मिड-डे-एक्टिविस्ट के संपादक पर कर्मचारियों ने लगाया मानसिक और आर्थिक शोषण का आरोप

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मिड-डे-एक्टिविस्ट जिस गर्मजोशी के साथ लखनऊ शहर में लांच हुआ और उसके संपादक संजय शर्मा ने पत्रकारिता के प्रति जो जुझारूपन दिखाया उससे इस बात का किसी को अहसास नहीं हुआ कि इस संस्थान में भी कर्मचारियों का मानसिक और आर्थिक शोषण होगा। बड़े-बड़े बातें और वादे करने वाले संजय शर्मा भी उन्हीं कुछ संपादकों में से एक निकले जो अपनी जेब भरने के लिए तो कुछ भी करेंगे लेकिन अपने कर्मचारियों को उचित मानदेय भी मुहैया नहीं करा पाएंगे। शुरू के कुछ महीनों तक तो यह अखबार उत्तर प्रदेश या लखनऊ से रजिस्टर्ड भी नहीं था बावजूद इसके तमाम दंद-फंद अपनाकर अखबार ने सरकारी ऐड उठाए और तो और मिड-डे-एक्टिविस्ट में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को न तो नियुक्ति पत्र दिया गया और न ही वादे के अनुरूप मानदेय। तमाम गड़बड़झालों के बीच अखबार तो आगे बढ़ता रहा लेकिन अखबार के कर्मचारी पीछे जाते रहे। इसी का नतीजा था कि फरवरी माह के शुरू होते ही एक-एक कर इनके काफी कर्मचारियों ने संपादक संजय शर्मा का साथ छोड़ दिया। संस्थान के मुख्य डिजाइनर ने इस कारण से संस्थान को अलविदा कह दिया कि उन्हें संस्थान के संपादक हर वक्त जलील किया करते थे। इतना ही नहीं जिस मानदेय पर उन्हें लाने की बात हुई थी वह मानदेय भी उन्हें नहीं मिला साथ ही और तो और कागजी तौर पर वह मिड-डे-एक्टिविस्ट के कर्मचारी भी नहीं थे। ऐसा ही कुछ संस्थान के सीनियर रिपोर्टर अरविन्द त्रिपाठी, संजय शर्मा के बाद सारी जिम्मेदारी देखने वाले अरविन्द श्रीवास्तव, मार्केटिंग में कार्यरत एक महिला कर्मी इन्दु, एचआर में शिवानी और प्रिंटिंग का काम देख रहे अमरेन्द्र ने संस्थान को अलविदा कह दिया। इन सारे कर्मचारियों का एक ही आरोप कि संजय शर्मा न तो उचित मानदेय दे रहे थे न ही कोई नियुक्ति पत्र दिया और तो और सुबह साढ़े आठ बजे बुलाकर रात को साढ़े आठ-नौ बजे तक फिजूल में रोके रखते थे। इन सारे कर्मियों ने एक और बड़ा आरोप लगाया। जिसके अनुसार संजय शर्मा नौकरी तो मिड-डे-एक्टिविस्ट की कराते थे लेकिन साथ में वीक एंड टाइम्स का काम भी इन्हीं कर्मियों के जिम्मे था। इसके लिए भी इन्हें कोई अलग से उचित मानदेय नहीं दिया जाता था। संस्थान के मुख्य डिजाइनर ने तो यह तक कहा कि उसी से संपादक संजय शर्मा बैनर और होर्डिंग डिजाइनिंग का काम भी कराते थे। जिस आशा से यह कर्मचारी संस्थान और संजय शर्मा के साथ जुड़े उससे कहीं ज्यादा संजय शर्मा के व्यवहार से दुखी होकर इन्होंने संस्थान को छोड़ा। आने वाले वक्त में मिड-डे-एक्टिविस्ट से कई और लोगों के जाने की सूचनाएं मिल सकती हैं। क्योंकि संपादक के अभद्र व्यवहार के चलते पूरे संस्थान में भगदड़ मची हुई है। आने वाले दिनों में और भी कई सूचनाएं मिड-डे-एक्टिविस्ट के बारे में मिल सकती हैं जो काफी हद तक अव्यवहारिक भी लगें। इंतजार करें…

सोर्स : एक कर्मचारी द्वारा भेजे गये मेल के आधार पर

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