चित्रा त्रिपाठी ने बताया कि आखिऱ क्यों नहीं वे पहुंची नवीन कुमार से डिबेट करने…
करीब दस दिन पहले जिस तरह न्यूज 24 के पत्रकार नवीन कुमार और इंडिया न्यूज की पत्रकार चित्रा त्रिपाठी की सोशल मीडिया से जिस तरह एक दूसरे से भिडंत हुई थी और उसके बाद दोनों सार्वजनिक बहस को राजी हुए थे। वर्ण व्यवस्था और जातिवाद को लेकर इस बहस का तमाम पत्रकारों को भी इंतजार था, कल इस बहस का आयोजन नवीन कुमार की ओर से किया गया। पर वहां चित्रा त्रिपाठी नहीं पहुंची, जिसे लेकर सोशल मीडिय पर तरह-तरह के सवाल उठाए गए। आखिर चित्रा त्रिपाठी कल की बहस का हिस्सा क्यों नही ंबनी, इस बात का स्पष्टीकरण चित्रा त्रिपाठी ने bhadas4journalist को यूं दिया है, जिसे हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं…
शनिवार को वो मुझे डिबेट के लिये ढ़ूढ रहे थे। जबकि पहले ही मैंने शनिवार की अपनी वयस्तता उन्हें बता दी थी। 10 दिन तक फेसबुक पर उन्होने मुझे कोई जवाब नहीं दिया, और आज शनिवार को मजमा लगाकर एकतरफा बहस कर डाली। लोग तय करें कि क्या मुझसे डिबेट को लेकर नवीन कुमार गंभीर थे?10 दिन पहले का नवीन कुमार को मेरा जवाब नीचे है.
प्रिय Navin Kumar,
आप की चुनौती मुझे स्वीकार है, लेकिन आप रविवार का दिन निर्धारित करें। शनिवार को ऑफिस के काम में मेरी व्यस्तता बहुत है। आप के ज्ञान पर मुझे संदेह नहीं और इस बात को भी मैं स्वीकारती हूं कि आप मुझसे ज्यादा अनुभवी, ज्यादा पढ़ने वाले और बड़े चैनल के बड़े ओहदों पर काम कर चुके बड़े पत्रकार हैं। मैं आपसे भी बहुत कुछ सिखती हूं और इस बात को आपके सामने भी मैं कई बार स्वीकार कर चुकी हूं। इन सब के इतर आपसे व्यक्तिगत अच्छे दोस्त का रिश्ता भी है। लेकिन नवीन मिठाई में भी चीनी नाप कर डालनी पड़ती है। पिछले लगभग एक साल से देश का सर्वश्रेष्ठ पत्रकार घोषित करवाने के नाम पर आपने अपनी लेखनी को एकतरफा कर दिया है। आप अब सिर्फ वही लिखते हैं जो आपको ठीक लगता है। आपके क्रान्तिकारी शब्द सुनकर पहले मेरे अंदर जो सम्मान की भावना आपके लिये पैदा होती थी अब वही आपके तथाकथित क्रान्तिकारी शब्द बदहजमी पैदा करते हैं। नवीन कुमार ब्राहम्णों को गाली देने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि ब्राहम्ण तो कोई समस्या ही नहीं है। लेकिन आपकी सोच पूरी तरह नकारात्मक हो चुकी है। आप पढ़ते ज्यादा हैं, अच्छी बात है लेकिन किताबी ज्ञान ने आपको एक दायरे तक सीमित कर दिया है। दरअसल आपको मुझसे बहस नहीं करनी बल्कि आप मुझे ब्राहम्ण के रुप में खड़ा कर मुझे गाली देकर अपनी आत्मा की संतुष्टि करना चाहते हैं। नवीन कुमार मैं हर धर्म, जाति, वर्ग का सम्मान करती हूं, लेकिन मुझे अपने ब्राह्मण होने पर भी उतना ही गर्व है । बहस से भागूंगी नहीं, जगह और समय तय कीजिये। लेकिन नवीन कुमार एकतरफा “जहर”उगलना बंद कीजिये, क्योंकि इसके जरिये आप समाज को बांटने वाली पत्रकारिता कर रहे हैं।
वैसे जब चित्रा त्रिपाठी सार्वजनिक बहस मे न पहुंची तो उसके बाद नवीन कुमार ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि अब कोई सवाल जवाब नहीं नहीं। जब Chitra Tripathi बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर गर्व कर सकती हैं कुछ भी कह सकती हैं। और किसी भी बात पर गर्व कर सकती हैं। नाथूराम गोडसे पर गुमान करने वाली पत्रकार चित्रा त्रिपाठी के बारे में कुछ और नहीं कहना। पूछना हो तो उनसे पूछिए। गांधी से इतनी नफरत? क्यों? यह सवाल उन राष्ट्रवादियों से भी है जो इस देश की आज़ादी से प्यार करते हैं कि राष्ट्रपिता के हत्यारे पर गर्व करने की मानसिकता को पत्रकारिता के किस खांचे में रखेंगे। अब बस।