जाली एवं फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर शारिब जाफरी ने विभागीय मिलिभगत से कराई राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता
सूचना विभाग की फर्जी मान्यता का एक और खुलासा।
सेवा में
श्रीमान निदेशक
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
उत्तर प्रदेश लखनऊ।
विषय। जाली एवं फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर शारिब जाफरी द्वारा विभागीय मिलिभगत से निर्गत राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता निरस्त करने एवं प्रथम सूवना रिपोर्ट दर्ज कर उचित कानूनी कार्यवाही करने के सम्बन्ध में।
महोदय,
प्राथी द्वारा जनहित में आपको अवगत कराना है कि सूचना विभाग से शारिब जाफरी ने वर्ष 2012 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सी, न्यूज नाम के तथाकथित चैनल के नाम से राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता हासिल की थी। उक्त मान्यता (प्रेस कार्ड संख्या 427) हेतु श्री शरिब जाफरी द्वारा आज की खबर नाम के समाचार पत्र का अनुभव प्रामण पत्र लगाया गया था जबकि भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे भारत में आज की खबर नाम से किसी भी समाचार पत्र प्रकाशन हेतु कोई भी शिर्षक आवटिंत नही किया गया। इसकी पुष्टि RNI की वेबसाइट से की जा सकती है। इस संबंध में प्रार्थी द्वारा तमाम साक्ष्यों को संलग्न करते हुये लिखित शिकायत सूचना विभाग को प्रेषित की गयी थी परन्तु शारिब जाफरी के रसूख के आगे कोई भी कार्यवाही नही की गयी।
प्रार्थी द्वारा पुनः शिकायत करने के उपरांत शारिब जाफरी द्वारा धन-बल एवं अन्य माध्यमों से प्रेस विभाग के वरिष्ठ बाबू से सांठगांठ करके अपनी मान्यता 2018 में अवाम ए मुल्क में हस्तांतरित करने का आवेदन कर, नियम विरुद्ध हस्तांतरित करवा कर प्रेस कार्ड संख्या 523 जारी करवा लिया जिस संबंध में प्रार्थी द्वारा लिखित शिकायत भी विभाग को प्रेषित की गयी परन्तु सभी नियम, कानून एवं शिकायती पत्रों को दरकिनार कर फर्जी तरीके से मान्यता हस्तांतरित कर दी गयी।
यिाकायती पत्रो पर कोई भी कार्यवाही न होते देखकर शारिब जाफरी के हौसले बुलद होते गये व और अपने पैसों के दम पर विभागीय अधिकारीयों/कर्मचारियों को अपने मनमाफिक कार्य कराकर शरिब जाफरी द्वारा अपने तमाम नज़दिकी रिश्तेदारों की मान्यता करवाकर अपना वर्चवस्व बना लिया। वर्ष 2019 में शारिब जाफरी ने फिर नियमो का माखौल उड़ाते हुए अपनी मान्यता को सहारा न्यूज में हस्तांतरित करवा लिया था जबकि इनके द्वारा जालसाजी के खिलाफ ही, सीजेएम, कोर्ट में केस विचाराधीन है एवं। मा उच्च न्यायालय रिट संख्या 494/2014 में पूजा चन्द्र द्वारा शारिब जाफरी पर संदिग्ध चरित्र एवं आतंकितयो का पोषक होने का आरोप लगाया था। ऐसे गंभीर एवं संगीन आरोप होने के बावजूद कोई कार्रवाई न किया जाना मुख्यमंत्री योगी जी के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नितीयों का पालन न किया जाना प्रमाणित है।
अपने कारनामों को अपनी दौलत के पर्दो से छुपा कर शारिब जाफरी ने वर्तमान सत्र में एक बार फिर से राज्य मुख्यालय की मान्यता समय आलमी न्यूज नेटवर्क में हस्तांतरित करवा ली है एवं प्रेस कार्ड संख्या 262 निर्गत करवा कर अति सुरक्षित सरकारी भवनों में आने जाने का रास्ता बना लिया है।
उरोक्त तथ्यो, लिखित शिकायती पत्रों के साथ संलग्न साक्ष्यों एवं विभिन्न न्यायालयों में शारिब जाफरी के विरुद्ध लंबित बाद इस बात का प्रमाण है कि शरिब जाफरी द्वारा फर्जी दस्जावेजो के आधार पर राज्य मुख्यालय की मान्यता लेकर अति सुरक्षित भवनों में अपने स्वयं के आने जाने के लिये मार्ग बनाया है जबकि इसका पत्रकारिता से कोई लेना देना नही है।
प्राथी आप से यह जानना चाहता है कि प्रेस विभाग ने किस नियम एवं किस प्रावधान से शारिब जाफरी की प्रेस मान्यता चार बार हस्तांतरित की गई। जबकि सूचना के नियम के अनुसार एक समाचार पत्र से की गई मान्यता दूसरे समाचार पत्र में हस्तांतरित करने का कोई प्रावधान नहीं है सवाल यह उठता है कि क्या एक व्यक्ति का बन्दूक लाइसेंस दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित किया जा सकता है।
अतः शरिब जाफरी की मान्यता तत्काल निरस्त किया जाना न्यायायोचित होगा एवं प्राथम सूचना रिर्पोट दर्ज कर उचित कानूनी कार्यवाही करायी जानी चाहिये। विभाग द्वारा कार्यवाही न किये जाने की सूरत में प्रार्थी अपने नैतिक दायित्वों, जनहित में मजबूर हो कर प्रेस विभाग के उप निदेशक एवं कर्मचारियोे के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने के लिए बाध्य होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी विभाग की होगी।
दिनांक 19/12/2023
सल्गंनक साक्ष्यो के साथ
1- 5 -पूर्व शिकायती पत्रो की छाया प्रति सल्गंनक है
2- 1-आज की खबर नाम का RNI ने शीर्षक पूरे भारत में आज तक नहीं जारी किया है
1- माननीय मुख्यमंत्री को सूचनार्थ आवश्यक कार्रवाई हेतु
ए, एच, इदरीसी
अध्यक्ष
मान्यता प्राप्त उर्दू मीडिया एसोसिएशन उत्तर प्रदेश लखनऊ 9956475992