खत्म हो गया खुशवंतनामा

khushwant_जिन्दगी के 99 सालों को जिन्दादिली के साथ जीनेवाले जाने माने पत्रकार और अंग्रेजी साहित्यकार खुशवंत सिंह की जिन्दगी का सफर आज समाप्त हो गया। उनका आज दिल्ली में निधन हो गया। उनके पुत्र और पत्रकार राहुल सिंह ने बताया कि उन्होंने सुजान सिंह पार्क स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में कुछ दिनों से परेशानी हो रही थी।

2 फरवरी 1915 को वर्तमान पाकिस्तान स्थित पंजाब में पैदा होनेवाले खुशवंत सिंह के पिता सर शोभा सिंह लुटियंस दिल्ली बनानेवाले प्रमुख ठेकेदारों में शामिल थे। दिल्ली, लाहौर और लंदन में पढ़ाई करनेवाले खुशवंत सिंह ने अपने जिन्दगी की शुरूआत टोरंटों में भारतीय इन्फार्मेशन आफिसर के तौर पर की थी। जल्द ही वे लंदन स्थित भारतीय हाईकमीशन में प्रेस एटैची के तौर पर कार्यरत हो गये। लेकिन 1950 में वे दिल्ली में सरकार की तरफ से योजना पत्रिका की शुरूआत की।

लेकिन पत्रकार के तौर पर उनके कैरियर की शुरूआत ‘इलस्ट्रेटेड वीकली आफ इंडिया’ से हुआ, जिसका प्रकाशन अब बंद हो चुका है। खुशवंत सिंह के संपादन में इलस्ट्रेटेड वीकली ने सर्कुलेशन का नया रिकार्ड बनाते हुए 4 लाख कापी तक पहुंच गया था। लेकिन नौ साल की नौकरी के बाद उन्हें यहां से जाना पड़ा।  इसके बाद वह ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ अखबार के भी संपादक रहे। उनका साप्ताहिक स्तम्भ ‘विद मैलिस टुवर्ड्स वन एंड ऑल’ काफी लोकप्रिय हुआ और कई समाचारपत्रों में छपता रहा।

पत्रकारिता के साथ ही खुशवंत सिंह ने अंग्रेजी साहित्य लेखन भी किया और सिख धर्म का इतिहास भी लिखा जिसके बारे में उन्होंने एक बार कहा था कि, हालांकि वे धार्मिक व्यक्ति नहीं रहे जिन्दगी में लेकिन सिख धर्म का इतिहास लिखकर उन्हें जो संतोष मिला वह और किसी काम से नहीं मिल पाया। श्री सिंह ने ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ और ‘आई शैल नाट हियर द नाइटिंगल’ जैसी लोकप्रिय पुस्तकें लिखीं।

दिवंगत इंदिरा गांधी की सरकार की ओर से सिंह को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था। वह 1980 से 86 तक सांसद रहे। खुशवंत सिंह को 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1984 में स्वर्ण मंदिर में सेना के प्रवेश के विरोध में उन्होंने यह सम्मान लौटा दिया था। 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से विभूषित किया गया।

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