिछले लम्‍बे समय से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने वीमंस हेल्‍पलाइन 1090 के मुखिया बने हुए हैं। इस हेल्‍प लाइन ने महिला सुरक्षा के लिए महान प्रयास किये हैं, जिनमें से करीब पांच महीना पहले जौनपुर में एक प्रेस-कांफ्रेंस और कुछ लोगों से बातचीत की थी। इसके बाद से ही यह हेल्‍पलाइन लगातार कोशिश में है। हालांकि ऐसी कोशिशों का कोई अंजाम आम आदमी को नहीं दिखायी पड़ पाया है, सिवाय इसके कि यह आम पीडि़त महिलाओं की सुनवाई के लिए हेल्‍पलाइन के फोन ही नहीं उठते हैं। और अगर ऐसे फोन उठते ही हैं, तो देर रात किसी न किसी निर्दोष को भयभीत करने के लिए ही। इस चीते की पहचान का जायजा लेने के लिए आप 17 जुलाई-14 को लखनऊ के मोहनलाल गंज इलाके में एक रक्‍तरंजित महिला की लाश के विवेचना पर देख सकते हैं, जिस वक्‍त नवनीत सिकेरा लखनऊ के डीजाईजी थे। लेकिन खुद आगे बढ़ने के बजाय, महिला सुरक्षा प्रकोष्‍ठ के नाम पर बने एक समानान्‍तर विभाग की मुखिया और वरिष्‍ठ आईपीएस सुतापा सान्‍याल से बाकायदा झूठ बोलवा दिया गया था।

बहरहाल, इस चींटी-दारोगा के खिलाफ इस हाथी आईजी की रार पर बातचीत बाद में होगी। पहले तो यह समझ लीजिए इस आईजी साहब-बहादुर ने इस पिद्दी भर के दारोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। इसके लिए वह आईजी साहब बहादुर खुद थाने पर गये और अर्जी लिख कर थमा आये कि इस चींटी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ही। बस्‍स्‍स्‍स्‍स्‍स।

फिलहाल तो यह समझ लीजिए कि इस हाथी ने तय कर लिया है कि वह इस चींटी को नेस्‍तनाबूत कर देगा। उधर चींटी इस जुगत में है कि कैसे वह इस हाथी की सूंड में घुस जाए। लेकिन दिक्‍कत तो यह है कि यह हाथी लखनऊ में है, जबकि वह चींटी झांसी पर तैनात है। ऐसे में भारी प्रॉब्‍लेम यह है कि झांसी तक यह हाथी कैसे पहुंचे, जबकि चींटी के लिए कोई भी दिक्‍कत नहीं है। वह जब भी चाहे, झांसी से बिना टिकट भी एसी में बैठकर इस दंगल में अपने दांव-पेंच दिखा सकता है। सूंड़ में घुसने का लाजवाब विकल्‍प तो खैर है ही इस चींटी के पास। समस्‍या तो हाथी के सामने है, वह चींटी के कहां घुस जाए।

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