पत्रकार राजेन्द्र प्रसाद पर जानलेवा हमले पर न हुई गिरफ़्तारी न दिखा संघठन

वाह रे उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के संघठन,, पत्रकार मार खा रहे है और ये संघठन के पदाधिकारी मलाई खाने में लगे है, यहाँ प्रदेश में प्रेस क्लब भी हैं जिसके नाजायज़ कब्जेदार 38 साल से पत्रकारों के नाम पर लाखों रूपये महीने कमा रहे हैं, लगे राहों, मलाई भी खाओं, मॉल भी कमाओ, लेकिन जब कोई साथी पत्रकार मार खाये तो साथ तो आओ, मान्यता प्राप्त समिति के चुनाव के लिए तो घर घर जाओगे जब मुसीबत आएगी तो मुँह छिपाओगे, तुम भी मार खाये हों, हमने साथ निभाया था, देर रात हज़रतगंज में अपना पसीना बहाया था, खुद को बड़ा समझते हों बड़प्पन सिर्फ मॉल और मलाई में, कब पत्रकार के दुखों में साथ निभाओगे, सरकारी बंगलो से निकल कर हमारे घाव पर मरहम लगाओगे, साथी पत्रकार को कैंसर होता है देखने नही जाओगे, जब जान से जायेगा तो सिर्फ शोकसभा में फ़ोटो खिचवाओगे, यही हाल रहा तो अबकी चुनाव में लंगोट खुल जायेगी, चुनाव न लड़ पाओगे, दशहरा भी आने वाला हैं राव ण बच न पायेगा, पत्रकारों के संघठन के नाम से सालों से कलम को बेचा है, पेंटहाउस में कैसे रह पाओगे, जलेगा राव ण का पुतला तुम भी जल जाओगे ।। कब तक इनसे उम्मीद करोगे, खुद को मज़लूम।बेसहारा मानोगे, अपनी ताक़त को पहचानों, खुद अपनी पहचान बनो, संघठित हो इस्तेमाल न हों, तुमको भीड़ दिखाकर इन नेताओं ने अपना मतलब निकाला है, अपनी पहचान खुद ही बना डालों वर्ना बिकते रहोगे और ये बेचते रहेंगे, इनका आशियाना भी होगा और सरकारी बंगला ठिकाना होगा, तुम किराया के फेरे में अपना झोपड़ा बचाते रहना।।

Shekhar Pandit
पत्रकार ;

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