‘अल जजीरा’ ने हिंदुओं के अमेरिकी संगठन को किया बदनाम, HAF को बताया ‘भारतीय एजेंट’

मुक्ता जोशी ने ट्विटर पर यह लेख साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने इस मामले की 7 महीने तक जाँच की है। हास्यास्पद यह है कि 7 महीने तक जाँच करने के बावजूद एक भी बात साबित नहीं कर पाई कि HAF कैसे भारत सरकार के लिए काम करता है। इस लेख को अल जजीरा ने केवल इसलिए जगह दी है क्योंकि यह हिन्दू विरोधी एजेंडा को बढ़ाता है।

मुक्ता जोशी (बाएँ) ने HAF को लेकर झूठ फैलाया है

क़तर की सरकार के पैसे पर चलने वाले भारत और हिन्दू विरोधी अल जजीरा ने हाल ही में एक लेख प्रकाशित किया है। इस लेख में ‘हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन’ नाम के संगठन पर भारत की मोदी सरकार के लिए अमेरिका में ‘प्रचार शाखा’ की तरह काम करने का आरोप लगाया है। अल जजीरा ने दावा किया कि यह संगठन अमेरिका में भारत सरकार के लिए लॉबिंग करता है।

अल जजीरा में 15 अक्टूबर, 2024 ‘कैपिटल हिल पर भारत की मोदी सरकार के लिए कौन कर रहा लॉबिंग’ (Who is lobbying for India’s Modi government on Capitol Hill) शीर्षक से यह लेख मुक्ता जोशी नाम की एक कथित पत्रकार ने लिखा है। जोशी खुद को वकील से बनी पत्रकार बताती है।

हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) अमेरिका में हिन्दू हितों के लिए काम करने वाला एक संगठन है। इसे विदेशी सरकार के लिए काम करने वाला एक संगठन घोषित करना उसके हिन्दू हित के लिए किए जाने वाले काम को रोकने का एक प्रयास है। साथ ही इस संगठन की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठाने का यह एक प्रयास है।

यह सभी दावे करने के लिए अल जजीरा ने वाशिंगटन में काम करने वाले के बेनामी अमेरिकी कर्मचारी का हवाला दिया है। इसने आरोप लगाया कि हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन पाकिस्तान को सितंबर 2022 में F-16 लड़ाकू विमानों के लिए एक अपडेट लेने से रोकना चाहता था।

अल जजीरा का कहना है कि क्योंकि भारत सरकार पाकिस्तान को F-16 अपडेट नहीं लेना चाहती थी, इसीलिए हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन अमेरिका में विरोध दर्ज करवा रही थी। जबकि असल बात ये है कि पाकिस्तान के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कोई भी मानवाधिकार के लिए काम करने वाला संगठन यही कदम उठाएगा।

बेनामी अमेरिकी कर्मचारी और आरोप

कतर से पैसे लेने वाले अल जजीरा में लिखने वाली मुक्ता जोशी ने लिखा, “बेनामी अमेरिकी कॉन्ग्रेस कर्मचारी से बात करने के बाद मुझे ये साफ़ हो गया कि हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) भारत सरकार की ओर से काम कर रहा था।” अल जजीरा ने इसके बाद HAF के बारे में दावा किया कि यह 2014 से ही भाजपा और मोदी सरकार के लिए काम किया है।

अल जजीरा ने HAF को एक विदेशी संस्था की कठपुतली के रूप में बदनाम करने की कोशिश की, जबकि असल बात यह है कि यह हिन्दुओं के अधिकारों के लिए अमेरिका में जबरदस्त काम करता है और इसकी अमेरिका काफी अच्छी साख है।

HAF को ‘विदेशी एजेंट’ बताने का प्रयास

कथित ‘खोजी पत्रकार’ मुक्ता जोशी के लेख में माँग की गई कि HAF को विदेशी एजेंट के तौर पर अमेरिकी कानून के तहत रजिस्टर किया जाए। इसके पीछे मुक्ता जोशी ने भाजपा के लिए काम करने वाले प्रलाप का तर्क दिया था। HAF के मीडिया विभाग के डायरेक्टर मैट मैकडरमॉट ने अल जज़ीरा को इस लेख पर दिए गए बयान में कहा, ” अगर हमारी विचारधारा किसी विदेशी सरकार की विचारधारा से मेल खाती है तो यह अकेला तथ्य हमें विदेशी एजेंट घोषित किए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है।”

तर्कों को धता बताते हुए मुक्त जोशी और अल जजीरा ने HAF के खिलाफ अपना प्रोपेगेंडा जारी रखा। HAF के खिलाफ अल जजीरा ये कुछ सबूत पाया है, जिसके शेयर वह इसे मोदी सरकार का एजेंट और विदेशी बताने पर तुला हुआ है। यह पढ़ने में ही हास्यास्पद लगते हैं। यह कथित सबूत निम्नलिखित हैं-

1. गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी पर वीजा प्रतिबंध लगाने पर HAF का विरोध

2. भारत और हिंदू धर्म पर कैलिफोर्निया की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव का प्रस्ताव

3.दिवाली को अमेरिका में सरकारी त्यौहार के तौर पर मान्यता देने की वकालत

4.योग को बढ़ावा

5. हिंदुओं को निशाना बनाने वाली एकतरफा USCIRF रिपोर्ट की आलोचना

6. धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने देश को छोड़ने वाले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करने वाले नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का समर्थन

7. सांसद प्रमिला जयपाल के हिंदू विरोधी प्रस्ताव की खिलाफत

इस लेख के अंत में दावा किया गया, “इस साल के आम चुनाव से पहले, जिसमें मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे थे, हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन ने भाजपा के मुद्दों को दोहराना जारी रखा।” हालाँकि, इस आरोप को साबित करने के लिए अल जजीरा ने कोई सबूत नहीं दिया।

दो अलग संस्थाओं को बताया अलग

अल जजीरा ने ‘पता लगाया’ कि HAF के बोर्ड में शामिल लोग एक अन्य संस्थान हिंदू अमेरिकन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (HAPAC) के बोर्ड में भी काम करते हैं। इसने दावा किया कि HAPAC ने 2012 से अब तक 200,000 डॉलर (₹1.68 करोड़) का राजनीतिक दान दिया है।

असल बात यह है कि HPAC और HAF दोनों अलग-अलग संस्थाएँ हैं। दोनों स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और अमेरिकी कानून के दायरे में रह कर काम करते हैं। यह सब जानने के बाद HAF और HAPAC को अल जजीरा ने एक ही बताने का प्रयास किया। इसके बाद अल जजीरा ने इस बात पर तक दुख जताया कि HAF के लोग किसी का प्रचार क्यों कर रहे हैं।

अल जजीरा की मोदी के प्रति घृणा

कतर से पैसे लेने वाले अल जजीरा 2002 के गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी के विषय में लगातार झूठी अफवाहें फैलाता रहा है। अल जजीरा गोधरा में हिन्दुओं पर हुए हमले को छुपाता रहा है और प्रधानमंत्री को दंगों को आरोपित बताता रहा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT ने 2012 में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। अमेरिकी सरकार द्वारा उन पर वीजा प्रतिबंध दंगों में उनकी कथित सहभागिता के आरोपों के कारण लगाया गया था, असल में यह आरोप झूठ थे और बाद में इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया।

ऐसे में साफ़ हो जाता है कि अगर HAF नरेन्द्र मोदी को वीजा ना दिए जाने का विरोध कर रहे थे तो वह गलत नहीं थे। किसी नेता का प्रचार करना या फिर हिन्दुओं के अधिकार के लिए बात करना अल जजीरा के अनुसार, भाजपा का समर्थन करना हो जाता है।

असल में हिन्दू विरोधी एजेंडा है मकसद

अल जजीरा इस बात पर दुखी है कि HAF हिन्दुफोबिया की बात करता है। उसके दुख का कारण यह है कि हिन्दुओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और हिन्दूफोबिया को इस्लामी कट्टरपंथियों और वापमंथी नकारते रहे हैं। यह तब है जब हिन्दुओं के विरुद्ध हमलों से अखबार पटे पड़े हैं।

कतर के पैसे पर चलने वाले अल जजीरा ने सितंबर 2021 में आयोजित ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ सम्मेलन के खिलाफ HAF द्वारा चलाए गए अभियान पर भी चिंता जताई। अल जजीरा ने कहा कि भले ही यह कार्यक्रम बाद में आयोजित हुआ लेकिन कई लोग इससे पीछे हट गए। HAF की राम माधव द्वारा प्रशंसा को भी अल जजीरा ने सही नहीं माना।

HAF और भारतीय दूतावास के बीच भी संबंध स्थापित करने का असफल प्रयास

अल जजीरा ने लिखा कि जून, 2017 में HAF के सदस्यों को भारतीय दूतावास ने आमंत्रित किया था और यह अलग बात थी। अल जजीरा को समझाना चाहिए कि आखिर किसी राष्ट्राध्यक्ष की एक दूसरे देश की यात्रा के दौरान हिन्दू समुदाय के लोग क्यों नहीं बुलाए जाएँगे।

अल जजीरा और उसकी लेख लिखने वाली मुक्ता जोशी इतनी शातिर हैं कि उन्होंने यह सारी बातें लिखने के बाद निष्कर्ष निकाला कि भारतीय दूतावास और HAF के बीच कोई संबंध नहीं है। ताकि आदमी आसानी से उनके एजेंडे को पहचान ना पाए।

भारत की धरती पर जन्म लेकर हिन्दू विरोधी एजेंडा चलाने वाली इस्लामी कट्टरपंथियों की ‘मानसिक गुलाम’ मुक्ता जोशी ने ट्विटर पर यह लेख साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने इस मामले की 7 महीने तक जाँच की है। हास्यास्पद यह है कि 7 महीने तक जाँच करने के बावजूद एक भी बात साबित नहीं कर पाई कि HAF कैसे भारत सरकार के लिए काम करता है। इन सबके बाद भी मुक्ता जोशी के इस लेख को अल जजीरा ने केवल इसलिए जगह दी है क्योंकि यह हिन्दू विरोधी एजेंडा को बढ़ाता है।

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