जनसंदेश बनारस : डेढ़ दर्जन लोग निकाले गये
जनसंदेश टाइम्सद बनारस अब तालाबंदी के मुहाने पर है। सिर्फ घोषणा ही बाकी है। मालिकों ने हिटलरसाही रवैया अपनाते हुए एक नवंबर को डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारियों को कार्यालय आने से मना कर दिया। इन कर्मचारियों का कई माह का वेतन भी बकाया है, जिसे मालिकानों ने देना गवारा नहीं समझा। इसके साथ ही अखबार के संस्कहरण भी सिमटा दिये गये। सिटी और डाक दो ही संस्कसरण अब रह गये। पहले सभी जिलों के अलग-अलग संस्क रण छपते थे। अब दो ही संस्कारण में सभी जिलों को समेट दिया गया है। ये हालात तब हैं जब काशी पत्रकार संघ के अध्य।क्ष-कोषाध्य क्ष समेत कई महत्वसपूर्ण पदाधिकारी जनसंदेश टाइम्स के ही है, लेकिन उन्होंणने अपने साथियों के मनमाने तरीके से निकाले जाने पर चूं करने तक की जहमत नहीं उठायी। कई निकाले गये कर्मी तो यह आरोप लगाते घूम रहे थे कि इस खेल में पत्रकार संघ के पदाधिकारी भी शामिल है। मालिकानों ने उन्हेल सेट कर लिया है। जो निकाले गये हैं उनमे संपादकीय विभाग के डीएनई वशिष्ठे नारायण सिंह, रतन सिंह संदीप त्रिपाठी, रमेश श्रीवास्तेव, अशोक यादव, राजकुमार यादव, संजय श्रीवास्त व, सौरभ बनर्जी आदि शामिल हैं। निकाले गये किसी भी कर्मचारी को कुछ भी लिखित में नहीं दिया गया है। उन्हें संपादक आशीष बागची ने 31 अक्टूरबर की रात में मौखिक रूप से फरमान सुना दिया कि आप लोगों को कल से नहीं आना है। इन कर्मियों को नियमानुसार दो माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाना तो दूर उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया। एक नवंबर को ये सभी कर्मी जब अपना हिसाब लेने आफिस पहुंचे तो कोई सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं हुआ। एचआर कर्मियों ने उन्हेंे पनद्रह दिन बाद आफिस आने को कहा।