गंदा है पर धंधा है ये : कोई लिखता बहुत है, पर छपता कभी नहीं और कोई छपता बहुत है पर लिखता कभी नहीं

कुछ तो ऐसे भी हैं जो सब काम कर सकते हैं, बस दो कॉलम लिख नहीं सकते। कुछ ऐसे हैं जो सौ % शाकाहारी हैं, पर उनके अपने आवासीय प्लॉट पर कामर्शियल नॉनवेज प्वॉइंट खुला है। जिनको शराब से एलर्जी है, उनके घर बीयर बार है।

हमारे उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की भी अजब-गजब कहानियां हैं। कोई लिखता बहुत है, पर छपता कभी नहीं। कोई छपता बहुत है पर लिखता कभी नहीं। जिसका मान्यता प्राप्त कार्ड है, उसकी बिरादरी (पत्रकारिता) में मान्यता नहीं। जिसकी बिरादरी में मान्यता है उसके पास सरकारी मान्यता नहीं। क्या कीजिएगा? जिसके पास अपना आवास है, उसको ही सरकारी बंगला एलॉट है। जिसके पास अपना मकान नहीं है, उसके लिए सपना है। इस प्रदेश की यही महिमा है, अब क्या कीजिएगा भाई। कुछ ऐसे पत्रकार हैं, जिनके पास कार तो है पर पत्र का पता नहीं। कुछ पत्रकार कम कलाकार ज्यादा हैं। कुछ तो चित्रकार जैसे प्रतीत होते हैं, काहे कि वह शब्दचित्र बनाने में माहिर हैं। कुछ सेटिंग वाले पत्रकार हैं, तो कुछ गेटिंग वाले, बाकी जो बचे वह वेटिंग वाले हैं। सेटिंग वालों की पौ बारह है, गेटिंग वाले नौ दो ग्यारह हैं, बस वेटिंग वालों के पास कोई नंबर गेम नहीं है। कोई गेमचेंजर है, कोई चेंजमेंकर तो कोई चैनस्नेचर बन चुका है। कुछ तो ऐसे भी हैं जो सब काम कर सकते हैं, बस दो कॉलम लिख नहीं सकते। कुछ ऐसे हैं जो सौ % शाकाहारी हैं, पर उनके अपने आवासीय प्लॉट पर कामर्शियल नॉनवेज प्वॉइंट खुला है। जिनको शराब से एलर्जी है, उनके घर बीयर बार है। क्या कीजिएगा भाई, राजकाज है…

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button