संपादक से बदसलूकी में सस्पेंड इंस्पेक्टर रणजीत राय को गिरफ्तार कर गैंगस्टर ऐक्ट लगाने की मांग
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय को धमकाने के मामले में एसटीएफ के निलंबित इंस्पेक्टर रणजीत राय की गिरफ्तारी के साथ उन पर गैंगस्टर ऐक्ट लगाने की मांग की गई है। मामले को गंभीर बताते हुए उसी के मुताबिक कार्रवाई की मांग करते हुए शहर के वरिष्ठ पत्रकारों ने लखनऊ में गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया।
धरने के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। राज्यपाल ने न्याय का आश्वस्त दिया है।
धरने में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.विक्रम राव, मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी, सचिव शिव शरण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार शिवशंकर गोस्वामी, विनीत मौर्य और पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय, सहित साहित्यकार और जागरूक समाजसेवी भी शामिल हुए।
धरने के बाद शिष्टमंडल ने राज्यपाल राम नाईक को ज्ञापन दिया। उसमें मांग की गई कि एसटीएफ के सस्पेंडेड इंस्पेक्टर रणजीत राय और उनके सहयोगियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर उन पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।
यही नहीं रणजीत राय को बर्खास्त किया जाए। शिष्टमंडल ने वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय और उनके परिवार वालों को सुरक्षा देने की भी मांग की है। शिष्टमंडल में वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी, मुकुल मिश्रा, शिवशंकर गोस्वामी, विजय उपाध्याय, प्रेमकांत तिवारी, विनीत मौर्य और भारत सिंह शामिल थे।
इस प्रकरण पर Arun Khote ने फेसबुक पर कुछ यूं लिखा है :
कल वरिष्ठ पत्रकार व जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक व हम सबके साथी सुभाष राय के घर पर जिस तरह से STF के इंस्पेक्टर रंजीत राय ने हथियारबंद गुंडों के साथ हमला करने की कोशिश, अभद्रता व गालीगलौच की गई वह STF की प्रासंगिकता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. पत्रकार और बुद्धिजीवी वर्ग के दबाव में भले STF के इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया हो. लेकिन यह बहुत ही मामूली सजा है. इस प्रकार की घटनाओं के लिए बर्खास्तगी से कम कोई सजा नहीं हो सकती. जो पुरे विभाग के लिए एक मिसाल बने.
लेकिन STF जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाले विभाग जहाँ छोटी सी चुक भी भारी पड़ सकती है वहां इस कदर गैरजिम्मेदार और अराजक तत्वों के साथ किसी भी प्रकार की शिथिलता इस विभाग के लिये बहुत आत्मघाती होगी.
STF का गठन एक बहुत ही खास उद्देश्य के लिये किया गया था और जिस स्तर की अराजकता और पद के दुरपयोग की घटनाएँ सामने आती रहती हैं वह इस विभाग में कड़े अनुशासन को स्थापित करने के लिए एक व्यापक समीक्षा की मांग करता है. क्योंकि STF के पास त्वरित और गंभीर निर्णय लेने की द्रष्टि से बहुत शक्तियां और ज्यादा अधिकार दिये गये हैं. लेकिन अनुभव यही बताते हैं कि STF को इन अधिकारों के दुरुपयोगों से रोकने का कोई मजबूत ढांचा नहीं है.
इनकाउंटर , झूठे मुक़दमे में फंसा देने, बिना सुचना उठा ले जाना, टार्चर करना, अपराधिक गिरोहों से सांठ गांठ रखना, रियल इस्टेट और ज़मीन के दलालों से SFT के लोगों की निकटता बहुत आम बात है.
STF के इंस्पेक्टर रंजीत राय को तुरन्त बर्खास्त करके उसके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए तुरंत जेल भेजा जाना चाहिये.