मैंने झूठी खबर चलाई, मुझे माफ़ कर दो: पढ़िए, राजदीप सरदेसाई का माफीनामा
इंडिया टुडे लगातार अपनी ‘पत्रकारिता’ के कारण चर्चा में बना हुआ है। मामला चाहे JNU में हुई हिंसा पर एक खोजी ‘मेगा इन्वेस्टिगेशन‘ वाले वीडियो का हो या फिर इंडिया टुडे समूह की ही वेबसाइट ‘दी लल्लनटॉप‘ के संपादक द्वारा बीजेपी समर्थकों पर अभद्र टिप्पणी का हो, इंडिया टुडे ग्रुप फर्जी पत्रकारिता के नए आयाम स्थापित करते ही जा रहा है।
इंडिया टुडे समूह से जुड़े पत्रकारों का इतिहास भी विवादों से जुड़ा रहा है। इसमें एक प्रमुख नाम राजदीप सरदेसाई का भी है। राजदीप सरदेसाई भी स्वयं नहीं चाहते होंगे कि कोर्ट के समक्ष उनके द्वारा माफ़ी माँगने की घटना सामने आए। यह मामला वर्ष 2007 में सामने आया था, जब आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिपाठी द्वारा राजदीप सरदेसाई और कुछ अन्य लोगों पर मानहानि का आपराधिक मुकदमा दायर किया गया था।
उस समय राजदीप CNN-IBN से जुड़े हुए थे। यह आपराधिक मामला राजदीप सरदेसाई द्वारा चलाए जा रहे एक कथित समाचार से संबंधित है, जो कि वर्ष 2007 में सोहराबुद्दीन शेख से मुठभेड़ के संबंध में CNN-IBN पर प्रसारित हुआ था। 2007 में राजदीप सरदेसाई की अगुवाई में चल रहे न्यूज़ चैनल CNN-IBN ने एक कहानी चलाई, जिसमें IPS राजीव त्रिवेदी पर सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ की घटनाओं में प्रमुख भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया। उक्त आपराधिक मामले में अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, हैदराबाद ने राजदीप सरदेसाई और अन्य को अभियुक्त के रूप में मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया।
इसके विरोध में राजदीप सरदेसाई ने आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके उक्त आदेश को चुनौती दी। याचिका में राजदीप ने प्रार्थना की थी कि निचली अदालत के समन आदेश को अलग रखा जाए और उनके खिलाफ लगे आपराधिक मामला रद्द किया जाए। हालाँकि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राजदीप की चुनौती को खारिज कर दिया।
इसके बाद राजदीप सरदेसाई ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इस चुनौती दी और अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खत्म करने की माँग की। 14 मई, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने भी राजदीप की इस याचिका को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय में राजदीप के वकील ने यह तर्क दिया था कि आपराधिक कार्यवाही ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ के लिए ख़तरा हो सकती है। ठीक इसी तरह की बात NDTV के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार भी कहते देखे गए थे, जब गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह ने एक वेबसाइट पर 100 करोड़ की मानहानि का केस करने का फैसला लिया था। फिर सर्वोच्च न्यायालय ने राजदीप की उक्त दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा समान रूप से महत्वपूर्ण है और इसे प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर नहीं रौंदा जा सकता।
अंत में राजदीप सरदेसाई ने एक लिखित दस्तावेज में स्वीकार किया कि उनके द्वारा आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिपाठी पर झूठे आरोप लगाए गए थे और उन्होंने झूठी खबर का प्रसारण किया था।
राजदीप सरदेसाई के माफीनामे को यहाँ पढ़ सकते हैं,
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When thug @sardesairajdeep and his gang had to apologise for fraud journalism in the High court of Hyderabad
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