“एक परिवार अनेक समाचार पत्रों” पर प्रतिबंध लगने के बाद बकलोल खोलेंगे अयोध्या में प्रसाद की दुकान

भड़ास द्वारा पोल खोली गई तो केवल बकलोली दिखती है, ना तो कोई कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सका और ना ही खबरों की सत्यता पर विधिक नोटिस जारी की गई जिससे प्रमाणित है भड़ास4जर्नलिस्ट खबरों की सत्यता को परख कर ही साक्ष्यों के उपलब्ध होने पर खबरों का प्रकाशन किया जाता है।

भड़ास की मुहिम का दिखा असर


बकलोल पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ खास कर नही पाए, केवल बकलोली के आधार पर एक आध विभाग में दुकान चल सकी लेकिन परिवार के नाम आधा दर्जन समाचार पत्र/पत्रिका का खेल शुरू कर दिया जिसमे सूचना विभाग से मोटी धनराशि कमाने के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री का चस्का लग जाने के कारण चल दिये मुम्बई बकलोली करने, भोजपुरी फिल्मों के चलन में बकलोली होने के कारण बकलोल को लगा रुपहले पर्दे पर चमक जाएंगे और सूचना विभाग से मिलने वाली सब्सिडी पर मौज करेंगे लेकिन खाली बकलोली से कुछ नहीं होता यहां भी बकलोल को मुंह की खानी पड़ी और अपराधिक मामला दर्ज हुआ अलग।

प्रतिकात्मक फोटो

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक द्वारा भड़ास4जर्नलिस्ट द्वारा की जा रही सकारात्मक खबरों की सराहना करते हुए एक परिवार अनेक समाचार पत्र की प्रथा पर रोकथाम लगाई जाने की खबर प्रकाशित करने के मात्र 24 घंटे के अंदर ही अनेक ऐसे घराने हैं जिनकी रातों की नींद उड़ गई है और तरह-तरह के साजिश भड़ास4जर्नलिस्ट के विरुद्ध की जा रही है जबकि भड़ास4जर्नलिस्ट कभी भी पत्रकारिता के मूल्य उद्देश्यों से न तो भटका है और न है खबरों के साथ कोई समझौता किया गया है।

भड़ास4जर्नलिस्ट में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेकर जिन तथाकथित जालसाज व्यक्तियों द्वारा कानूनी नोटिस दी गई थी उसके प्रतिउत्तर में साक्ष्यों को संलग्न करते हुए विधिक कार्यवाही की गई तो सब हाथ जोड़कर माफी मांगते नजर आए, वही बकलोल पत्रकार चारों तरफ घूम घूमकर केवल बकलोली करता दिखाई दे रहा है और अधिकारियों के सम्मुख गिड़गिड़ाते हुए हाथ पैर दबाता है।

भड़ास द्वारा पोल खोली गई तो केवल बकलोली दिखती है, ना तो कोई कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सका और ना ही खबरों की सत्यता पर विधिक नोटिस जारी की गई जिससे प्रमाणित है भड़ास4जर्नलिस्ट खबरों की सत्यता को परख कर ही साक्ष्यों के उपलब्ध होने पर खबरों का प्रकाशन किया जाता है।

भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक और आपराधिक मामलों में नामित…

बकलोल पत्रकारिकता से दूषित हो रही उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता,…

भोजपुरी फिल्मों के नायक निर्माता और खलनायक दुबे परिवार से…

बकलोल पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ खास कर नही पाए, केवल बकलोली के आधार पर एक आध विभाग में दुकान चल सकी लेकिन परिवार के नाम आधा दर्जन समाचार पत्र/पत्रिका का खेल शुरू कर दिया जिसमे सूचना विभाग से मोटी धनराशि कमाने के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री का चस्का लग जाने के कारण चल दिये मुम्बई बकलोली करने, भोजपुरी फिल्मों के चलन में बकलोली होने के कारण बकलोल को लगा रुपहले पर्दे पर चमक जाएंगे और सूचना विभाग से मिलने वाली सब्सिडी पर मौज करेंगे लेकिन खाली बकलोल से कुछ नहीं होता यहां भी बकलोल को मुंह की खानी पड़ी और अपराधिक मामला दर्ज हुआ अलग।

बकलोल को लगा की उच्च न्यायालय से आपराधिक मुकदमे को निरस्त करने में कामयाबी मिलेगी लेकिन न्यायालय द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए मात्र गिरफ्तारी से बचने हेतु बकलोल को स्टे ऑर्डर दे दिया लेकिन आपराधिक मुकदमे से बकलोल को कोई राहत नहीं मिली है, वही सूचना निदेशक द्वारा एक परिवार अनेक समाचार पत्र की मुहिम पर दिए जा रहे विज्ञापन की रोकथाम लगाए जाने के उपरांत बकलोल के साथी बारातियों ने बकलोल को इस बात का प्रमाण दे दिया है कि पत्रकारिता के बाद अभिनेता जगत में फेल होने के उपरांत प्रसाद की दुकान खोलना ही बकलोल के लिए ठीक है, दुकान पर बैठे-बैठे बकलोल चलती रहेगी और प्रसाद भी बिकता रहेगा।

बुतली पैलेस के सम्मानित पत्रकार ने बताया कि मीडिया जगत में भी इस बात को लेकर अत्यंत प्रसन्नता दिखाई दे रही है की राजधानी लखनऊ से जो पत्रकार अयोध्या जाएंगे उनको बकलोल की दुकान से मुफ्त में प्रसाद मिलेगा और साथ में बकलोल की बकलोली से लखनऊ को छुटकारा मिलेग।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button