दंगा रोकने मायावती के चहेते अफसरों की मुजफ्फरनगर में की गई तैनाती
उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक हो रहे सांप्रदायिक दंगों को रोकने में नाकाम साबित हो रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आखिरकार पिछली मायावती सरकार के चहेते अफसरों के प्रति अपनी खिन्नता कुछ कम कर दी है. इन्हीं कुछ अफसरों ने मायावती के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में एक भी दंगा नहीं होने दिया था. इन पुलिस अधिकारियों की काबिलियत को देखते हुए अब अखिलेश यादव ने भी इन्हें दंगा और सांप्रदायिक तनाव रोकने की कमान सौंपी है.
आईपीएस विजय भूषण की गिनती मायावती के बेहद खास अफसरों में होती है. मायावती सरकार के दौरान यह गाजियाबाद में एसपी के पद पर तैनात थे. 2008 में गाजियाबाद में जब स्कूली बच्चों के झगड़े ने सांप्रदायिक तनाव का रंग लिया तो विजय भूषण ने तुरंत उसपर काबू पा लिया. समाजवादी पार्टी सरकार अब विजय भूषण को मुजफ्फरनगर भेजकर दंगाग्रस्त इलाके में उनके अनुभव को आजमाने का निर्णय लिया है. बीएसपी सरकार के दौरान एसटीएफ के एसएसपी रहे अमित पाठक को भी अखिलेश सरकार ने दंगा नियंत्रण इलाके में भेजा है. पाठक अभी तक अलीगढ़ के एसएसपी थे. इसी तरह बीएसपी सरकार के दौरान एसएसपी के डीआइजी रहे राजीव सब्बरवाल ने बरेली और मथुरा में हुए सांप्रदायिक तनाव से सख्ती से निपटने में अपनी काबिलियत दिखाई थी.
सब्बरवाल अब आतंकवाद निरोधी दस्ते के आईजी हैं. इन्हें दंगाइयों से निपटने में टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का एक्सपर्ट माना जाता है. अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सब्बरवाल को भी मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों में सांप्रदायिक दंगों को काबू करने वाले अधिकारियों की टीम में शामिल किया है. मायावती के एक और खास अधिकारी चंद्रप्रकाश बीएसपी सरकार के दौरान मेरठ के आईजी थे. इनके कार्यकाल के दौरान मेरठ में एक भी सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ. चंद्रप्रकाश के अनुभव का लाभ सपा सरकार को दंगा ग्रस्त इलाके में मिलने की उम्मीद है. इसी प्रकार बीएसपी सरकार में मेरठ के डीआइजी रहे जेएन सिंह को आक्रोशित भीड़ से शांतिपूर्वक निपटने में निपुण माना जाता है. सपा सरकार बनने के बाद इन्हें पुलिस मुख्यालय लखनऊ के शिकायत प्रकोष्ठ में तैनात किया गया था. मुजफ्फरनगर में भडक़े दंगे के बाद अब सरकार ने इन्हें बागपत भेजा है.