दैनिक हिंदुस्तान, कानपुर से गोरखपुर पहुंचे दिनेश पाठक

d pathakगुरुवार का दिन कानपुर हिन्दुस्तान के लिए काफी खास रहा। मौका था संपादक श्री दिनेश पाठक जी की विदाई और बनारस से आए श्री मनोज पमार जी का स्वागत समारोह। दुःख तो था पर खुशी इस बात की है कि पाठक सर हम लोगों के साथ ही है, बस फासला कुछ बढ़ गया है। वह अब गोरखपुर को लीड करेंगे। पाठक सर के साथ कानपुर हिन्दुस्तान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की लड़ाई अब हम लोग पमार सर के नेतृत्व में लड़ंगे। पाठक सर और पमार सर को ढेर सारी शुभकामनाएं। इन लम्हों पर कुछ लिखने की कोशिश की है…

खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है,
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|
मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम,
तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…
धुऐं से चुभते हैं मरासिम खोकले,
बेबस आंखें रात भर बहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…
इल्म होता मेरी बेखुदी का उसे,
क्यों ज़रूरी हर बात कहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…
बयां ना कर खलिश ‘वीर’,
दुनिया जो है वही रहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

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