यह कौन सी पत्रकारिता है ?
मीडिया की गरिमा, नैतिकता और मर्यादा को तार-तार करते हुए कुछ तथाकथित पत्रकार राज्य सभा टीवी के खिलाफ सुनियोजित अभियान चला रहे हैं। इसमें लोगों के दिलो दिमाग में यह बात बिठाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस संसदीय चैनल ने चार साल में 1700 करोड़ रुपए स्वाहा कर दिया है। मैं यहां काम करता हूं और तीन दशक की पत्रकारिता मै संपादक से लेकर सभी प्रमुख पदों पर काम कर चुका हूं। इस नाते राज्य सभा टीवी को लेकर कुछ लोगों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान से आहत हूं।
यह सभी जानते हैं कि बेहतरीन पत्रकारों की टीम के नाते राज्य सभा टीवी में कई विषयों पर बेहतरीन काम हुआ है। संसदीय मामलों में भी इसने बेजोड़ काम किया है और देश ने पहली बार इसके माध्यम से ही राष्ट्रपति चुनाव तक को लाइव देखा। संविधान के सभी 10 एपीसोड को सबकी सराहना मिली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी डीवीडी नेपाल के संविधान सभा के अध्यक्ष को सौपी। बेशक कोई चैनल या अखबार पूर्ण नहीं होता। हमेशा बेहतरी और सुधार की गुंंजाइश रहती है। उसकी आलोचना का हम स्वागत भी करेंगे। लेकिन जिस चैनल ने चार साल में 170 करोड़ भी खर्च न किया हो उसे 1700 करोड़ बताना और गुमराह करने वाला तथ्य देकर जनता को भ्रमित करना कौन सी पत्रकारिता है। अगर राज्य सभा टीवी विज्ञापन नहीं लेता और दबावमुक्त होकर काम करता है तो इसे आरोप के रूप में लगाना कौन सी समझदारी है। यह फैसला उच्च सदन का है। जनता की बात करना, खेत-खलिहान और गांवों की बात करना, देश और समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना कौन सी खराब बात है। यह कौन सी पत्रकारिता है।
अरविन्द कुमार सिंह के फेसबुक वाल से!