संजय निषाद, तुसी ग्रेट हो !

मीडिया वर्ग के छोटे बड़े सभी परिवारों को दीपावली की मिठास और सौगात देने के अभूतपूर्व कार्य से छोटे-बड़े तबके में बंट चुके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दिखाया आईना।

मीडिया वर्ग के छोटे बड़े सभी परिवारों को दीपावली की मिठास और सौगात देने के अभूतपूर्व कार्य से छोटे-बड़े तबके में बंट चुके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दिखाया आईना।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यह पहला मौका होगा जब जमीनी धरातल ( Ground Zero) पर काम करने वाले मीडिया वर्ग को दिवाली के मौके पर उनके परिवार के लिए खुशियों और मिठास देने का सराहनीय प्रयास किया गया है।
आमतौर पर इस तरह की मिठास और सौगात पर सिर्फ सरकारी आवासों में स्थापित बड़का पत्रकार, संपादक या घर बैठे टीवी डिबेट पर खोखली हो रही सरकारी व्यवस्थाओं की तारीफों में कसीदे गढ़ता पत्रकार अपना मालिकाना हक समझ कर वसूली करता था लेकिन योगी सरकार में समाज के निचली पायदान से आए मन्त्रीजी ने उनका भी दर्द समझा जो दिन-रात वास्तविकता में रिपोर्टिंग करते हैं और ईंधन की बढ़ रही कीमतों को नजर अंदाज करते हुए, पसीना बहाते हुए शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक भागते नज़र आएंगे, ना तो ट्रांसफर पोस्टिंग की बातें है और न ही ना ठेका पट्टी का कोई बयाना सिर्फ खबरों के असाइनमेंट को पूरा करने का जोश उनके काम में दिखता है। तपती धूप में न तो लोकभवन का आँगन नसीब में है और न ही विधानसभा का प्रेस रूम ऐसे में किसी प्रेस वार्ता के दौरान उनके दर्द को समझ कर उनके परिवार के लिए अगर किसी मंत्री द्वारा दीवाली के।मौके पर मिठास की सौगात दी जाती है तो भी अनुशासनात्मक तरीके से पंक्तिबद्ध दिखाई देते है वहीं पांच सितारा होटल या पांच कालीदास मार्ग पर पत्रकार वार्ता में।मची लूट के अनेक।किस्सों से मीडिया सेन्टर भरा पड़ा है।
ज़मीनी धरातल पर काम करते हमारे मीडिया के यही सिपाही अक्सर पुलिसिया ज़ुल्म के भी शिकार होते है, क्योंकि ये वो निडर सिपाही है जो मौके पर मोर्चा लेता है, वातानुकूलित TV स्टूडियो में डिबेट पर ऊल जलूल चिल्लाते नही दिखते बल्कि सरकारी तंत्र को आईना दिखाने का काम यही मीडिया का सिपाही करता है ।
कलम के निडर, सच्चे सिपाही के परिवार को दिवाली की मिठास क्या मिली बड़े घरानों में हाय तौबा मच गई, आईना वो भी दिखाने लगे जिनके दामन में।सैकड़ों दाग है और रात के अंधेरे।में।मंत्रियों, संतरियों के यहां से दीवाली की सौगत के रूप में।बोतलें और मिठाई का अंबार घरों में लगा है, सरकार को आईना दिखाती खबरो को पलक झपकते ही जिनके संस्थान हटा देते हो ऐसे कलमवीर भी कलम के सच्चे सिपाही को दीवाली के मौके पर मिली मिठास से नाखुश दिखाई दे रहें है , कहीं न कहीं मीडिया के छोटे-बड़े वर्ग को एक जैसी सौग़ात दिए जाने पर आक्रोशित लगते है, अंग्रेज़ो की बंटवारे की राजनीति का दर्द झेल रही हमारे देश की व्यवस्था।से बुद्धिजीवियों का मीडिया वर्ग भी खुद को नही बचा पा रहा है और इसलिए मंत्रीजी का ये सराहनीय प्रयास कुछ बड़का टाइप के लोग पचा नही पा रहे है।
डॉ मोहम्मद कामरान
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