देशबंधु अखबार के ब्यूरो चीफ देवशरण तिवारी को पुलिस ने फर्जी मामलों में फंसाया

बस्तर में ईमानदार और निरपेक्ष पत्रकारों पर हमले जारी हैं। इस बार पुलिस ने षड्यंत्र कर तीन माह पुराने मामले में देशबंधु बस्तर के ब्यूरोचीफ व छत्तीसगढ़ सरकार के अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार देवशरण तिवारी का नाम चालान पेश करते समय न केवल आरोपियों की लिस्ट में जोड़ा बल्कि उन्हें फरार भी बताया है। ज्ञात हो कि तीन माह पूर्व बस्तर परिवहन संघ के दो गैंग के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इस पूरे मामले को लेकर देवशरण ने खुद लगातार समाचार कवरेज किया था। देशबंधु कार्यालय के ठीक बगल में स्थित बस्तर परिवहन संघ के कार्यालय को सील करते समय पुलिस ने पंचनामा में देवशरण का भी हस्ताक्षर कराया था।

यही नहीं, इन तीन माह में देवशरण को पुलिस विभाग के कई पत्रकार वार्ता में भी बुलाया गया पर पुलिस ने कोर्ट में झूठा चालान पेशकर उन्हें फरार बताया है। देवशरण तिवारी को पिछले वर्ष पीयूसीएल की ओर से मानवाधिकार की पत्रकारिता के लिए निर्भीक पत्रकारिता सम्मान दिया गया था। दक्षिण बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह का मानना है कि देवशरण खुद सरकारी अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हैं पर उनसे कोई पूछताछ किये बिना गंभीर आपराधिक प्रकरणों में उन्हें सह आरोपी बनाए जाने के पीछे बस्तर में बनाये गए डरावने माहौल के बीच भी बिना डरे उनके द्वारा की जा रही निर्भीक पत्रकारिता ही है। प्रभात सिंह खुद भी पिछले वर्ष तीन माह जेल होकर आए हैं और अभी जमानत पर हैं। इनके अलावा तीन और पत्रकार पिछले वर्ष नक्सली सहयोगी बता का जेल भेजे गए थे, जिसमे अनवर खान और सोमारू नाग बाईज्जत बरी हो गए जबकि संतोष यादव अभी जमानत में हैं।

पत्रकार देवशरण ने बताया कि सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम, सीपीआई नेता मनीष कुंजाम और सोनी सोरी पर हमले की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस द्वारा बनाये गए संगठनों के कई पदाधिकारियों ने उन्हें कई बार फंसाये जाने की धमकी दी थी। देवशरण के अनुसार पुलिस ने जिस गैंगवार के मामले में उसे आरोपी बनाया है उसमें एक पक्ष का प्रमुख मनीष पारेख है जो बदनाम और भंग हो चुके सामाजिक एकता मंच का प्रमुख और स्थानीय विधायक का भाई है। अग्नि और सामाजिक एकता मंच के द्वारा पूर्व आईजी के सरंक्षण में जब सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं और पत्रकारों पर हमले किये जा रहे थे और आतंक का माहौल बनाया गया था, तब देवशरण ही उन इक्के दुक्के पत्रकारों में शामिल थे जो सच को देश के सामने ला रहे थे।

ज्ञात हो कि बस्तर और पूरे प्रदेश में पत्रकारों को फर्जी मामलों में फंसाकर डराए जाने के खिलाफ पिछले वर्ष प्रदेश भर के पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन किया था, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने प्रतिनिधि मंडल से बात करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा की थी। इस समिति की पिछले एक साल में अभी तक किसी बैठक होने की खबर नहीं है। तय हुआ था कि इस समिति द्वारा जांच के बाद ही किसी पत्रकार के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा सकेगा।

इस सम्बंध में बस्तर पुलिस अधीक्षक शेख आरिफ ने बताया कि गैंगवार प्रकरण का चालान शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया गया है। इस प्रकरण में कोई आरोपी पत्रकार भी है, यह उनकी जानकारी में नहीं है। उन्होंने बताया कि अभी वे जगदलपुर से बाहर हैं। अतः आकर ही बता पाएंगे कि पत्रकार के खिलाफ प्रकरण निर्धारित प्रक्रिया से हुई है या नहीं। उन्होंने सरकार द्वारा पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर कोई उच्चस्तरीय समिति बनाये जाने की जानकारी होने से इनकार किया।

आप नेता सोनी सोरी ने बस्तर पुलिस पर पत्रकारों डराने के लिए षड्यंत्र करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि खुलेआम षड्यंत्र कर फर्जी तरीके से तीन माह पुराने मामले में पत्रकार देवशरण को फंसाकर बस्तर पुलिस ने जता दिया है कि उन्हें रमन सरकार द्वारा बनाये किसी समिति की परवाह नहीं है। प्रदेश में पिछले दो वर्ष से संघर्ष कर रहे पत्रकार सुरक्षा संयुक्त संघर्ष समिति जुड़े तामेश्वर सिन्हा ने इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज करने और पत्रकार देवशरण के खिलाफ मामला तत्काल वापस लेने अन्यथा प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।

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