एकता टाइम्स गुपचुप तरीके से छाप रहा फाइल कापी
डीएवीपी यानी सरकारी विज्ञापन के लिए अखबार मालिक किस प्रकार से सरकार के साथ धोखाधड़ी कर हैं इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं फाइल काफी। अखबार मालिक जब तक अखबार का प्रकाशन शुरू नहीं करते तब तक वे सरकार को ही उल्लू बनाने में लगे रहते हैं। कुछ कापियां छापकर ये सरकार के उन कार्यालयों में भेजते हैं जहां जाना विज्ञापन के लिहाज से जरूरी होता है। जिससे उन्हें अखबार के लिए सरकारी विज्ञापन मिल सके।
यानी पहले फाइल कापी छापों फिर सरकार को विज्ञापन के माध्यम से चूना लगाओ। इसी तरह इस समय वाराणसी से दो अखबार केवल व केवल फाइल कापियां ही छाप रहे हैं। पहला अखबार है जनसंदेश टाइम्स और दूसरा है एकता टाइम्स। जनसंदेश के बारे में तो आपको पता ही होगा।
भ्रष्टाचार में लिप्त और जेल में बंद पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का अखबार है। हालांकि अब इसके चलाते कोई और हैं। पर अखबार पर कुशवाहा का ही राज है। इसका उदाहरण उस दिन देखने को मिला जब कुशवाहा का पत्नी और भाई ने सपा ज्वाइन किया। वैसे इस अखबार में धुरंधर भी कम नहीं हैं। मालिक को बिना बताए ही अखबार की बोली माफियाओं के सेट कर लेते हैं। खैर….
जनसंदेश टाइम्स का प्रकाशन मेरठ से नहीं हो रहा है उसका प्रकाशन केवल लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी और गोरखपुर से हो रहा है पर यह अखबार मेरठ से भी अपना प्रकाशन दिखाता है। जबकि मेरठ में यदि आप अखबार खोजेंगे तो उसका रद्दी भी यहां नहीं मिल पाएगा। पर वह अपना प्रकाशन केंद्र के रूप में मेरठ को भी दर्शाता है। सूत्र बता रहे हैं प्रबंधन केवल फाइल कापी छापकर ही अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेता है। उसकी कोशिश है कि डीएवीपी मिलने तक मेरठ से केवल फाइल कापी छापी जाए। यानी सरकार के आंखों में धूल झोंका जाए।
इसी तरह वाराणसी का ही एक और अखबार है। एकता टाइम्स के नाम से। हालांकि इसके बारे में तो वाराणसी में भी लोग कम ही लोग जानते हैं पर उसके मालिक अक्सर चर्चा में रहते हैं। नाम है लक्ष्मण दास। शायद आपने भी सुना ही होगा। एकता ज्योतिष के मालिक या ज्योतिषाचार्य। ये महोदय दूसरे का भाग्य बाचते हैं पर अखबार के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है और सरकार को ठगने में जुट गए हैं। खबर है कि इन्होंने एक दो लोगों को लेकर अखबार की फाइल कापी छापना शुरू कर दिया है। जिससे उन्हें भी डीएवीपी मिल सके और सरकार को वे चौतरफा अपने संबंधों के कारण लूट सकें। सूत्र बता रहे हैं कि ज्योतिष का विज्ञापन वे वाराणसी के सभी अखबारों में भरपूर देते हैं। हालांकि उनका ज्योतिष कितना चलता है वे ही जानते होंगे पर विज्ञापन के माध्यम से उन्होंने अपना ज्योतिष का धंधा खूब चमका रखा है। सूत्र बता रहे हैं कि अन्य अखबारों को वे जो विज्ञापन देते हैं सोचते हैं कि उनका अखबार होगा तो वे उस विज्ञापन के पैसे ही अखबार निकाल लेंगे। इसलिए सरकार के साथ फर्जीवाड़ा में जुट गए हैं। अब देखना है कि अखबार को किस तरह से चलाते हैं।