सुप्रीम कोर्ट से ‘एडिटर्स गिल्ड’ के सदस्यों को मिली राहत

मणिपुर सरकार की ओर से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) के मेंबर्स के खिलाफ दर्ज शिकायत पर 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

EGIमणिपुर सरकार की ओर से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) के मेंबर्स के खिलाफ दर्ज शिकायत पर 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व तीन सदस्यों को राहत देते हुए इनकी गिरफ्तारी पर 15 सितंबर तक रोक लगा दी है। पहले यह रोक 11 सितंबर तक थी। सोमवार को सुनवाई होने पर अदालत ने कहा कि मणिपुर पुलिस एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर पर कोई भी कठोर कदम न उठाए। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।

एडिटर्स गिल्ड ने 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि ईजीआई सदस्यों को कुछ और समय के लिए सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और इस मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर हाई कोर्ट में भेजा जाए। ईजीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में ही की जानी चाहिए, क्योंकि तथ्यान्वेषी रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

कपिल सिब्बल ने कहा कि रिपोर्ट भारतीय सेना की अपील पर बनाई गई थी। इसलिए इसके लिए एडिटर्स गिल्ड पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी FIR को रद्द नहीं कर रहा है। बल्कि मामले को हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की संभावना तलाश रहा है।

पीठ ने कहा, ‘हम शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे।’  पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को ही राज्य सरकार के जवाब पर गौर करेगा।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में ‘संघर्ष भड़काने’ की कोशिश करने के आरोप हैं।

मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ गिल्ड के चार सदस्यों के खिलाफ एक अन्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। पीठ ने कहा था, ‘सुनवाई की अगली तारीख तक, प्राथमिकियों के सिलसिले में (चार) याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए।’

दरअसल, कुछ समय पहले ‘एडिटर्स गिल्ड’ के कुछ सदस्यों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था। इस फैक्ट फाइंडिंग टीम ने वहां हिंसा से पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी। इसके बाद एडिटर्स गिल्ड ने 2 सितंबर को अपनी रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया था कि मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा की एकतरफा मीडिया रिपोर्टिंग की गई। साथ ही उसने राज्य सरकार और खुद CM बीरेन सिंह पर हिंसा रोकने में पक्षपात करने का आरोप लगाया।

गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आयी खबरें एकतरफा हैं। इसके साथ ही उसने संघर्ष के दौरान राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था। मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘वे राज्य विरोधी, राष्ट्र विरोधी और सत्ता विरोधी (लोग) हैं जो जहर उगलने आए थे। अगर मुझे पहले पता होता तो मैं उन्हें प्रवेश की ही अनुमति नहीं देता।’  एडिटर्स गिल्ड ने हिंसा रोकने में पक्षपात का आरोप लगाया।

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