दैनिक भास्कर में लगातार कतरे जा रहे हैं यूपी-बिहार के लोग

bhaskarदैनिक भास्कर में अब बिहार और यूपी के लोग सुरक्षित नहीं हैं…हैं भी तो सिर्फ नाम मात्र के क्योंकि यहां इन लोगों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। न तो इनका यहां ठीक से इंक्रीमेंट होता है और न ही इनको समय से प्रमोशन मिलता है। हां यहां एक बात तो बहुत अच्छी है कि यदि आप मध्य प्रदेश और राजस्थान के हों तो आपपर मालिकों और संपादकों की कृपा लगातार आती रहेगी। पर यदि आप बिहार और यूपी के रहने वाले हैं तो आपको कृपा के लिए दूसरे ही दरबार में दर्खास्त लगानी पड़ेगी। हालत यह है कि यदि मध्य प्रदेश और राजस्थान का कोई बंदा यहां ऊपर के पदों के लिए नहीं मिलता है तो ही यहां अन्य प्रदेशों के लोगों को तरजीह दी जाती है नहीं तो यहां यूपी और बिहार के लोगों को जमकर कतरा जा रहा है। ताजा उदाहरण आप झारखंड को ले सकते हैं। जब वहां अखबार लांचिंग का मामला आया तो रांची में राघवेंद्र और जमशेदपुर में संतोष मानव को जगह दी गई पर अखबार जैसे ही पैर पर खड़ा हुआ इन दोनों लोगों को किनारे कर दिया गया। अब वहां भी कोई मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोगों को सत्तासीन कर दिया जाएगा। आप यह सोच रहें होंगे कि ऐसा संपादक ही सोचते हैं तो आप गलत हैं। मालिकान भी ऐसे ही सोचते हैं।
पिछले दिनों कंपनी के निदेशक रमेश चंद्र अग्रवाल रायपुर में संपादकीय और अन्य विभागों की मीटिंग लेने पहुंचे थे। तो किसी ने उन्हें बताया कि रायपुर या कहिए छत्तीसगढ़ में इस समय खूब माइग्रेशन हो रहा है। यहां लोग बिहार औऱ यूपी से खूब आ रहे हैं। एक प्रकार से यहां उनका कब्जा होता जा रहा है। इसी पर यहां के स्थानीय संपादक आनंद पांडेय ने रमेश चंद्र अग्रवाल से कान में कहा कि संस्थान में भी इन लोगों का कब्जा हो गया है। फिर रमेश चंद्र अग्रवाल को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने कहा कि आप जितने बिहार और यूपी के लोग हैं हाथ खडॉ करें। तो सभी ने हाथ खड़े कर दिए। हालांकि बात का कोई दूसरा मतलब नहीं निकले तो उन्होंने कहा कि मैं देखना चाहता था कि इससे अखबार पर क्या प्रभाव पड़ता है। अखबार इन लोगों के लिए क्या कर सकता है और कहां परिवर्तन करने की जरूरत हैं। सूत्र बता रहे हैं कि रायपुर में कुछ आठ लोग बिहार और यूपी से थे। पर अब यहां सिर्फ एक बंदा बचा है। सात लोगों ने इस्तीफा देकर नए संस्थान का रूख कर लिया है। कुछ मिलाकर भास्कर यूपी और बिहार वालों के लिए काल की खाई बनता जा रहा है। एक तरफ प्रबंधन बिहार, झाऱखंड और यूपी में अखबार लांच करता जा रहा है दूसरे यहां के लोगों से ही दुश्मनी करता जा रहा है यह न केवल संस्थान के लिए बल्कि अखबार के भविष्य के लिए भी खतरनाक है। 

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