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कार्यकारी संपादक अनिल त्रिगुणायत के क्रूर व्यवहार से आहत होकर स्टेट क्राइम हेड डीपी शुक्ला के साथ भास्कर दुबे, संजीव पांडे, विजय शुक्ल, राजीव शुक्ल और मंगल सिंह ने दिया इस्तीफा

वाही एकदिन पहले ही लखीमपुर खीरी में अमृत विचार के ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार विकास शुक्ल ने अमृत विचार समाचार पत्र से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर “अलविदा… अमृत विचार” लिखते हुए कुछ समय के लिए विश्राम की बात कही है।

अमृत विचार अख़बार से एक के बाद एक सीनियर पत्रकारों का इस्तीफा जारी है। ऐसा माना जा रहा है कि कार्यकारी संपादक अनिल त्रिगुणायत का जो व्यवहार है वो कहीं न कहीं पत्रकारी व्यवस्था के अनुरूप नहीं है जिससे आहत होकर अमृत विचार से ज्यादातर वरिष्ठ पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है। अब सोचने वाली बात ये है कि ऐसी व्यवस्था क्यों बनाई जा रही है? जिसके चलते ये वरिष्ठ पत्रकार अखबार से अपने आपको अलग करते जा रहे हैं।
अखबार से इस्तीफा देने पर डीपी शुक्ला ने क्या लिखा वो भी पढ़िए और ग्रुप में इस? मैसेज को क्यों डिलीट किया गया? ये एक विचारणीय प्रश्न हो सकता है…………….

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य पत्रकार ने भी इस बात को स्वीकारा कि स्थानीय संपादक के व्यवहार से आहत होकर अभी कई विकेट और गिरेंगे। अमृत विचार में अगर ऐसा ही होता रहा तो अख़बार कैसे बुलंदियों को छुएगा? ये तो आगे समय ही बताएगा।

“अमृत विचार” के सभी सहयोगी भाइयों को नमस्कार।

आप लोगों से मिला स्नेह, प्यार हमेशा यादगार रहेगा। हम दिल से पूज्यनीय पूर्व समूह संपादक श्री शंभू दयाल वाजपेई जी और आदरणीय चेयरमैन डॉ केशव अग्रवाल जी का आभार प्रकट करते है। आपने मुझे संस्थान में कार्य करने का मौका दिया। आपके कुशल निर्देशन में हमने अनुशासन में रहते हुए ईमानदारी व मेहनत से कार्य किया। परंतु पूर्व समूह संपादक जी के जाने के बाद संस्थान (लखनऊ ) में जिस तरह से अराजकता का माहौल उत्पन्न हुआ, वह बहुत दुखद रहा और वह अभी तक बरकरार है। “अनुभवहीन नेतृत्व” में काम करने में हम अपने को असहज महसूस कर रहे थे। लखनऊ संपादकीय टीम के सहयोगी बहुत ही अनुशासित और लगन से काम करना चाहते हैं, पर उन्हें उचित माहौल नहीं मिल पा रहा। प्रतिदिन शाम की मीटिंग में खबरों पर चर्चा न होकर गाली गलौज, और ठहाकेदार होने वाली हंसी से सभी सहयोगी परेशान हैं, जिसे हम नहीं देख पा रहे थे। इसका विरोध करने पर लखनऊ यूनिट का “नेतृत्व” हमारे ही खिलाफ जंग छेड़ दिए। यही नहीं लखनऊ “नेतृत्व” करने वाले की व्यक्तिगत अनर्गल कार्य को हमारे द्वारा साफ मना कर देने के कारण वह मेरे पीछे पड़ गये। उनके क्रूर व्यवहार से आहत होकर कई कर्मठ और संस्थान के प्रति समर्पित भावना रखने वाले वरिष्ठ सहयोगियों, जैसे श्री भास्कर दुबे, श्री संजीव पांडे जी, श्री विजय शुक्ल जी, श्री राजीव शुक्ल जी, श्री मंगल सिंह जी अपना सम्मान बचाते हुए विदा ले लिए।

लखनऊ के “नेतृत्व के “इन्हीं सब हरकतों से परेशान होकर हमने भी चेयरमैन सर को अपना इस्तीफा भेजा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके लिए हम आपका दिल से शुक्रिया करते हैं।

चेयरमैन सर,

जिस तरह से कम समय में “अमृत विचार” ऊंचाइयों तक अपना सफर तय किया,उसी तरह अब संस्थान में बिखराव व्यापक रूप ले लिया है। और इसका मुख्य कारण “कुशल तथा अनुभवी नेतृत्व” की कमी है। संस्थान और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचे, यही ईश्वर से प्रार्थना है। एक बार पुनः सभी सहयोगी भाइयों का आभार और नमस्कार।

ग्रुप से मैसेज डिलीट होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार डीपी शुक्ला की प्रतिक्रिया…

अमृत विचार के ग्रुप में मैसेज पोस्ट करते ही एडमिन कार्यकारी संपादक ने मैसेज को इसलिए डिलीट कर दिया,जिससे कि मेरे मैसेज को चेयरमैन साहब और संस्थान के अधिकारी न पढ़ पाएं।

आइए थोड़ा और जानते हैं वरिष्ठ पत्रकार डी.पी. शुक्ला के बारे में

यह रसूख और ऐसा व्यक्तित्व किसी एक दिन की पहचान नहीं है, इस कामयाबी के पीछे कठिन संघर्ष, मुश्किल दौर, रात दिन का परिश्रम, लगन और कुछ कर गुजरने की एक लंबी दास्तान है।
ना मोबाइल का वह दौर था और न ही दो चकवा या चार चकवा वाहन का साथ, दो पहिया साइकिल पर सवार होकर पूरे लखनऊ के अपराधों की खबर करने का जुनून किसी गरीब नौजवान के सर पर सवार था। वो वक्त था जब अखबार में राजनीतिक और वाणिज्य की सुर्खियों का दौर था, अपराध या अपराधियों की खबर को अखबार में इतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी लेकिन कुछ अलग कर गुजरने की चाह और अपराध को लेकर कुछ नया रिपोर्टिंग में करने का उत्साह लेकर, द्वारिका के नाम को साकार करने, अपराध जगत की खबरों से अपराध का खात्मा करने निकला तो अपने अंदाज़ से रिपोर्टिंग कर अपराध की घटनाओं को जनता के बीच जिस खूबसूरत अंदाज से परोसने का काम द्वारका प्रसाद ने किया, उससे बदलते वक्त के इस दौर में सिक्के दो विपरीत पहलुओं में अपना सिक्का जमा दिया और शुक्ला नाम है मेरा, डी पी शुक्ला का वर्चस्व कानून और अपराध की विपरीत धाराओं में दिखाई देने लगा जो आज तक क़ायम है।

मीडिया के फैलाव के साथ-साथ अपराध रिपोर्टिंग मीडिया की एक प्रमुख सूरत के रूप में सामने आई है, देखा जाए तो 24 घंटे के न्यूज़ चैनलों के आने के साथ ही अपराध जैसे विषय टीआरपी बढ़ाने की बड़ी वजह बन गए हैं जिसके चलते अपराध रिपोर्टिंग टीवी चैनल दोनों के लिए बड़ा योगदान करते हैं और पत्रकारिता जगत में अपराध एक प्रमुख बीट के रूप में दिखाई देती है ।

आज के युग में जिस तरह से अपराध के अंदाज मायने और तरीके बदल रहे है उसकी रोकथाम की गंभीरता को देखते हुए डी पी शुक्ला ने बेहद सार्थक भूमिका निभाई है और अपराध की कवरेज के जरिए कई बार समाज की खोखली होती जड़ों को टटोला है। अपराध की संयमित संतुलित रिपोर्टिंग करके समाज में युवा पीढ़ी पर अपराध और ग्लैमर की दुनिया की चिपक रही धूल को सफाई करने का अपनी कलम को एक उपकरण बनाकर जनता के सामने उदाहरण पेश किया है।

द्वारिका नरेश ने दुनिया मे फैल रहें अत्याचार को ख़त्म करने के लिए अवतार लिया था वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि कलम की दुनिया के द्वारिका अपने शब्दों, अपनी वाणी, सूझबूझ और पत्रकारिता के जरिए समाज को एक बहुत बड़ा आयाम दे रहे हैं और अपराध की रोकथाम में अपना सहयोग कर रहे हैं, यहीं नही कानून की राह छोड़कर अपराधियों के साथ मिलकर अगर कोई कानून का रखवाला रास्ता भटक गया तो डीपी शुक्ला उन भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखाने का भी काम कर रहे हैं और उनको अपराध की ग्लैमर दुनिया से बाहर भी निकाल रहे है ।

मीडिया जगत में अपराध को लेकर सार्थक भूमिका निभाने के किये युवा वर्ग के पत्रकारों को किस तरह से अपराध की रिपोर्टिंग करनी चाहिए इस बारे में वक्त-वक्त पर शैक्षिक, व्यवहारिक, मानसिक प्रशिक्षण भी देते रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पत्रकार या उनके परिवार पर जब भी कोई मुसीबत आई है तो स्पाइडर-मैन बन  कर डीपी शुक्ला का मददगार हाथ उन तक जरूर पहुंचा है।

अपने इसी व्यक्तित्व, व्यवहार, सोच, आपसी भाईचारगी और दूसरों के लिए समर्पण की भावना के चलते आज उत्तर प्रदेश के पत्रकार इनको spider-man की भूमिका में देखते हैं। एक तरफ इनके हाथों के कलम से जो जाल बनता है उसमें अपराधी और अपराध दोनों का खुलासा हो जाता है और दूसरी तरफ कानून के रखवालों को एक बड़े मददगार के रूप में डीपी शुक्ला मिल जाते है। किसी भी पत्रकार साथी की मदद के लिए द्वारिका जी का साथ हर वक़्त मिलता है। ऐसा लगता है द्वारिकाधीश के नए अवतार स्पाइडर मैन की भूमिका में है अपने कलमकार द्वारका प्रसाद शुक्ला।

वरिष्ठ पत्रकार विकास शुक्ल

वाही एकदिन पहले ही लखीमपुर खीरी में अमृत विचार के ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार विकास शुक्ल ने अमृत विचार समाचार पत्र से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर “अलविदा… अमृत विचार” लिखते हुए कुछ समय के लिए विश्राम की बात कही है।

विकास शुक्ल बीते डेढ़ साल से लखीमपुर खीरी में अमृत विचार के ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत थे। इससे पहले वह शाहजहांपुर में भी अमृत विचार का नेतृत्व कर चुके हैं।

अपने तीन दशक लंबे पत्रकारिता जीवन में वह अमर उजाला के लिए भी पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में ब्यूरो चीफ रह चुके हैं। इसके अलावा बरेली, रोहतक और मुरादाबाद जैसे प्रमुख केंद्रों में भी उनकी सेवाएं रही हैं।

पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और बेबाक शैली के लिए वे मीडिया जगत में खास पहचान रखते हैं। फिलहाल उन्होंने निजी कारणों से कुछ समय के लिए पत्रकारिता से विराम लेने की बात कही है।

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