‘बड़ा संपादक’ ( संम्पादक ), बिल्कुल रंगबाज टाइप ..
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आप भी देख लीजिए . संपादक जी गाड़ी के नंबर प्लेट पर अपने पद और कद के साथ विराजमान हैं ..
नंबर ऐसे लिखा है कि 9055 तो समझ आ रहा है , बाकी कुछ दूतावास टाइप लिखा है ..कायदे से तो नंबर प्लेट की ऐसी -तैसी करने के जुर्म में संपादक जी का तुरंत चालान किया जाना चाहिए लेकिन क्या पता पुलिस वाला सलाम भी ठोकता होगा …फोटो तो मैंने कल रात खींची थी लेकिन लखनऊ में रहते हुए डर से पोस्ट नहीं की . आज दिल्ली आकर लगा कि अब डर काहे का .
राह चलते या पास से गुजरते लोग भी कितना ‘सम्मान’ से देखते होंगे कि देखो कितना ‘बड़ा संपादक’ ( संम्पादक ) जा रहा है . है न ?
इनके अखबार को कितना सरकारी विज्ञापन मिलता होगा ?
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Ambrish Kumar : अजीत अंजुम शुरू से मजाक उड़ाते रहे हैं, कार को लेकर. अपने पास कोई गाड़ी नहीं है. आमतौर पर रिक्शा, टेम्पो, ऑटो या फिर उबर से चला जाता हूं. दिल्ली में अजीत अंजुम भारी सी गाड़ी रखते थे जब हम लोग डीटीसी वाली बस से चलते थे. तब भी वे कार की काफी चर्चा करते थे. कल लखनऊ आए तो मेरे पास कोई वाहन नहीं था जल्दी घर पहुंचने के लिए ताकि उन्हें बुला सकूं…
खैर आज उन्होंने लखनऊ के किसी बड़े भारी संपादक की गाड़ी की फोटो डाल दी. अब जब चर्चा में गाड़ी हो तो हम जैसे पैदल पत्रकार की कुंठा तो बढ़ेगी ही. यह ठीक नहीं है. बहरहाल भारी गाड़ी आप भी देखें. हालांकि इस मामले के चलते वे सेफ नहीं हैं क्योंकि दिल्ली नहीं जिला गाजियाबाद में रहते हैं. फिर भी हम लोग तो हैं न.
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