अनुरंजन झा ने ‘सांसद’ भागवंत मान को बोला- शराबियों पर शो होगा, तो आपको जरुर बुलाएंगे…
अनुरंजन झा
वरिष्ठ पत्रकार
साल 2009 की बात है, इंडिया न्यूज में बतौर न्यूज डायरेक्टर चैनल का कामकाज देख रहा था। तकरीबन एक साल बीत गए थे, तमाम बाधाओं के बीच चैनल धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा था। कमोबेश चैनल की टीम भी ठीक थी, कई सारे ऐसे सहयोगी थे जो बाद में कई चैनलों के कर्ता-धर्ता बने, कई आज राजनीति के गलियारों में अच्छी पैठ रखते हैं, कई खिलाड़ी वहीं आज भी मौजूद हैं और कुछेक पठन-पाठन में व्यस्त।
यह वो दौर पर था जब न्यजू चैनलों पर तरह-तरह के प्रयोग हो रहे थे। इंडिया टीवी पर कुछेक नये प्रयोग हम आजमा चुके थे जो सफल भी रहे थे। सभी न्यूज चैनल यू ट्यूब से वीडियो निकाल कर या फिर मनोरंजन चैनलों के कार्यक्रम के आधे-आधे घंटे के कैप्सूल बनाकर दिखाते और टीआरपी बटोरते।
राजू श्रीवास्तव का दौर था और उसी बीच कई दूसरे स्टैंडअप कॉमेडियन अपनी पहचान बना रहे थे। कपिल शर्मा के दिन अभी शुरु नहीं हुए थे। हंसी के फव्वारे, हंसी की फुलझड़ी, कॉमेडी किंग और न जाने क्या क्या न्यूज चैनलों पर दिन भर चलते।
हमने तय किया कि जिन हास्य कलाकारों के वीडियो हम दूसरे चैनलों से लेते हैं उनकी जगह उन कलाकारों को ही जगह दी जाए। हमारी बात मैनेजमेंट ने मान ली और तय हुआ कि कुछ हास्य कलाकारों के साथ साप्ताहिक कार्यक्रम बनाए जाएँ। वैसे इंडिया न्यूज पर टीवी के कलाकारों और दूसरे टीवी और फिल्म सेलिब्रेटी के साथ अलग-अलग कार्यक्रम हम कर रहे थे।
एक हमारे वरिष्ठ सहयोगी की जिम्मेदारी थी कि चैनल के इस किस्म के चंद स्पेशल शो बनाएं। चार लाइना वाले सुरेंद्र शर्मा भी आते और बड़ी संजीदगी से अपनी बात कह जाते। हास्य को लेकर एक साप्ताहिक शो रिकॉर्ड किया जाता, आज का ‘आप’ का एक जाना माना चेहरा उन दिनों इसी पेशे में था। उन के पास उन दिनों ज्यादा काम नहीं था और कुछ संपर्कों से वो मैनेजमेंट तक अपनी पैरवी कराने में सफल हुए।
लिहाजा अब वो एक साप्ताहिक हास्य कार्यक्रम में बतौर एंकर आने लगे। जनाब एक-दो हफ्ते तो ठीक रहे या फिर शुरु में टीम ने इग्नोर कर दिया होगा। बाद में कार्यक्रम को प्रोड्यूस करने वाली कुछ महिला सहयोगियों ने दबी जुबान में शिकायत की। शो इंचार्ज ने मामले को संभाला और बात आई गई हो गई। जो लोग चैनलों में काम करते हैं वो जानते होंगे कि हर शो की रिकार्डिग स्टूडियो निर्धारित समय से लिये दिया जाता है। सिस्टम ठीक से चले इसके लिए हर घंटे का हिसाब रखना होता है। जब स्टूडियो का एक दिन मैं आकलन कर रहा था तो पाया कि एक किसी खास शो की रिकार्डिंग में वक्त कुछ ज्यादा ही लगता है और यह लगातार तीन हफ्ते हुआ है।
बाद में जानकारी मिली की जनाब हर रिकार्डिंग में नशे में आते हैं और बोलना कुछ और चाहते तो मुंह से कुछ और निकलता है लिहाजा रीटेक ज्यादा होते हैं और वक्त ज्यादा लगता है। हमने इंचार्ज से कहा कि अगले शो में अगर ये फिर नशे में हों तो हमें जानकारी दी जाए। अगले शो में फिर वैसा ही हुआ आदत से मजबूर ये शख्स फिर नशे मे आया और ज्यादा ही पी ली थी। हमें जानकारी दी गई और हमने कहा कि इन्हें चाय पिलाई जाए और रिकार्डिंग रद्द कर दी जाए, और चाय इनको PCR यानि प्रोडक्शन कंट्रोल रुम में ही पिलाई जाए, ऐसा इसलिये क्यूंकि PCR में टॉकबैक पर मेरी आवाज मेरे केबिन से सीधे सुनाई जा सके। ऐसा ही हुआ मैंने टॉकबैक ऑन किया और कहा कि साहब जी को चाय पिलाओ और रिकॉर्डिंग रद्द कर दो। करार के अनुसार इनको शो के पैसे मिलेंगे, आज का शो रद्द तो आज का पैसा रद्द और हां यह अगर अगली बार नशे में आए तो गर्दन में हाथ लगाकर दरवाजे तक छोड़ आना, जब हम शराबियों पर कोई कार्यक्रम बनाएंगे तो इन्हें जरुर बुलाएंगे।
तमतमाए शख्स अपना बोरिया बिस्तर समेट बड़बड़ाते हुए चले गए, क्या बोला इसकी सही जानकारी नहीं मिली क्योंकि सही तरीके से बोल नहीं पाए शायद। मैनेजमेंट में जाकर मेरी शिकायत की, और उनको वहां से भी वही जवाब मिला, जब हम शराबियों के लिए कोई शो बनाएंगे तो जरुर बुलाएंगे, या फिर आप नशे से बाहर आएँ। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि यह शख्स कोई और नहीं आप के सम्मानित सांसद और पंजाब में प्रमुख चेहरे भगवंत मान हैं। यह देश का दुर्भाग्य है कि आज ऐसा शख्स संसद में बैठा है। और अरविंद केजरीवाल के लिए तो गब्बर का डायलॉग याद आता है, ठाकुर ने ….. की फौज बनाई है।
साभार: मीडियासरकारडॉटकॉम