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खाद्य आयुक्त के पीएस जय शर्मा के आगे मुख्य सचिव ने टेके घुटने

खाद्य आयुक्त भूपेंद्र चौधरी भी फंस गये अपने पीएस जय शर्मा के गिरोह के चंगुल में!
खाद्य आयुक्त ने आते ही दे दी क्लीन चिट शर्मा को, मुख्य सचिव की शिकायत का निस्तारण
छह साल से एक ही पद पर काबिज है जय शर्मा
हर शिकायत की पत्रावली उसके जुगाड़ के बोझ मे

भूपेंद्र एस . चौधरी
जय शर्मा

लखनऊ । आपने वह कहावत तो सुनी होगी कि सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का। इन दिनों यही गुनगुनाते हुए आप खाद्य आयुक्त भूपेंद्र चौधरी के निजी सचिव जय शर्मा को देख सकते हैं । शासन के सारे नियमों को धता बताते हुए छह साल से एक ही पद पर काबिज जय शर्मा का जलवा इतना है कि अब तक जितनी भी शिकायतेें उसके विरुद्ध आयीं वह सब फाइलों के बोझ तलें दब गयंी। ताजा प्रकरण मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्बारा एक मामले की शिकायत का संज्ञान लेकर भ्ोजे जाने का है। उस पत्रावली को भी दबा दिया गया और जब इस मामले में आईजीआरएस डाली गयी तो रणवीर प्रसाद जब तक आयुक्त पद पर रहे तब तक तो जांच चली लेकिन भूपेंद्र चौधरी के आते ही जय शर्मा के गिरोह ने उसका निस्तारण करा लिया।
जय शर्मा का गिरोह इसलिए क्योंकि बाकायदा विभाग में उनकी टीम है। अभी पिछले दो महीने पहले ही उनकी टीम के दो कर्मचारी दफ्तर में मयखाने में ठुमके लगाते और जुआं ख्ोलते देख्ो गये वीडियो वाायरल हुआ तो तीनो निलंबित कर दिये गये। अब कैसे तीन महीने की अवधि पूरी हो और उनको बहाली मिल जाये, इस पर जय शर्मा अभी से जुगत लगाये है।
अभी पत्रकार राजेश श्रीवास्तव के की शिकायत पर मुख्य सचिव के पत्र के साथ ही आई आईजीआरएस का यह कहकर निस्तारण कर दिया गया कि उचित साक्ष्य नहीं दिये गये। जबकि शिकायत के साथ ही पूर्व में जयशर्मा के विरुद्ध दर्ज चार शिकायतों के साक्ष्य दिये गये थ्ो, लेकिन निस्तारण करते समय आंख बंद कर ली गयी। या फिर जयशर्मा ने उसकी पत्रावली ही दबा दी। फिलहाल निस्तारण हो गया है और जय शर्मा का भौकाल कायम है।
शिकायत का निस्तारण करने वाले पटल के अधिकारी चंद्रमोहन चौधरी कहते हैं कि शासन की नियमावली है कि समूह क, ख और ग के विरुद्ध दर्ज शिकायतों के साक्ष्य जब तक नहीं मिल जाते उस पर कार्रवाई नहीं होती लेकिन जब इस नियम के सापेक्ष उनसे विभु शर्मा, सुनीता रावत आदि के मामले में कार्रवाई पर पूूछा गया तो बोले ऐसा नहीं है। जबकि सुनीता रावत के विरुद्ध एक शिकायत आयी जब कि वह पूरी तरह से फर्जी थी और जय शर्मा द्बारा रची गयी कि क्योंकि जय शर्मा के पद की प्रबल दावेदार सुनीता रावत हैं, इसलिए उनके शिकायती पत्र पर तत्काल बिना साक्ष्य मांगे संज्ञान लिया गया और उनकी फाइल में इसको प्रस्तुत कर उनको किनारे लगा दिया गया। एक अधिकारी विभू शर्मा तो पूर्व में इनकी शिकायत से इतना पीड़ित हुआ कि उसने दम ही तोड़ दिया।
जय शर्मा का विरोध करने की जिसने भी ठानी उसका हश्र ऐसा होता है कि जय शर्मा का काटा पानी नहीं मांगता। हाल-फिलहाल सुनीता रावत उनका शिकार बनी हैं।

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