मजीठिया वेज बोर्ड: 27 अप्रैल दिल्ली चलो का नारा

andolanभारत छोड़ो आंदोलन के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नारा दिया था यदि मुझे गिरफ्तार कर लिया जाए तो आप स्वयं अपने नेता हैं। हर उस आदमी का उतना ही महत्व है, जितना मेरा। साथियों, अब वक्त आ गया है कि हम भी महात्मा गांधी के उस नारे को अपनाएं और आगे बढ़ें, अन्यथा आने वाली पीढिय़ां हमें नकारा कहेंगी। जैसा की हम सभी जानते हैं कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लंबे समय पत्रकारों के बीच चर्चा में है और यह लड़ाई अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामले में जस्टिस रंजन गोगाई साफ कर चुके हैं कि अब अखबार मालिकों को आगे कोई समय नहीं दिया जाएगा और इसकी सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
साथियों, हमें इस वक्त का इस्तेमाल करना है। पूरे देश में मजीठिया वेज बोर्ड के लिए हम साथियों को आवाज बुलंद करनी होगी। ऐसे में अखबार मालिकों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने वाले साथियों ने तय किया है कि 27 अप्रैल को नई दिल्ली में जंतर-मंदर पर एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन किया जाए। इस विरोध प्रदर्शन में पत्रकार व गैर पत्रकार अपने परिजनों के साथ हिस्सा लेंगे। प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इससे पूर्व अप्रैल के शुरुआती माह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम भी बनाया जा रहा है। इसके लिए राष्ट्रपति से समय लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
साथियों, आप चाहे किसी भी राज्य में रहते हों, किसी भी अखबार में काम करते हों, इस एकदिवसीय धरना प्रदर्शन में जरूर अपनी भागेदारी दिखाएं। अपने साथियों को भी आने के लिए कहें। साथ ही पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों से भी अपील है कि वे भी इस लड़ाई में हमारा साथ दें और बड़ी संख्या में 27 अप्रैल को जंतर-मंतर पर पहुंचकर इस लड़ाई को सफल बनाएं, अन्यथा ये अखबार मालिक भविष्य में कभी भी किसी भी वेज बोर्ड को लागू नहीं करेंगे। और इसका खामियाजा हमारे साथ भविष्य में आप सब को भी भुगतना पड़ेगा।
साथियों, अब अंतिम चोट मारने का वक्त है। कोई भी दैवीय शक्ति हमारे लिए आगे नहीं आएगी। हमें स्वयं आगे बढऩा होगा। तो उठो, जागो, इन अखबार मालिकों को दिखा दो कि पत्रकार रीढ़विहीन नहीं हैं। इतिहास गवाह है जब जब इस देश के लोग खड़े हुए हैं उनके साथ इंसाफ हुआ है तो इन अखबार मालिकों की क्या बिसात है। वो एक कपिल सिब्बत नहीं, हजारों खड़ा कर लें, सत्य का दीया टिमटिमाता ही रहेगा। जीत हमारी ही होगी।

इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद

आपका
अखबार मालिकों के खिलाफ संघर्षरत पत्रकार साथी

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