राष्ट्रीय सहारा में बतौर दूसरी पारी सीनियर ग्रुप एडिटर के रूप ज्वाइन किया वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडे ने
वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडे ने अपनी नई पारी की शुरुआत सहारा न्यूज नेटवर्क के प्रिंट एडिशन से की है। उन्हें राष्ट्रीय सहारा (हिंदी व उर्दू) में बतौर सीनियर ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके पहले वे एक वर्ष तक प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ (ANI) में कार्यरत थे। वे ‘एएनआई’ में अंग्रेजी प्रिंट व डिजिटल के संपादक रहे थे।
सहारा समूह के साथ ये उनकी दूसरी पारी है। सहारा समूह में वापसी के बाद वे समूह के सीईओ व प्रधान संपादक अरूप घोष और सीईओ गौतम सरकार को रिपोर्ट करेंगे। दस साल पहले वे सहारा समूह के साथ जुड़े थे। उस वक्त वे दिल्ली एडिशन के स्थानीय संपादक हुआ करते थे। पटना एडिशन की लॉन्चिंग में उनकी अहम भूमिका रही है। 17 साल की पहली पारी के दौरान वे बतौर एंकर सहारा टीवी पर नजर भी आते थे। कश्मीर और नार्थ ईस्ट पर उनके शो काफी उल्लेखनयी रहे हैं। इस दौरान वे वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के साथ शो एंकर किया करते थे।
ओंकारेश्वर पांडे की गिनती ऐसे पत्रकारों में होती है, जिन्हें हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में महारथ हासिल है। ओंकारेश्वर पांडे पिछले तीस सालों से भी ज्यादा समय से पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं और छह बार हिंदी के अलावा अंग्रेजी व भोजपुरी पत्र पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं। उन्होंने प्रिंट, टेलिविजन, रेडियो और डिजिटल मीडिया में लंबे समय तक सफलतापूर्वक काम किया है और अनेक विषयों पर शोधपरक पत्रकारिता करके गुड प्रैक्टिसेज इन जर्नलिज्म का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।
अपने पत्रकारिता करियर के दौरान वे विभिन्न मीडिया संस्थानों के साथ कई वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं, जिनमें रिपोर्टर, एंकर, प्रड्यूसर, ब्यूरो चीफ, रेजिडेंट एडिटर, एग्जिक्यूटिव एडिटर, मैनेजिंग एडिटर, ग्रुप एडिटर, चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और एडिटर-इन-चीफ का पद शामिल है।
उन्होंने बिहार से पत्रकारिता शुरू की और असम से लेकर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली से लेकर गोवा व गुजरात तक देश के लगभग सभी राज्यों में जाकर रिपोर्टिंग की है और टेलिविजन के कार्यक्रम बनाए हैं।
ओंकारेश्वर ने न केवल कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों का नेतृत्व किया बल्कि वे कुछ मीडिया प्रॉडक्ट्स की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रहे हैं। ओंकारेश्वर पांच सालों तक टेलिविजन में रहे। वे सहारा टेलिविजन की उस शुरुआती कोर ग्रुप का हिस्सा थे, जिसने देशभर में टीवी का नेटवर्क स्थापित किया। वे सहारा टीवी के ओपनिंग एंकर भी रहे हैं और उन्होंने विनोद दुआ जैसी हस्ती के साथ नियमित एंकरिंग भी की है।
ओंकारेश्वर पहले और अकेले पत्रकार हैं, जिन्होंने कश्मीर और पूर्वोत्तर पर विशेष साप्ताहिक धारावाहिक कार्यक्रम बनाए और उसकी एंकरिंग भी की, जो सहारा के नेशनल टीवी चैनल पर कई वर्षों तक चला।
प्रिंट में ‘पूर्वांचल प्रहरी’ से कदम रखने वाले ओंकारेश्वर ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ में एक महत्वपूर्ण पारी खेली। उन्हें गुवाहटी में राष्ट्रीय सहारा का ब्यूरो चीफ और फिर रेजिडेंट एडिटर भी बनाया गया। वे इस समाचार पत्र के बिहार एडिशन और दिल्ली एडिशन के रेजिडेंट एडिटर की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इतना ही नहीं वे 14 भाषाओं में प्रकाशित होने वाली ‘द संडे इंडियन’ पत्रिका के कार्यकारी संपादक और फिर प्रबंध संपादक भी रह चुके हैं। वे भोजपुरी संडे इंडियन के पहले संपादक रहे, तो हिंदी संडे इंडियन में हिंदी विश्व की 111 महिला लेखिकाओं पर ऐतिहासिक अंक निकाल कर कीर्तिमान स्थापित किया।
अंग्रेजी में वे ‘रूरल एंड मार्केटिंग’ जैसी पत्रिका के संपादक रहे। इसके बाद बतौर समूह संपादक उन्होंने हिंदी दैनिक ‘सन स्टार’ को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च करने की जिम्मेदारी संभाली और उसे पूरा किया। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और भोजपुरी में 6 से अधिक किताबें भी लिखी और संपादित की हैं और दर्जनों देशों का दौरा कर वहां की रिपोर्टिंग और अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लिया है। उनकी पहली किताब ‘घाटी में आतंक और कारगिल’ का विमोचन लाल कृष्ण आडवाणी ने सन 2000 में गृहमंत्री रहते किया था। उनकी आखिरी किताब ‘एनमी प्रॉपर्टी एंड इंडियाज नेशनल इंटरेस्ट’ है।