जनसंदेश टाइम्स लखनऊ में सैलरी को लेकर हुआ बवाल
गत्ï दो दिन पहले जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के कर्मचारियों ने चार माह से वेतन न मिलने को लेकर संपादक से बात की तो पहले तो माननीय प्रधान संपादक डा. सुभाष राय ने इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया लेकिन जब पूरा स्टाफ ही इस समस्या को लेकर उनके कमरे में आ गया तब उन्होंने जीएम विनीत मौर्या से बात करने की बात कही। कुछ देर बाद संस्थान के सभी कर्मचारी और संपादक जीएम विनीत मौर्या से मिले और सीधे-सीधे अपनी बात रखी। इतना ही नहीं यह भी कहा कि अगर अब सैलरी नहीं तो काम नहीं। बड़ा अजीब लगा कि जो संपादक हमेशा से वेतन मांगने वाले कर्मचारियों को दो टूक जवाब देता था कि अपनी नौकरी कहीं और ढूंढ लो। आज उसी संपादक ने संस्थान के कर्मचारियों को साथ लेकर वेतन के मुद्दे पर जीएम विनीत मौर्या से बहुत तल्ख अंदाज में बात की। इसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि संभवत: प्रधान संपादक डा. सुभाष राय का भी वेतन लगभग दो महीने से नहीं मिला है। संपादक ने तो जीएम से यह तक कह दिया कि क्यों इन कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर सैलरी देने की स्थिति नहीं है तो हम सबको साफ-साफ बता दीजिए। सब कहीं न कहीं अपनी नौकरी ढूंढ लेंगे। संपादक की यह तल्खी जहां पूरे कर्मचारियों को सपोर्ट करते दिखी वहीं जीएम विनीत मौर्या की चुप्पी सबको नागवार गुजरी। कर्मचारियों ने जीएम की चुप्पी को गलत मानते हुए इस बात पर अड़ गए कि अब अगर वेतन नहीं मिलेगा तो न हम काम करेंगे और न ही किसी और को करने देंगे। अंदर खाने से मिली खबर के अनुसार लखनऊ जनसंदेश टाइम्स के लिए बनारस से मैनेजमेंट पूरी सैलरी भेजता है साथ ही लखनऊ एडिशन के मार्केटिंग मैनेजर से बात करने पर यह भी पता चला कि संस्थान तो प्रॉफिट में चल रहा है बावजूद इसके संस्थान के कर्मियों का वेतन जीएम विनीत मौर्या जानबूझकर रोके रखे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि बहुत जल्द ही विनीत मौर्या लखनऊ एडिशन में कर्मचारियों के एक बड़े समूह को बाहर का रास्ता दिखाएंगे और अखबार सिर्फ और सिर्फ फाइल कॉपी की प्रक्रिया में हो जाएगा। ऐसा ही कुछ कानपुर एडिशन में जीएम मौर्या ने किया। वहां के संपादक डीपीएस पवार के जाने के बाद विनीत मौर्या ने कई और कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया। उनके काम किए गए दिनों के पैसे भी नहीं दे रहे और तो और जो अखबार कानपुर में सबसे ज्यादा दिखता था वह अब कहीं नहीं दिख रहा। मतलब साफ है मौर्या बंधुओं ने मिलकर जनसंदेश टाइम्स के हर एडिशन को या तो ताला लगवाने का काम कर दिया या जो बच गए उन्हें फाइल कॉपी तक समेट दिया है। भड़ास फॉर जर्नलिस्ट ने बहुत पहले ही यह खबर सबके सामने रख दी थी कि जीएम विनीत मौर्या या तो अखबार को फाइल कॉपी तक समेट देंगे या फिर संस्थान को दिवालिया घोषित कर देंगे। आज वही हो रहा है। कानपुर एडिशन फाइल कापी हो गई। लखनऊ एडिशन की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है और जीएम विनीत मौर्या सिर्फ और सिर्फ अपना जेब भरने के लिए हर उस हद को पार कर रहे हैं जिसकी अखबार जगत में कल्पना भी कम की जाती है। रद्दी बेच कर पैसा कमाना, प्रिंटिंग की स्याही में दलाली करना और तो और नाममात्र की कॉपी छापना और मालिकान को ज्यादा से ज्यादा सर्कुलेशन बताना। यह सब तमाम बातें हैं जिन्हें ढाल बनाकर विनीत मौर्या व्यक्तिगत तौर पर अपनी तिजोरी भर रहे हैं। यह बात समझ से परे है कि आखिर मालिकान ने अपनी आंखें क्यों बंद कर रखी हैं। इतना तो तय है कि आने वाले समय में लखनऊ एडिशन भी या तो बंद हो जाएगा या पूर्णतया फाइल कॉपी में पहुंच जाएगा।