लखनऊ: चटोरी गली में दुकानदारों से वसूली करने वाले मनोज सिंह का काला चिट्ठा, सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को भी नहीं छोड़ा, हैरान कर देगी फ्रॉड की कहानी

लखनऊ में खुद को बीजेपी नेता बताकर चटोरी गली में दुकानदारों से वसूली करने वाले मनोज सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को भी नहीं छोड़ा. सुप्रीम कोर्ट में जिन वकीलों ने मनोज सिंह का केस लड़ा, मनोज ने उनको फीस ही नहीं दी. जब दी तो चेक बाउंस हो गए.

लखनऊ का आरोपी नेता मनोज सिंह लखनऊ में खुद को बीजेपी नेता बताकर चटोरी गली में दुकानदारों से वसूली करने वाले मनोज सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को भी नहीं छोड़ा. सुप्रीम कोर्ट में जिन वकीलों ने मनोज सिंह का केस लड़ा, मनोज ने उनको फीस ही नहीं दी. दरअसल, फीस के नाम पर जिस बैंक के चेक दिए थे, उसमें पैसा ही नहीं था. चेक बाउंस हुए तो वकीलों ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अर्जी डाली. इस मामले में मनोज सिंह को 3 महीने की सजा हुई थी लेकिन ऊपरी अदालत से सजा पर रोक के चलते वह जेल नहीं गया.

बता दें कि मनोज सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में खुद की जान को खतरा बताते हुए सरकार से सुरक्षा पाने के लिए एक याचिका डाली थी. जिसपर हाईकोर्ट में सरकार ने जवाब दाखिल किया कि मनोज को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. ऐसे में मनोज की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट से सुरक्षा लेने की प्लानिंग फेल हुई तो मनोज सिंह ने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया और इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट के वकील राहुल त्रिवेदी से संपर्क किया. मनोज सिंह ने जब राहुल त्रिवेदी से मुलाकात की तो राहुल को उसने अखिलेश यादव और महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार का बेहद करीबी बताया. साथ ही कहा कि वो महाराष्ट्र में अजीत पवार के साथ मिलकर पावर प्लांट लगा रहा है. अजीत दादा ने ही सुप्रीम कोर्ट में राहुल को वकील रखने के लिए कहा है.

हालांकि, राहुल त्रिवेदी ने कहा भी की उनका तो अजीत पवार या अखिलेश यादव से कोई सीधा वास्ता नहीं है लेकिन मनोज सिंह के बार-बार अजीत पवार का नाम लेने और पूरी फीस देने की बात पर वकील राहुल त्रिवेदी उसका केस लड़ने को राजी हो गए. उन्होंने मनोज की तरफ से याचिका तैयार कर कोर्ट में फाइल कर दी.

13 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी लेकिन उससे पहले ही 11 दिसंबर 2019 को मनोज सिंह ने राहुल त्रिवेदी से कहा कि वह चाहता है कि उसके केस में पूर्व सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी और सोली सोराबजी भी खड़े हों. दोनों ही बड़े वकीलों की फीस देने की बात पर राजी मनोज सिंह ने मुकुल रोहतगी की 11 लाख की फीस का चेक जमा कर दिया. वहीं, राहुल त्रिवेदी को भी ₹5 लाख का चेक दे दिया.

अगले दिन 12 दिसंबर को जब मनोज सिंह सोली सोराबजी के चेंबर पहुंचा तो उनको भी 7 लाख 70 हजार की फीस का चेक देने लगा लेकिन अचानक उनके स्टाफ ने कहा कि हम आपको नहीं जानते, ना आप हमारे रेगुलर क्लाइंट है. ऐसे में फीस आप पहले आरटीजीएस कर दीजिए या फिर राहुल त्रिवेदी अपने खाते का 7 लाख 70 हजार का चेक जमा कर दें, तभी सोली सोराबजी खड़े होंगे.

मनोज सिंह के हाव-भाव को देखकर राहुल त्रिवेदी ने भरोसे में आकर अपने खाते का 7 लाख 70,000 का चेक सोली सोराबजी के ऑफिस में जमा कर दिया. बदले में मनोज सिंह ने राहुल त्रिवेदी को उनकी फीस का 5 लाख रुपए के साथ-साथ 7 लाख 70 हजार का एक और चेक दे दिया.

अगले दिन 13 दिसंबर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट में देश के दो बड़े वकील मुकुल रोहतगी और सोली सोहराब जी मनोज सिंह के केस में पहुंचे तो हड़कंप मच गया. लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सुनवाई करते हुए साफ कहा कि ‘उत्तर प्रदेश सरकार 15 जनवरी 2020 से पहले मनोज सिंह के जीवन के खतरे का आकलन कर ले और अगर राज्य सरकार की गठित सुरक्षा समीक्षा कमेटी मनोज सिंह की सुरक्षा कम या हटाने का फैसला करती है तो उसे 15 दिन का वक्त दिया जाए.’

इसके अगले दिन वकील राहुल त्रिवेदी ने जब अपनी फीस के 5 लाख का चेक और सोली सोराबजी के ऑफिस में जमा किए चेक के बदले 7 लाख 70 हजार का चेक बैंक में लगाया तो दोनों ही चेक बाउंस हो गए. उधर, मनोज सिंह भी गायब हो गया. ठगी का शिकार हुए राहुल त्रिवेदी ने फरवरी 2020 में नई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दोनों चेक के मामले में दो कंप्लेंट फाइल की.

कोर्ट में केस फाइल हुआ तो मनोज सिंह ने राहुल त्रिवेदी को ₹9 लाख केस के ट्रायल के दौरान वापस कर दिए, जिसके चलते कोर्ट ने एक कंप्लेंट केस को समझौते के बाद खत्म कर दिया. वहीं, दूसरे केस में सुनवाई हुई तो मनोज सिंह ने 7 लाख 70 हजार के चेक बाउंस में ₹2 लाख ही वापस किया.

इसके बाद 8 जुलाई 2024 को पटियाला हाउस कोर्ट ने मनोज सिंह को Negotiable Instruement Act में दोषी करार दिया और 21 अगस्त 2024 को उसको 3 महीने की जेल और 60 दिन में पीड़ित को 10 लाख 90 हजार भुगतान का फैसला सुना दिया.

अदालत से 3 महीने की सजा पाने के बाद भी मनोज सिंह नहीं सुधरा और अदालत के कहे 10.9 लाख का मुआवजा नहीं दिया. ऐसे में अक्टूबर 2024 में दिल्ली की पटियाला कोर्ट की जज ने 7 नवंबर 2024 को मनोज सिंह के खिलाफ गैर जमाती वारंट जारी कर बलिया के एसडीएम बैरिया को उसकी संपत्ति जप्त करने का आदेश सुना दिया.

एसडीएम बैरिया पुलिस फोर्स के साथ मनोज सिंह की संपत्ति उसके पैतृक गांव में कुर्क करने पहुंचे तो मनोज सिंह ने दिल्ली के सेशन जज की कोर्ट में क्रिमिनल अपील फाइल कर दी. क्रिमिनल अपील पर सेशन जज ने पिछली सुनवाई पर जवाब मांगा कि क्रिमिनल अपील फाइल करने में देरी क्यों हुई? अब इसी मामले पर 21 जनवरी 2025 को सुनवाई होनी है.

वहीं, दूसरी तरफ 3 महीने की सजा के लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनोज सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपील दाखिल कर दी. जिसपर सुनवाई के बाद 13 दिसंबर 2024 को जज ने लोअर कोर्ट के दिए फैसले 3 महीने की सजा और 60 दिन में 10 लाख 90 हजार जमा करने के फैसले पर अपील के निस्तारण तक रोक लगा दी.

इस संबंध में मनोज सिंह पर मुकदमा दायर कर निचली अदालत से 3 महीने की सजा कराने वाले वकील राहुल त्रिवेदी का कहना है कि लखनऊ और बलिया के बैरिया का रहने वाला मनोज सिंह महाठग, धोखेबाज़, महाफ़्रॉड, क्रिमिनल और अपराधी है. इसे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 अगस्त, 2024 को अपराधी घोषित किया था और 3 महीने की जेल भेजने की सजा सुनाई. इसके जज श्री अनुराग छाबरा जी थे.

आरोप है कि मनोज सिंह अपनी पुलिस सुरक्षा दिखाकर लोगों को ठगता है. वह सत्ता के हिसाब से पार्टी बदलता है. जब सुप्रीम कोर्ट में इसने याचिका डाली थी तब खुद को समाजवादी पार्टी का नेता और अखिलेश यादव का करीबी बताता था. अब यह खुद को यूपी बीजेपी का नेता बताता है.

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