कैनविज टाइम्स के सहयोगी प्रबंधन के रवैये के खिलाफ नौकरी छोड़ कर बाहर चले गए, प्रकाशन ठप्प
कैनविज टाइम्स लखनऊ के सहयोगियों ने रविवार की शाम अचानक प्रबंधन का बहिष्कार कर दिया और दफ्तर छोड़ कर बाहर चले गए। इसमें न केवल संपादकीय विभाग के कर्मचारी शामिल हैं, बल्कि सिस्टम विभाग और सर्कुलेशन विभाग और यहां तक कि चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी भी शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि कैनविज टाइम्स के प्रधान संपादक प्रभात रंजन दीन ने 21 जनवरी को ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कम्पनी के चेयरमैन कन्हैया गुलाटी ने उनसे एक फरवरी तक रुकने का आग्रह किया था। दो फरवरी की शाम को जैसे ही संपादकीय विभाग के सहयोगी काम पर पहुंचे, प्रबंधन के लोगों ने प्रभारी संपादक शंभु दयाल वाजपेयी से उनकी मुलाकात करानी शुरू की और प्रलोभन देने का प्रबंधकीय पैंतरा आजमाया। इस पर संपादकीय सहयोगियों ने विद्रोह कर दिया और कहा कि जब प्रभात रंजन दीन नहीं तो हम सब नहीं रहेंगे। कैनविज टाइम्स के पत्रकारों ने कहा कि पत्रकारों के साथ बुद्धिजीवियों की तरह व्यवहार होना चाहिए। पत्रकार कोई चिट फंड के कर्मचारी नहीं हैं।
बहरहाल, प्रबंधन ने पूर्व में अखबार से अक्षमता और अनुशासनहीनता के कारण निकाले गए कर्मचारियों को बुला कर उनके बूते अखबार निकलवाने की कोशिश की, परन्तु वे अपनी दक्षता से डाक एडिशन तक नहीं निकलवा पाए। अंततः शाम के साढ़े आठ बजे ही अखबार के दफ्तर पर ताला पड़ गया। इस बारे में निवर्तमान प्रधान संपादक और प्रबंधन के अधिकारियों से सम्पर्क करने की कोशिश की गई, परन्तु उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। हालांकि कैनविज से जुड़े कुछ पत्रकारों से बात हुई तो उन्होंने संस्थान छोड़ने के अचानक लिए गए सामूहिक फैसले की पुष्टि की और संतोष जताया।