मीडिया की तरह राजनीति को भी सर्कस बनाना चाहते हैं आशुतोष

आशुतोष ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने मीडिया को माफ़ी मांगने की सलाह दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है – “Will media apologise?ASIF KHAN claimed a sting on Sanjay Singh.He has none.It ran as headline/every channel has his interview.#MediaFooled”.

दूसरा ट्वीट कर आशुतोष फिर लिखते हैं-

इसी ट्वीट पर मीडिया मामलों के विशेषज्ञ विनीत कुमार लिखते हैं- आशुतोष वैलिडिटी पीरियड के सरोकारी पुरुष हैं. आशुतोष आज आम आदमी पार्टी के नेता और कल देश के प्रधानमंत्री भी हो जाएँ तो भी कभी भी ये नैतिक हक नहीं रखते कि मीडिया से अपने को अलग रखकर उपदेश दे सकें. अपने मीडिया मालिकों के आगे चेहरा चमकाने के दौरान ये हक बहुत पहले खो चुके हैं.आशुतोष जैसे लोग न्यूज़ चैनल के वो चेहरे रहे हैं जिसने न्यूज़रूम के भीतर संपादक जैसी संस्था को ख़त्म करके मीडियाकर्मी को मालिक का चम्पू बन जाने को प्रोत्साहित किया..पत्रकार विरोधी मैनेजमेंट के अभियान का हिस्सा रहे है..जिसे वो अब मीडिया के दल्ले कहते हैं,उनमे से अधिकांश लोग उनके सामने बने हैं और इन्होंने कुछ नहीं किया.आज इनके लिए आम आदमी पार्टी की राजनीति उतनी ही सही है,जितनी इनके मीडिया में रहने तक कॉर्पोरेट और उनकी ताकतें सही रही हैं. आशुतोष अपने मूल चरित्र में अलोकतांत्रिक रहे हैं, मीडिया के भीतर भी और अब उसके बाहर भी.जब अच्छा-बुरा का पैमाना आपके होने-न होने से तय होने लगे तो आप वैसे भी लोकतान्त्रिक नहीं रह जाते. कोई पूछे तो सही कि दिल्ली के लोगों ने इन्हें मीडिया के रिंग मास्टर होने के लिए चुना है या फिर मीडिया के रिंग मास्टर हो जानेवाली व्यवस्था को बदलने के लिए.आशुतोष अभी भी न्यूज़रूम के आका वाली माइंड सेट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. यदि वो डंके की चोट पर टीवी शो नहीं चला पाये तो कम से कम डंडे की चोट पर राजनीति न ही करें.आशुतोष वैसे भी बेसलेस बातें करने के लिए मशहूर रहे हैं जिसका एकल प्रदर्शन वो जब-तब टीवी पर करते रहते हैं.मीडिया वही फसल काट रहा है,जिसे नॉएडा फ़िल्म सिटी में बो कर आशुतोष राजनीति में आये..मीडिया में रहकर भी इसे सर्कस बनाया और अब राजनीती में भी आकर.

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