आधार के डाटा में सेंध का दावा करने वाले अखबार ‘द ट्रिब्यून’ के खिलाफ FIR
यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने ‘द ट्रिब्यून’ और उसकी रिपोर्टर के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई है. अखबार की रिपोर्टर ने एक खबर के जरिए दावा किया था कि कैसे लोगों के आधार कार्ड की जानकारी पैसों के बदले बेची जा रही है.
इस एफआईआर में रिपोर्टर रचना खेड़ा और उन्होंने जिन लोगों से संपर्क किया था उनका भी नाम शामिल है. दिल्ली के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (क्राइम) ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर की पुष्टि की है कि इस संदर्भ में एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस मामले में एफआईआर होने की आलोचना की है. यह एफआईआर आईपीसी की धारा 419 (वेश बदलकर धोखा देने), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 468 (जालसाजी) और धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) और आईटी एक्ट की धारा 66 और आधार एक्ट की धारा 36/37 में दर्ज की गई है.
ट्रिब्यून की खबर के प्रकाशित होने के बाद UIDAI ने कहा था कि बायोमैट्रिक डाटा हासिल करने की खबर झूठी थी. UIDAI के चंडीगढ़ स्थित दफ्तर ने ‘द ट्रिब्यून’ को एक खत भी भेजा है. इस खत में कहा गया है कि आधार का बायोमैट्रिक डाटा हासिल करना किसी के लिए भी संभव नहीं है. इस खत के जरिए अखबार से पूछा गया है कि क्या उसके रिपोर्टर ने किसी के फिंगर प्रिंट या आंखों की पुतलियों का रिकॉर्ड देखा था या हासिल किया था? अखबार के पत्रकार ने कितने आधार नंबरों की जानकारी ली थी और ये आधार नंबर किन-किन के थे?
अखबार के मुताबिक उनकी तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा. जिसके बाद एजेंट ने केवल 10 मिनट में ही एक गेटवे दे दिया और लॉग-इन पासवर्ड दिया. उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई.
इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था. अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी मिली थी.