बारिश के पानी से पंजाब CM अमरिंदर के फार्महाउस को बचाने के लिए सरकारी विभाग ने बनाया चेक डैम
नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं. इस बार उनके द्वारा अपने निजी फायदे के लिए सरकारी विभाग का इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है. दरअसल इस साल जनवरी में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चंडीगढ़ के बाहरी इलाके की शिवालिक पहाड़ी की तलहटी पर प्रॉपर्टी खरीदी थी. इस पर वह अपना फार्महाउस बनवा रहे हैं.
इस फार्महाउस को लेकर समस्या यह थी कि बारिश के दिनों में एक बरसाती नदी के जरिये पानी सीधे इस फार्महाउस में घुस जाता. ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के अधीन आने वाले सरकारी विभाग ने उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए काम किया. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक इसके लिए पंजाब सरकार के मृदा और जल संरक्षण विभाग ने साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले के सिसवान गांव में एक चेकडैम बनाया. इस चेकडैम के जरिये अब बारिश का पानी सीधे फार्महाउस में नहीं घुस पाएगा. इससे बरसाती नालों और नदियों के बहने का रास्ता बदल गया है.
वहीं ग्राम पंचायत ने बांध बनाने के लिए पहले ही कदम उठाने की मांग की थी. इसके लिए पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित करके सरकार से बांध बनाने की मांग की थी. उनका दावा था कि ऐसा न होने पर निचले पहाड़ी इलाकों में बारिश के समय उनके खेतों में भी पानी भर जाएगा.
साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले के सिसवान गांव में इस बांध का निर्माण कार्य इस साल जुलाई में फार्महाउस के साथ ही शुरू हुआ था. इस बांध की ऊंची और चौड़ी ईंट व कंक्रीट की दीवार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के 28 बीघा और 5 बिसवा (करीब 7 एकड़) के फार्महाउस की चहारदीवारी तक आई हैं.
मुख्यमंत्री को भेजी गई एक विस्तृत प्रश्नावली के जवाब में उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने इस मामले में किसी भी प्रकार के ‘हितों के टकराव’ से इनकार किया है. उनका कहना है कि इस क्षेत्र में कोई बांध पहली बार नहीं बनाया गया है. मृदा एवं जल संरक्षण विभाग ने पिछले 15 साल में यहां कई चेक डैम बनाए हैं. उन्होंने कहा कि ये बांध ग्रामीणों की समस्या दूर करने के लिए बनाए जा रहे हैं. उनकी समस्या थी कि बारिश में बरसाती नदियों और नालों के कारण उनके खेत डूब जाते हैं, इससे मृदा अपरदन भी होता है.
ठुकराल का कहना है कि चेकडैम का यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री के निजी फायदे के लिए नहीं, बल्कि गांव के सरपंच द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर बनाया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री की निजी जमीन पर भी नहीं है.
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