विश्व कैंसर दिवस पर जागरूकता संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन
लखनऊ। जर्नलिस्ट मीडिया प्रेस एसोसिएशन द्वारा विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर एक भव्य कैंसर जागरूकता संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान तथा विशिष्ट अतिथि कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. एम.एल.बी. भट्ट उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त पीजीआई से आए डॉ. आलोक धवन एवं अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।
कैंसर मरीजों के मानसिक संबल की आवश्यकता – पवन सिंह चौहान
कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि पवन सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपने माता-पिता को कैंसर के कारण खोने का अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस बीमारी से लड़ाई में मानसिक सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कैंसर मरीजों के परिवारजनों से अपील की कि वे मरीजों का संबल बनें और उन्हें हिम्मत दें, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ इस बीमारी का सामना कर सकें।
जीवनशैली में सुधार से कैंसर से बचाव संभव – डॉ. एम.एल.बी. भट्ट
कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. एम.एल.बी. भट्ट ने अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और गलत खान-पान को कैंसर के प्रमुख कारणों के रूप में चिन्हित किया। उन्होंने बताया कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचाव संभव है। साथ ही, उन्होंने तंबाकू, शराब और जंक फूड से परहेज करने की सलाह दी और कहा कि प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर समय रहते उपचार से कैंसर पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
महिलाओं में बढ़ते स्तन और सर्वाइकल कैंसर पर जागरूकता जरूरी – डॉ. शालिनी सुमन
कार्यक्रम में महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर को लेकर डॉ. शालिनी सुमन ने जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि नियमित स्वास्थ्य जांच एवं टीकाकरण से इन बीमारियों को रोका जा सकता है। उन्होंने महिलाओं को 30 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से मैमोग्राफी और पैप स्मीयर टेस्ट करवाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
ओरल कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू सेवन – डॉ. स्वाति प्रसाद
मुख कैंसर पर बोलते हुए डॉ. स्वाति प्रसाद ने कहा कि तंबाकू, गुटखा, पान-मसाला और शराब का सेवन इसके प्रमुख कारण हैं। यदि प्रारंभिक चरण में इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन हानिकारक पदार्थों का सेवन छोड़ें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने कहा कि जन-जागरूकता और स्वस्थ आदतों को अपनाकर मुख कैंसर के मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण और कैंसर के बीच सीधा संबंध – डॉ. आलोक धवन
पीजीआई के डॉ. आलोक धवन ने पर्यावरण और कैंसर के बढ़ते मामलों के संबंध को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण, जहरीले केमिकल्स और प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करें और कार्बन फुटप्रिंट कम करें, तो कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से कैंसर नियंत्रण संभव – डॉ. शिल्पी
आयुर्वेदिक चिकित्सा पर चर्चा करते हुए डॉ. शिल्पी ने कहा कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और योग के माध्यम से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने हल्दी, गिलोय, आंवला और अश्वगंधा जैसी औषधियों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती हैं। उन्होंने आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने की अपील की, ताकि गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सके।
कैंसर सरवाइवर्स और संस्थाओं को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान कई कैंसर सरवाइवर्स को सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस गंभीर बीमारी से लड़कर एक नई जिंदगी पाई। इसके अलावा, कैंसर के क्षेत्र में कार्य कर रही कई संस्थाओं के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर केयरिंग सोल्स फाउंडेशन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मनीष मिश्रा को विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान एवं डॉ. एम.एल.बी. भट्ट ने विशेष रूप से सम्मानित किया।
कार्यक्रम संयोजक उमाशंकर पांडे के प्रयास सराहनीय
कार्यक्रम के संयोजक उमाशंकर पांडे स्वयं एक कैंसर सरवाइवर हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, प्रारंभिक पहचान को प्रोत्साहित करना और रोकथाम के उपायों पर जोर देना था। उन्होंने कहा कि कैंसर से बचाव के लिए संतुलित जीवनशैली, नियमित स्वास्थ्य जांच और पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी है।
उमाशंकर पांडे ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि कैंसर से लड़ाई केवल दवाओं से नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, परिवार के सहयोग और जागरूकता से जीती जाती है। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी विशेषज्ञों, अतिथियों और समाजसेवियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के समापन पर आयोजकों ने इस प्रकार के जागरूकता अभियानों को लगातार जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। उमाशंकर पांडे के इस प्रयास की सराहना करते हुए अतिथियों ने कहा कि उनका यह प्रयास समाज में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इससे लड़ रहे मरीजों को संबल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अवसर पर विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कैंसर सरवाइवर्स ने भी अपने अनुभव साझा किए और जागरूकता बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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