यूपी के 812 अभियुक्त पत्रकारों की जिलेवार सूची आरटीआई में डीजीपी ऑफिस ने की सार्वजनिक
आपराधिक मामलों में आरोपित उत्तर प्रदेश के 812 अभियुक्त पत्रकारों की जिलेवार सूचना सूबे के पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने सूचना का अधिकार ( आरटीआई ) क़ानून के तहत सार्वजनिक कर दी है. सूबे के मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के जन सूचना अधिकारी ने राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर मुख्यालय पुलिस महानिदेशक कार्यालय में तैनात पुलिस उपाधीक्षक ( अपराध ) राम शब्द के पत्र के साथ 25 पेज संलग्न करके ये सूचना सार्वजनिक की है.
आपराधिक मामलों में आरोपित उत्तर प्रदेश के 812 अभियुक्त पत्रकारों की जिलेवार सूचना सूबे के पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने सूचना का अधिकार ( आरटीआई ) क़ानून के तहत सार्वजनिक कर दी है. सूबे के मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के जन सूचना अधिकारी ने राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर मुख्यालय पुलिस महानिदेशक कार्यालय में तैनात पुलिस उपाधीक्षक ( अपराध ) राम शब्द के पत्र के साथ 25 पेज संलग्न करके ये सूचना सार्वजनिक की है.
दरअसल संजय शर्मा ने बीते साल के दिसंबर माह में डीजीपी कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी दायर करके इस सम्बन्ध में सूचना मांगी थी जिस पर बीते मार्च माह की 18 तारीख को सूचना जारी की गई है
संजय ने बताया कि वे शीघ्र ही सूबे के राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव,सूचना विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक के साथ-साथ राज्य संपत्ति विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र के साथ डीजीपी कार्यालय द्वारा सार्वजनिक की गई जिलेवार सूची भेजकर सूची में वर्णित दागी 812 पत्रकारों ( जिनके खिलाफ आपराधिक अभियोग पंजीकृत हुए हैं ) के जिलेवार नामों को प्रदेश के सभी जिलों के एल.आई.यू. कार्यालयों को भिजवाकर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा इन 812 पत्रकारों की विभिन्न श्रेणियों की सरकारी मान्यताएं सम्बंधित जिलाधिकारियों के माध्यम से निरस्त कराने और इन 812 पत्रकारों में से जिन पत्रकारों को वर्तमान में राज्य संपत्ति विभाग के आवास आबंटित हों उनका आबंटन तत्काल निरस्त कर सरकारी आवास तत्काल खाली कराने की मांग करेंगे.
संजय ने बताया उनको विश्वास है कि सूबे की सरकारी मशीनरी देश के प्रधानमंत्री और सूबे के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य करते हुए लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ से गन्दगी दूर कर इसकी साफ-सफाई करने का लोकहित का कार्य अवश्य करेगी तथापि यदि इस मामले में सरकार स्तर से नियमानुसार कार्यवाही नहीं की जाती है तो उनके पास उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके वृहद् लोकहित में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के दागियों के खिलाफ कार्यवाही कराने के लिए प्रयास करने का विकल्प खुला हुआ है.