…इस तरह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा यह पत्रकार, पढ़िए पूरी कहानी

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे हाई प्रोफाइल जालसाज गिरोह का भंड़ाफोड किया है, जो पत्रकारिता की आड़ में स्टिंग विडियो तैयार कर लोगों से रुपये ऐंठता था। इस ठग के निशाने पर केंद्रीय मंत्री, नेता और सरकारी अफसर होते थे। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान संजय कुमार तिवारी (40) और उसके साथी की पहचान गौरव शर्मा (23) के रूप में हुई है। पुलिस ने तिवारी को ऐसा महाठग बताया है जिसने स्‍कूल के दिनों से ही लोगों को ठगना शुरू कर दिया था।

तिवारी के पत्रकार से लेकर ठग बनने की कहानी भी काफी रोचक है। उत्‍तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में सरकारी स्‍कूल के छात्र रहे तिवारी ने स्‍कूल प्रशासन को भी गुमराह करने की कोशिश की थी। उसने स्‍कूल प्रबंधन को वहां नकल होने की जानकारी दी थी लेकिन प्रिंसिपल ने उसका विश्‍वास करने के बजाय उसे सजा भी दी थी।

गौरव शर्मा

गौरव शर्मा

इस घटना के कुछ दिनों बाद जब उत्‍तर प्रदेश के तत्‍कालीन शिक्षा मंत्री ने उस स्‍कूल का दौरा किया था, तब तिवारी ने उन्‍हें भी वही बता बताई थी जो उसने स्‍कूल प्रबंधन से कही थी।  तब स्‍कूल के उसी प्रधानाचार्य ने उन्‍हें नकद पुरस्‍कार दिया था और एक्‍शन भी लिया था।

इसके कुछ साल बाद तिवारी दिल्‍ली चला आया, उस समय उसकी जेब में बस 70 रुपये थे और बताया जाता है कि उसने लोगों को ठगी कर 10 करोड़ रुपये से ज्‍यादा कमाई करने के साथ ही यहां दो फ्लैट भी खरीद लिए।

पुलिस के अनुसार उसने अपने कॅरियर की शुरुआत ‘ऑल इंडिया रेडियो’  पर आने वाले युवावाणी कार्यक्रम पर कविता पढ़कर की। लेकिन उसकी महत्‍वाकांक्षाएं काफी बड़ी थी जो इतनी आसानी से पूरी नहीं हो सकती थीं। पुलिस ने बताया कि इसके बाद तिवारी ने न्‍यूज स्ट्रिंगर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। अपनी कार्यकुशलता के बल पर उसने एक नए लॉन्‍च हुए न्‍यूज चैनल में नौकरी पा ली। इसके बाद उसने एक राष्‍ट्रीय हिन्‍दी दैनिक में साप्‍ताहिक कॉलम लिखना शुरू कर दिया और इसके बाद अपने दो पब्लिकेशन भी लेकर आया।

पुलिस के अनुसार तिवारी की जिंदगी में अहम मोड़ तब आया जब वह वर्ष 2000 के आसपास तहलका के एडिटर रहे तरुण तेजपाल के संपर्क में आया। उस समय यह देखकर उसकी आखें चौंध गईं कि स्टिंग ऑपरेशन से तरुण तेजपाल को इतनी प्रसिद्धि मिली और उन्‍हें जेड प्‍लस की सुरक्षा भी मिली थी।

इसके बाद उसने स्टिंग ऑपरेशन को ही अपना पेशा बना लिया और लोगों से उगाही करनी शुरू कर दी। हालांकि उसके खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था।

पुलिस के अनुसार, तिवारी ने पूछताछ में बताया कि मोदी सरकार के सत्‍ता में आने के बाद स्टिंग से पैसा जुटाना उसके लिए काफी मुश्किल हो गया था। अपने बिजनेस को चलाने के लिए उसने गौरव शर्मा को साथ मिलाया और पैसा लाने-ले जाने के लिए कुछ युवकों को नौकरी पर भी रखा। मुख्य आरोपी सिर्फ नेताओं, नौकरशाहों और सीनियर अफसरों को ही अपना निशाना बनाता था। बात पक्की होने के बाद पैसे लेने के लिए खुद नहीं जाता था। इसके लिए काम पर रखे गए युवक वहां पहुंचकर संबंधित अफसर या नेता से संजय या फिर गौरव की बात कराते थे।

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