लेबर कोर्ट से बुझा सा चेहरा लिए लौट आए एजीएम और एचआर मैनेजर

लेबर कोर्ट से बुझा सा चेहरा लिए लौट आए एजीएम और एचआर मैनेजर

मजीठिया को लेकर हिसार यूनिट के कर्मचारियों द्वारा लेबर कोर्ट में डाली गई शिकायत पर बुधवार को सुनवाई हुई। लेबर कोर्ट में कर्मचारियों द्वारा दी गई शिकायत से प्रबंधन में पहले से ही हड़बड़ाहट मची हुई है। बुधवार को कोर्ट खुलने से पहले ही एजीएम नरेश सक्सेना और एचआर के कार्यकारी मैनेजर लीलाधर जांगिड़ लेबर कमिश्नर के कार्यालय में पहुंच गए जबकि दूसरा पक्ष नहीं पहुंचा था। दूसरे पक्ष यानि कि कर्मचारियों को लेबर कमिश्नर से 11 बजे का समय दिया हुआ था। लेबर कमिश्नर की न होने के कारण एजीएम और एचआर मैनेजर ने लेबर इंस्पेक्टर के सामने पेश हुए। इंस्पेक्टर के सामने इन दोनों ने अपना हैड ऑफिस भोपाल बताते हुए कहा कि केस की सुनवाई पर हमारे बड़े अधिकारी जोकि भोपाल में बैठते हैं वो आएंगे। इन लोगों ने बड़े अधिकारियों की व्यस्तता बताते हुए सुनवाई की तारीख दो महीने बाद की मांगी। लेबर इंस्पेक्टर ने इतनी लंबी तारीख देने से साफ मना कर दिया अौर चार दिन बाद 23 फरवरी सोमवार की तारीख दे दी। इंस्पेक्टर ने एजीएम और एचआर मैनेजर से साफ साफ शब्दों में कहा कि आप लोग जिस भी अधिकारी को कहीं से बुलाना हो बुला लीजिए।
एजीएम और एचआर मैनेजर ने इंस्पेक्टर से कहा कि जिन कर्मचारियों ने शिकायत दी है उनका किसी प्रकार से मजीठिया लेने का हक नहीं बनता। इन लोगों ने शिकायत झूठी और बेकार में दी हुई है। इंस्पेक्टर ने कहा कि यदि इतने लोग हमारे को शिकायत दे रहे हैं तो झूठी कैसे हो सकती है। दोनों अधिकारियों ने कहा कि कर्मचारियों का मजीठिया मांगने का कोई औचित्य ही नहीं है। कर्मचारी तो पहले ही इसके लिए साइन कर चुके हैं। इंस्पेक्टर ने कहा कि मजीठिया लेने की बात तो बाद की है। फिलहाल कर्मचारियों ने मानसिक प्रताड़ना की जो शिकायत दे रखी है उस पर बात करो आप। एजीएम और एचआर मैनेजर ने फिर से इंस्पेक्टर के सामने दो महीने की मौहल्लत की गुजारिश की। इंस्पेक्टर ने साफ मना कर कह दिया कि आप लोग सोमवार को जिसे भी बुलाना चाहे बुला सकते हैं। आप लोगों के पास चार दिन का समय है। इसके बाद 11 बजे कर्मचारी वहां पहुंचे। यहां कमियों को सूचना मिली की भास्कर के अधिकारी पहले ही आकर जा चुके हैं। इंस्पेक्टर ने कमियों से कहा कि आप लोगों के अधिकारी आए थे और 4 दिन बाद की उनको तारीख दी है। इंस्पेक्टर ने कर्मियों से यह भी कहा कि आप लोगों के अधिकारी कह रहे थे कि आप लोगों का ऐसा कोई हक बनता ही नहीं है। आप लोगों से तो अधिकारियों ने पहले से ही मजीठिया न लेने के लिए लिखवा रखा है। इस पर कर्मचारियों ने इंस्पेक्टर से कहा यही तो प्रताड़ना है और होती है प्रताड़ना। अधिकारी जबरदस्ती कर्मियों ने कुछ दबाव डालकर कुछ भी लिखवा सकते हैं। अब भी हमारे से लिखवाने की कौशिश की जा रही है। कर्मियों ने इंस्पेक्टर से कहा कि केस वापस लेने के लिए आए दिन दबाव डाला जा रहा है। इसी को तो प्रताड़ना कहते हैं। बुधवार को हुई सुनावाई के बाद भास्कर प्रबंधन अपने आप में ही उलझा हुआ है। बड़े अधिकारियों द्वारा एजीएम और एचआर मैनेजर को पट्‌टी पढ़ाकर लेकर कोर्ट भेजा था। एजीएम और एचआर मैनेजर की लेबर कोर्ट ने एक भी नहीं सुनी। दोनों के दोनों मनमाफिक कार्रवाई न होने से बुझे से मुंह को लेकर वापस लौट आए।

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