जीएम कौन, विनीत मौर्या या विनोद वर्मा !


एक पूर्व कर्मचारी के मोबाइल पर जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के मार्केटिंग इंचार्ज विनोद वर्मा ने फोन करके भड़ास फॉर जर्नलिस्ट पर छप रही खबरों पर पुरजोर विरोध जताया। इतना ही नहीं ऐंठन भरे लहजे में उन्होंने उस पूर्व इम्लाई से यह तक कह दिया कि कोई भी इम्प्लाई पीएफ के लिए कंप्लेन कैसे कर सकता है जब उसको संस्थान की तरफ से ज्वाइनिंग का कोई लेटर ही न मिला हो। मार्केटिंग इंचार्ज विनोद वर्मा इस बात को कहते हुए यह भूल गए कि 2010 में जब जनसंदेश टाइम्स लखनऊ का उद्ïघाटन हुआ था तो सिटी के रिपोर्टरों को छोड़कर बाकी सारे इम्प्लाइयों को ज्वाइनिंग लेटर देकर ही ज्वाइन कराया गया था। इतना ही नहीं उस पत्र में यह भी साफ-साफ लिखा था कि आप किस पद पर ज्वाइन कर रहे हैं, आपकी सैलरी कितनी है और यह पूरी सैलरी किन-किन मदों में आपको दी जाएगी। विनोद वर्मा अपनी अल्प जानकारी को लेकर पुराने कर्मचारियों को अर्दब में लेने का प्रयास कर रहे थे। वैसे ये सब कुछ वह जीएम विनीत मौर्या के कहे पर ही कर रहे थे। उनके द्वारा पूर्व कर्मचारी से फोन पर किए गए वार्तालाप जो विनोद वर्मा द्वारा काफी धमकी भरा और ऐंठन भरा था, उसकी पूरी रिकॉर्डिंग भी पूर्व कर्मचारी के फोन पर उपलब्ध है। इतना ही नहीं फोन पर जब पूर्व कर्मचारी ने जीएम विनीत मौर्या की सच उजागर करके कलई खोलनी शुरू की तो विनोद वर्मा ने तुरंत यह कहते हुए फोन काट दिया कि किसी का फोन आ रहा है। यह बात समझ से परे है कि आखिर विनोद वर्मा और विनीत मौर्या क्या यह समझ बैठे हैं कि वह अपने कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों को धमका कर उनका वेतन या रुका हुआ वेतन या पीएफ का पैसा मार सकते हैं। विनोद वर्मा एवं जीएम विनीत मौर्या को अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। वैसे इस फोन से इतना तो तय हो गया कि जीएम विनीत मौर्या स्वयं तो न फोन उठाते हैं न फोन पर उपलब्ध होते हैं लेकिन विनोद वर्मा के माध्यम से अब कर्मचारियों को धमका कर उनका पैसा दबाने में लग गए हैं। अब देखना यह है कि जीएम विनीत मौर्या धमका कर पैसा हजम करते हैं या पूर्व कर्मचारी अपने बकाया वेतन और पीएफ के पैसे को लेकर जीएम विनीत मौर्या को हवालात तक पहुंचाने में सफल होते हैं क्योंकि इतना तो तय है कि जीएम विनीत मौर्या न पीएफ का पैसा जमा करने के मूड में हैं न ही पूर्व कर्मचारियों के बकाया वेतन को देने के। अब यह जीएम मौर्या और पूर्व कर्मचारियों का संघर्ष कहां तक जाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
डी के अवस्थी के फेसबुक वॉल से सभार

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