ANI के खिलाफ आपमानजनक टिप्पणी हटाओ: दिल्ली हाई कोर्ट ने Wikipedia को दिया आदेश, कहा- तटस्थ रहो, ऑनलाइन ब्लॉग मत बनो
दरअसल, एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ विकिपीडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में डबल बेंच में अपील की थी। इसके बाद बेंच ने यह आदेश दिया। जुलाई 2024 में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने विकिपीडिया को समन जारी किया था और उसे ANI के विकिपीडिया पेज पर संपादन करने वाले तीन लोगों के बारे में जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (8 अप्रैल 2025) को विकिपीडिया की उसके ‘विचारपरक’ और ‘पक्षपाती’ कंटेंट के लिए आलोचना की। दरअसल, विकिपीडिया ने भारतीय न्यूज एजेंसी ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI)’ को अपने पेज पर केंद्र सरकार का ‘प्रोपगेंडा टूल’ यानी दुष्प्रचार उपकरण बताया था। इसके खिलाफ ANI ने अदालत का रूख किया था।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता वाली दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि विकिपीडिया को ‘विश्वकोश’ के रूप में देखा जाता है। इसलिए इसे एक ऑनलाइन ब्लॉग की तरह दिखने के बजाय तटस्थ रहना चाहिए। यदि विकिपीडिया मध्यस्थ होने का दावा करता है तो वह मामले के गुण-दोष के आधार पर अदालत के फैसले को चुनौती नहीं दे सकता।
हाई कोर्ट ने कहा, “ईमानदारी से कहें तो हम सभी विकिपीडिया का उल्लेख करते हैं। मुझे अच्छी तरह याद है कि जब बच्चे हाई स्कूल में होते हैं तो विकिपीडिया देखते हैं। बच्चों को इसके बारे में सिखा सकते हैं… शब्द ‘पीडिया’ विश्वकोश से आया है। एक विश्वकोश को बहुत तटस्थ होना चाहिए। विकिपीडिया इस तरह से एक महान सेवा कर रहा है… यदि आप इस तरह से पक्ष लेना शुरू करते हैं तो यह किसी ब्लॉग की तरह हो जाता है।”
विकिपीडिया के मध्यस्थ होने के दावे को लेकर खंडपीठ ने कहा, “आपने पहले ही दलील दी है कि आप एक मध्यस्थ हैं। IT नियमों के तहत उनका काम केवल अदालत के निर्देशों को लागू करना है। आप गुण-दोष के आधार पर इसका बचाव नहीं कर सकते। यदि आप एक मध्यस्थ हैं और अदालत आपको इसे हटाने का निर्देश देती है तो आप गुण-दोष के आधार पर बहस भी नहीं कर सकते।”
इससे पहले हाई कोर्ट की एकल जज ने 2 अप्रैल को अपने आदेश विकिपीडिया को ANI के खिलाफ अपमानजनक सामग्री हटाने और इस तरह के कंटेंट को आगे प्रकाशित करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। जज ने एएनआई के पेज में संपादन पर रोक लगाने के लिए लगाए गए प्रोटेक्शन स्टेट को भी हटाने का निर्देश दिया था।
इसमें थोड़ा संशोधन करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि विकिपीडिया को अपमानजनक सामग्री को हटाना होगा, लेकिन यदि इसी तरह की सामग्री फिर से दिखाई देती है तो ANI को वह सूचित कर सकता है, जिससे आगे की कार्रवाई के लिए विकिपीडिया को प्रेरित किया जा सके। वहीं, ANI के पेज पर प्रोटेक्शन स्टेट हटाने के एकल जज के फैसले को भी स्थगित कर दिया।
दरअसल, एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ विकिपीडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में डबल बेंच में अपील की थी। इसके बाद बेंच ने यह आदेश दिया। जुलाई 2024 में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने विकिपीडिया को समन जारी किया था और उसे ANI के विकिपीडिया पेज पर संपादन करने वाले तीन लोगों के बारे में जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया था।
जब ANI ने शिकायत की कि विकिपीडिया ने इस निर्देश का पालन नहीं किया है तो एकल न्यायाधीश ने विकिपीडिया के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई और न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया। विकिपीडिया के एक अधिकृत प्रतिनिधि को 25 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने का भी आदेश दिया था। इसके बाद विकिपीडिया ने अपील में डिवीजन बेंच का रुख किया।
डिविजन बेंच में ANI और विकिपीडिया एक समझौते पर पहुँचे। इस समझौते के तहत विकिपीडिया ने उन यूजर्स को नोटिस देने पर सहमति जताई, जिन्होंने पेज का संपादन किया था। इसके बाद विकिपीडिया ने उन तीन उपयोगकर्ताओं को नोटिस दिया जिन पर एएनआई की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले अपमानजनक संपादन करने का आरोप था।
गौरतलब है कि डिवीजन बेंच ने विकिपीडिया पर हाई कोर्ट के मामले से संबंधित ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल बनाम विकिमीडिया फाउंडेशन’ शीर्षक वाला पेज होस्ट करने के लिए भी आलोचना की और इसे हटाने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके बाद जस्टिस नवीन चावला और रेणु भटनागर की बेंच ने मामले की सुनवाई बंद कर दी, क्योंकि जस्टिस नवीन चावला ने खुद को मामले से अलग कर लिया था।
