The Pioneer को लगा तगड़ा झटका, ऑफिस खाली करने का मिला आदेश
अंग्रेजी दैनिक ‘द पॉयनियर’ को गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। दरअसल कोर्ट ने दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित पॉयनियर को खाली करने का आदेश दिया है, जिसके बाद अब इसे खाली किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक, पॉयनियर का नया ऑफिस अब नोएडा सेक्टर-6 में होगा।
उल्लेखनीय है कि पैट्रट हाउस से संचालित होने वाले पॉयनियर ऑफिस कई सालों से रेंट पर था। ‘द पॉयनियर’ का संचालन करने वाली कंपनी सीएमवाइके प्रिंटेक के कहने पर यूनाइटेड इंडिया पीरियॉडिकल्स ने कई बार लीज का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया। पहले तो यह कॉन्ट्रैक्ट अप्रैल 2011 में तीन साल के लिए बढ़ाकर मार्च, 2014 तक कर दिया गया। लेकिन फिर लीज का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने पर दोनों ही पार्टियों में सहमति बनीं और इसे बढ़ाकर नवंबर, 2015 तक कर दिया गया। लेकिन इसके बाद यह कॉन्ट्रैक्ट नहीं बढ़ाया गया और इसके बाद यूनाइटेड इंडिया पीरियॉडिकल्स की ओर से सीएमवाइके प्रिंटेक को ऑफिस छोड़ने को कहा गया। नहीं छोड़ने पर प्रकाशन कंपनी के खिलाफ यूनाइटेड इंडिया की ओर से कब्जा और धोखाधड़ी करने का मुकदमा दायर किया गया।
शिकायत में कंपनी की ओर से दावा किया गया कि सीएमवाइके प्रिंटेक को रेंट, मेंटेंस चार्जेस, सर्विस टैक्स, वाटर और इलेक्ट्रिसिटी चार्जेस आदि हर महीने देना था, लेकिन उसने ऐसा न कर कॉन्टैक्ट का उल्लंघन किया।
यूनाइटेड इंडिया ने आरोप लगाया कि कई बार सीएमवाइके प्रिंटेक को ई-मेल के जरिए सूचित भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भुगतान नहीं किया, जिसके बाद यूनाइटेड इंडिया ने प्रकाशन कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। बता दें कि इसी मामले में ही कोर्ट ने अब फैसला सुनाया है।
बहादुर शाह जफर मार्ग पर ‘द पॉयनियर’ के अलावा कई अन्य अखबारों के दफ्तर भी हैं, जिनमें टाइम्स ऑफ इंडिया, इकनॉमिक टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, फाइनेंशियल एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैंडर्ड और मेट्रो नाउ इत्यादि शामिल हैं।
‘द पॉयनियर’ को 1865 में यूपी के इलाहबाद से अंग्रेज जॉर्ज एलेन ने शुरू किया था। उन दिनों वे देश के उत्तर-पूर्वी इलाके में टी बिजनेस के एक सफल व्यवसायी थे। 1865 से 1869 तक यह अखबार हफ्ते में तीन बार ही निकलता था, लेकिन इसके बाद से यह दैनिक हो गया। 1872 में एलफर्ड सिनेट (Alfred Sinnett) इसके एडिटर बने। 1874 में यह इस अखबार ने इंडिया वीकली न्यूज का प्रकाशन भी शुरू किया, साथ ही शॉर्ट फीचर स्टोरीज और यात्रा लेखन पर जोर दिया। जुलाई, 1933 में पॉयनियर को सिंडिकेट को बेच दिया गया और इसके बाद पॉयनियर का मुख्य कार्यालय इलाहबाद से लखनऊ शिफ्ट कर दिया गया। 1990 तक यह अखबार लखनऊ तक ही सीमित रहा। लेकिन इसके बाद पॉयनियर को एल.एम. थापर के नेतृत्व में थापर ग्रुप ने खरीद लिया, जिसके बाद इसे नेशनल न्यूजपेपर के तौर पर रीलॉन्च किया गया और तब इसका प्रकाशन दिल्ली, लखनऊ, भुवनेश्वर, कोची, भोपाल, चंडीगढ़, देहरादून और रांची से होने लगा। लेकिन 1998 में थापर ग्रुप से यह अखबार भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा ने खरीद लिया और तब से वे ही इस अखबार के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर हैं।
पॉयनियर ने साल 2010 में अपना हिंदी संस्करण भी शुरू किया। इसका पहला हिंदी संस्करण लखनऊ से प्रकाशित किया गया था, जिसके बाद इसके 5 संस्करण और निकाले गए, जिनमें कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर और बरेली शामिल था। मई 2012 में पॉयनियर ने अपनी मौजूदगी छत्तीसगढ़ में भी दर्ज कराई और रायपुर ब्यूरो लॉन्च किया।