अल जजीरा के बाद एनडीटीवी पर एक्‍शन ले रही मोदी सरकार, मनमोहन राज के 10 साल में 20 चैनल हुए थे ऑफ एयर

al-jajeera-620x400सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पैनल के एनडीटीवी इंडिया न्‍यूज चैनल को एक दिन के लिए ऑफ एयर करने की सिफारिश (हालां‍कि एनडीटीवी का कहना है किे उसे आदेश मिल गया है।) पर काफी हंगामा हो रहा है। भारत में किसी टीवी चैनल को ऑफ एयर करने की यह पहली सिफारिश/आदेश नहीं है। पिछले 10 साल में प्रसारण के नियमों का उल्‍लंघन किए जाने पर 28 बार टीवी चैनलों को ऑफ एयर किया गया है। ज्‍यादातर बार ऐसा फैसला एडल्‍ट कंटेंट प्रसारित करने पर लिया गया। हालांकि पहले किसी घटना के कवरेज को लेकर किसी भारतीय न्‍यूज चैनल पर कार्रवाई नहीं हुई। एनडीटीवी इंडिया को ऑफ एयर करने की सिफारिश न्‍यूज चैनल के खिलाफ पहली बड़ी कार्रवाई है। साल 2015 में सरकार ने अल जजीरा को भारत का गलत नक्‍शा दिखाने पर पांच दिनों के लिए ऑफ एयर कर दिया था। साल 2007 में जनमत टीवी को 30 दिन के लिए ऑफ एयर करने का ऑर्डर हुआ था। यह आदेश फर्जी स्टिंग ऑपरेशन दिखाने के चलते दिया गया था। इस मामले में चैनल ने अपनी गलती मानी थी और स्टिंग फर्जी साबित हुआ था।

 

सरकार ने NDTV इंडिया को एक दिन के लिए प्रसारण रोकने का दिया आदेश; पठानकोट हमले का संवेदनशील विवरण देने का आरोप
पहले कब-कब हुई कार्रवाई: अब तक एएक्‍सएन और फैशन टीवी सबसे ज्‍यादा बार ऑफ एयर किए गए। यूपीए सरकार के समय भी नियम तोड़ने पर चैनल्‍स पर दंडात्‍मक कार्रवाई की गई थी। साल 2005 से 2013 के बीच यूपीए शासन के समय 20 चैनलों को ऑफ एयर किया गया था। इनमें से ज्‍यादातर पर एंडल्‍ट कंटेंट और न्‍यूडिटी दिखाने के चलते कार्रवाई हुई। साल 2007 से 2010 के बीच तीन बार एफटीवी को ऑफ एयर किया गया। पहली बार ‘मिडनाइट हॉट’ कार्यक्रम प्रसारित करने पर दो महीने के लिए उसका प्रसारण रोक दिया गया। इसके बाद टॉपलैस महिलाएं दिखाए जाने पर साल 2010 में उस पर नौ दिन का प्रतिबंध लगाया गया। साल 2013 में अश्‍लील कंटेंट दिखाने पर एफटीवी को 10 दिन का बैन झेलना पड़ा। इसके अलावा एएक्‍सएन और सिने वर्ल्‍ड चैनल भी ऑफ एयर किए गए थे। सूचना प्रसारण मंत्रालय के अनुसार टीवी चैनलों पर केबल टेलीविजन नेटवर्क रूल्‍स 1994 के तहत कार्रवाई की जाती है। ये नियम नग्‍नता और एडल्‍ट कंटेंट दिखाने पर रोक लगाते हैं।

एनडीटीवी इंडिया पर कार्रवाई क्‍यों: अगर एनडीटीवी इंडिया ऑफ एयर होता है तो आतंकी हमलों के दौरान गैर जिम्मेदारी से कवरेज करने और संवेदनशील मुद्दों को जगजाहिर करने के आरोप में यह पहली बार ऐसा एक्शन होगा। इस सिफारिश को लेकर सरकार को मीडिया संगठनों और सोशल मीडिया की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कई बड़े पत्रकार और आम लोग भी बैन के खिलाफ तीखी टिप्‍पणियां कर रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर एक तबका इसका समर्थन भी कर रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पैनल के अनुसार पठानकोट हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी देने के चलते एनडीटीवी इंडिया पर कार्रवाई की गई है।

क्‍या कहना है चैनल का: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्‍त हुआ है। बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरीके से चुना गया। सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी। वास्‍तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी। आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है। इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्‍पों पर विचार कर रहा है।’

एडिटर्स गिल्‍ड ने भी किया विरोध: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक प्रमुख हिंदी चैनल का प्रसारण एक दिन के लिए रोकने के एक अंतर-मंत्रालयी पैनल के अभूतपूर्व निर्णय की कड़ी आलोचना की है और इसे प्रेस की स्वतंत्रता का ‘‘प्रत्यक्ष उल्लंघन’’ करार दिया है। संपादकों के समूह ने मांग की कि इस आदेश को ‘‘तत्काल रद्द’’ किया जाए।

 

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