इंडिया टुडे का एक और झूठ: ‘जेम्स बॉन्ड पत्रकार’ ने लेफ्टिस्ट गुंडों को बचाने के लिए दिया JNU-सर्वर पर ‘ज्ञान’
ऐसा लगता है जैसे इंडिया टुडे समूह ने ‘सोशल मीडिया ट्रोल्स’ के साथ-साथ सामान्य विज्ञान के खिलाफ भी जंग छेड़ दी है। JNU में 5 जनवरी को हुई हिंसा के बाद इंडिया टुडे समूह रोजाना अपनी सहूलियत के अनुसार इस घटना को नया रंग देने की कोशिश करता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल दिल्ली पुलिस द्वारा हिंसा में शामिल JNU के लेफ्टिस्ट गुंडों की पहचान करने के तुरंत बाद ही इंडिया टुडे समूह अपने कुछ खोजी वीडियोज़ लेकर सामने आया। लेकिन इन वीडियोज की विश्वसनीयता इसके फैक्ट चेक में ही संदेह के घेरे में आ गई।
फिर भी इंडिया टुडे समूह के ही जर्नलिस्ट और कुछ अन्य लोग इस वीडियो पर सफाई देते हुए नजर आ रहे हैं। इंडिया टुडे द्वारा यहाँ तक भी स्पष्टीकरण दिए जा रहे हैं कि स्टिंग जिस कैमरे से किया गया, उसकी सेटिंग खराब थी।
रविवार (जनवरी 12, 2019) की सुबह ही इंडिया टुडे समूह JNU में हुई हिंसा से जुड़ा हुआ एक नया प्रकरण सामने आया है। इस प्रकरण में इंडिया टुडे की ही एक जर्नलिस्ट ने लेफ्ट विंग की गुंडई को बचाने के लिए अपनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कम समझ का परिचय दिया है।
तनुश्री पांडेय, जो कि इंडिया टुडे समूह की ही पत्रकार हैं, एक ट्वीट के साथ रविवार सुबह की शुरुआत करते हुए दावा करती हैं कि उन्होंने सूचना एवं संचार के सर्वर से भेजे गए ई-मेल्स को निकाल लिया है। ज्ञात हो कि JNU प्रशासन पहले ही बता चुका है कि यह सर्वर 4 जनवरी को लेफ्टिस्ट गुंडों द्वारा तोड़ दिया गया था। तनुश्री ने यह दावा करते हुए कि यह ई-मेल्स JNU प्रशासन द्वारा भेजी गईं थीं, इशारा किया है कि सर्वर नहीं टूटे थे, जैसा कि दिल्ली पुलिस द्वारा बताया गया है।
हालाँकि, तनुश्री पांडेय जिन्हें कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि ई-मेल्स किस तरह से काम करती है, का कहना है कि वह ई-मेल्स उसी सर्वर से भेजी गई होंगी। अपने ट्वीट में तनुश्री ने लिखा है- “इंडिया टुडे ने संचार एवं सूचना के सर्वर से भेजी गई उन ई-मेल्स को एक्सेस कर लिया है, जिसे JNU प्रशासन ने लेफ्टिस्ट गुंडों द्वारा तोड़े जाने का दावा किया था। प्रशासन (JNU) ने कहा था कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सर्वर को नुकसान पहुँचाए जाने के कारण बाधित रही। तो फिर यह (ई) मेल्स कैसे गईं?”
.@IndiaToday accesses mails sent from the server of Communication & Info Services, which was down acc to #JNU admin after left students vandalised server room. Administration said that registration process couldn’t take place because server was down. So how did the mass mails go?
तनुश्री के इस ट्वीट के तुरंत बाद NDTV के एक पत्रकार अरविन्द गुणसेखर ने भी ट्वीट कर के सवाल किया कि आखिर ये ई-मेल्स किस तरह से गईं अगर सर्वर टूट चुका था? गुणसेखर स्वयं JNU के पूर्व छात्र रह चुके हैं, इसलिए कम से कम उनसे तो यह उम्मीद की जा सकती थी कि उन्हें सर्वर और ई-मेल्स के बीच के सामान्य ज्ञान की समझ होगी।
JNU VC had said that Communication and Information Service was vandalised by students on Jan 4 and so CCTVs weren’t working on Jan 5th…University’s digital services came to a stand still till Jan 8.
If so, how was this mail sent by CIS (mailing server) on Jan 5 at 1.58 PM ?!
वास्तव में, इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री के इस ट्वीट के दो उद्देश्य हैं- पहला, यह साबित करना कि JNU के सर्वर को लेफ्टिस्ट छात्रों द्वारा नहीं तोड़ा गया और दूसरा, दिल्ली पुलिस के दावे को झूठा साबित करना। यह ई-मेल्स JNU प्रशासन द्वारा 5 जनवरी 2020 को भेजी गईं थीं, यानी JNU में हुई तोड़-फोड़ के अगले दिन।
तनुश्री के दावों से यह पता चलता है कि उन्हें वेब सर्वर (Web Server) और मेल सर्वर (Mail Server) के बीच का अंतर स्पष्ट नहीं है। दरअसल, JNU प्रशासन दैनिक गतिविधियों के लिए कम से कम दो सर्वर इस्तेमाल कर रहा है। जैसे कि- CCTV, वेबसाइट्स, WiFi इत्यादि। हो सकता है कि JNU प्रशासन ने ई-मेल सेवा के लिए कोई थर्ड-पार्टी सर्वर भी लगाया हो, जो कि आवश्यक रूप से कैम्पस के ही भीतर मौजूद हो, ऐसा नहीं है।
सोशल मीडिया पर ही कुछ तकनीकी जानकारी रखने वाले लोगों ने तनुश्री को याद दिलाया कि JNU अकादमिक ई-मेल्स जैसी आवश्यकताओं के लिए गूगल सूट इस्तेमाल करता है, जिस कारण ई-मेल्स का सर्वर कैम्पस में मौजूद ही नहीं है।
यह प्रतीत होता है कि JNU प्रशासन अपना Gmail अकाउंट “jnu.ac.in” साइट पर चला रहा है जो कि किसी अन्य सर्वर से इस्तेमाल किया जा रहा है ना कि 3 और 4 जनवरी 2020 को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सर्वर से।
Hello tech illiterate journalist of @IndiaToday, JNU uses G Suite for Education for email needs. So the mail server is not located on campus. A simple MX record lookup of http://jnu.ac.in would’ve told you that. https://twitter.com/TanushreePande/status/1216004596629266432 …
Tanushree Pandey@TanushreePande.@IndiaToday accesses mails sent from the server of Communication & Info Services, which was down acc to #JNU admin after left students vandalised server room. Administration said that registration process couldn’t take place because server was down. So how did the mass mails go?
MXtoolweb site के अनुसार, “jnu.ac.in” साइट, जिससे कि इंडिया टुडे समूह की ‘जेम्स बांड जर्नलिस्ट’ के अनुसार ई-मेल भेजे गए थे, गूगल सर्वर द्वारा होस्ट की जाती है, ना कि लेफ्टिस्ट गुंडों द्वारा तोड़े गए सर्वर से।
ultratools.com के अनुसार, JNU का ई-मेल सर्वर US में है –
इस तरह हमें पता चलता है कि JNU अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए कम से कम 2 सर्वर का इस्तेमाल करता है- पहला, रजिस्ट्रेशन जैसी प्रक्रियाओं के लिए, जिसे की लेफ्टिस्ट गुंडों ने 3-4 जनवरी, 2020 हुई हिंसा में तोड़ दिया था और दूसरा, ई-मेल जैसी सुविधाओं के लिए, जो कि कैम्पस से बाहर है। इसका सामान्य सा अर्थ है कि JNU प्रशासन अभी भी, यानी पहले सर्वर के नष्ट होने के बाद भी ई-मेल भेज सकता था, जिसे कि इंडिया टुडे की जर्नलिस्ट ने ‘सनसनीखेज खुलासे’ का नाम दिया है।
लेफ्टिस्ट गुंडों को बचाने का प्रयास कर रहा है इंडिया टुडे समूह
इंडिया टुडे और इसके पत्रकार इस घटना के बाद से एक झूठ को छुपाने के लिए दूसरे झूठ को गढ़ रहा है या फिर इस घटना के तथ्यों को सनसनी के रूप में पेश कर रहा है।
दिल्ली पुलिस द्वारा JNU हिंसा में शामिल अपराधियों की पहचान कर लिए जाने के बाद इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राहुल कंवल ने एक ‘मेगा इन्वेस्टिगेशन’ स्टिंग वीडियो जारी करते हुए कहा था कि उन्होंने इस हिंसा के मुख्य आरोपितों को पकड़ लिया है। इंडिया टुडे समूह ने दावा किया कि उनके द्वारा किए गए इस खोजी स्टिंग में अक्षत अवस्थी नाम के किसी ABVP कार्यकर्ता ने स्वयं स्वीकारा है कि वह हिंसा में शामिल था।
इंडिया टुडे के इस वीडियो पर काफी लोगों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह वीडियो फेक है। यहाँ तक कि खुद ABVP ने भी किसी अक्षत अवस्थी के ABVP से जुड़े होने की खबर से साफ़ इनकार कर दिया। इंडिया टुडे इन्वेस्टिगेशन के फैक्ट चेक से जो बात सामने आई, उसके कारण इस वीडियो की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया है।
इस पर इंडिया टुडे समूह ने एक ट्वीट के माध्यम से स्पष्टीकरण देते हुए लिखा है कि उनके कैमरा की सेटिंग अपडेट न होने की वजह से ही 5 जनवरी को रिकॉर्ड किया गया वीडियो अक्टूबर 2019 दिखा रहा है।