CBI ने न्यूयार्क टाइम्स को भेजा नोटिस, कहा-NDTV के मामले में प्रेस की आजादी हमें मत पढ़ाओ

एनडीटीवी के मालिक प्रणव राय व उनकी पत्नी राधिक राय के आवास पर छापेमारी को लेकर न्यूयार्ट टाइम्स में छपी संपादकीय पर सीबीआई ने एतराज जाहिर किया  है। संपादक को भेजे नोटिस में सीबीआई ने कहा है कि छापेमारी से जुड़े तथ्यों को नजरअंदाज कर एकतरफा विचार व्यक्त किए गए हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि यह कार्रवाई सिर्फ लोन के संबंध में नहीं हुई बल्कि एनडीटीवी प्रमोटर पर दबाव बनाने की मंशा से हुई है। यह सरासर गलत है। इतना ही नहीं सीबीआई प्रवक्ता ने संपाद को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि-भारत को प्रेस की आजादी को लेकर टाइम्स से पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है। दरअसल जब प्रणव राय के ठिकाने पर छापेमारी हुई थी तो न्यूयार्क टाइम्स ने बीते सात जून को  India’s Battered Free Press शीर्षक से संपादकीय प्रकाशित कर कार्रवाई की आलोचना की थी।

सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने कहा है कि प्रणव राय और राधिका राय के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की ओर से 2011 से केसेज की जांच चल रही है।  मगर संपादकीय में इस तथ्य को दबा दिया गया। मौजूदा समय सीबीआई पांच बिलियन डॉलप की लोन  अनियमितता से जुड़े सौ से अधिक आपराधिक मामलों की जांच कर रही है।  सभी डिफाल्टर्स के खिलाफ एक्शन किया जाता है। इसमें छापेमारी से लेकर प्रॉपर्टी जब्त करने जैसी कार्रवाईयां शामिल हैं। आईसीआईसीआई बैंक से लोन लेने, फंड मोबलाइजेशन में अनियमितता और टैक्स पेमेंट में भारी गड़बड़ी सामने आई। जिसके बाद एक्शन हुआ।

सीबीआई ने न्यूयार्क टाइम्स को भेजी नोटिस में कहा है कि आपकी संपादकीय में लिखा गया है कि एयरबेस हमले से जुड़ी रिपोर्टिंग करने के लिए एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाया गया। जबकि यह निर्णय भलीभांति जांच के बाद लिया गया। जिसमें बकायदा एनडीटीवी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। सीबीआई के मुताबिक कोई भी लोकतांत्रिक देश सुरक्षा और जनहित को ताक पर रखकर अराजक रिपोर्टिंग को छूट नहीं दे सकता।

सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने संपादक को लिखे पत्र में कहा है कि एनडीटीवी के खिलाफ चल रही जांच में सब कुछ कानून सम्मत हो रहा है।  भारत के पास निष्पक्ष न्यायपालिका है।  सभी को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता हासिल है। कोई भी परेशानी होने पर हर व्यक्ति कोर्ट की शरण ले सकता है। टाइम्स से भारत को प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़ा पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं। आरके गौर के मुताबिक हमारे देश की संस्थाएं और परंपराएं, सांस्कृतिक विरासत बहुत हमेशा से समृद्धशाली रहा है।

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